अर्थशास्त्र का महत्व क्या है? | Importance of economics in hindi

शिक्षा में अर्थशास्त्र का महत्व


अर्थशास्त्र के महत्व की विवेचना करते हुए श्रीमती बारबरा बूटन ने कहा है कि, “आप उस समय तक सच्चे नागरिक नहीं बन सकते जब तक कि आप किसी न किसी सीमा तक सच्चे अर्थशास्त्री न हों वर्तमान समय में आर्थिक क्रियायें इतनी जटिल हो गई हैं कि कोई भी देश आत्मनिर्भर नहीं रह गया है। उसे किसी न किसी रूप में अन्य लोगों या देश का सहारा लेना पड़ता है। इसके अभाव में उसे अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसीलिए आज प्रत्येक देश या नागरिक के लिए अर्थशास्त्र का अध्ययन आवश्यक है।" 


प्रो. मार्शल ने कहा है कि, - "अर्थशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जिसके विषय में यह कहा जा सकता है कि इसकी अज्ञानता केवल भलाई से ही वंचित नहीं करती है, किन्तु भारी बुराइयाँ उत्पन्न करती हैं।"


प्रो. मार्शल तथा प्रो. पीगू ने अर्थशास्त्र के अध्ययन के दो उद्देश्य बताये हैं - 


(क) ज्ञान प्राप्त करने के उद्देश्य से इसे सैद्धान्तिक महत्व भी कहा जाता है। 

(ख) व्यावहारिक ज्ञान के उद्देश्य से इसे-व्यावहारिक महत्व भी कहा जाता है। 


प्रो. मार्शल का कथन है कि - "अर्थशास्त्र के अध्ययन का पहला उद्देश्य तो ज्ञान के लिए ज्ञान प्राप्त करना तथा दूसरा उद्देश्य व्यावहारिक जीवन में पथ प्रदर्शन करना है।" इसी प्रकार प्रो. पीगू - ने अर्थशास्त्र के महत्व का उल्लेख करते हुए बताया कि, “अर्थशास्त्र का प्रमुख महत्व न तो मस्तिष्क सम्बन्धी अठखेलियाँ होता है और न ही है इसके द्वारा हमें ज्ञान के लिए ज्ञान प्राप्त करना होता है वरन् यह नीति का साथी तथा व्यवहार का सेवक के रूप में है।" संक्षेप में प्रो. पौगू ने इसे ज्ञानदायक तथा फलदायक दोनों कहा है। 


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अर्थशास्त्र के महत्व

अर्थशास्त्र का महत्व पर निबंध


अर्थशास्त्र के महत्व को दो भागों में बाँटा जा सकता है - 

(क) सैद्धान्तिक महत्व 

(ख) व्यावहारिक महत्व।


(क) अर्थशास्त्र का सैद्धान्तिक महत्व


1. अर्थशास्त्र के अध्ययन से मनुष्य के ज्ञान में वृद्धि होती है उसे उपभोग, उत्पत्ति, विनिमय, वितरण तथा राजस्व विभागों के अतिरिक्त सामाजिक समस्या के कारण तथा निदान के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है इस प्रकार अर्थशास्त्र के अध्ययन से मनुष्य के दृष्टिकोण का विस्तार व विकास दोनों होता है। 


2. इसके अध्ययन से दूसरा लाभ यह होता है कि मनुष्य में सोचने समझने तथा तर्क करने की शक्ति का विकास होता है। अर्थशास्त्र की समस्याओं का अध्ययन करते समय निगमन तथा आगमन विधियों का उपयोग किया जाता है। 


3. अर्थशास्त्र के अध्ययन से पारस्परिक निर्भरता का ज्ञान होता है। एक अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र एक दूसरे पर निर्भर होते हैं। उदाहरणार्थ कृषि पर उद्योग आश्रित है। इसी प्रकार विभिन्न आर्थिक क्रियाएँ भी एक दूसरे पर निर्भर होती हैं। इसका ज्ञान अर्थशास्त्र के अध्ययन से होता है।


4. आर्थिक प्रणालियों का ज्ञान भी आर्थिक क्रियाओं के अध्ययन से होता है। विभिन्न देशों में भिन्न-भिन्न समयों में आर्थिक समस्याओं को हल करने के लिए अलग-अलग आर्थिक प्रणालियाँ अपनाई गई। अर्थशास्त्र इन प्रणालियों के गुण दोषों की जानकारी देता है।


5. अवलोकन शक्ति का विकास भी अर्थशास्त्र के अध्ययन से होता है। माँग के नियम सीमान्त, उपयोगिता ह्रास नियम, उपभोक्ता की बचत आदि नियमों का अध्ययन करने के लिए आँकड़ों को एकत्र करने की आवश्यकता पड़ती है।


(ख) अर्थशास्त्र का व्यावहारिक महत्व


अर्थशास्त्र के अध्ययन का केवल सैद्धान्तिक महत्व ही नहीं है वरन् यह व्यावहारिक जीवन की समस्याओं को हल करने में पर्याप्त उपयोगी है। 


प्रो. ए. एल. पीगू का कथन है कि - “अर्थशास्त्र का महत्व मुख्यतः न तो बौद्धिक व्यायाम के रूप में और न सत्य साधन के रूप में है वरन् नीतिशास्त्र को दासी एवं व्यवहार का दास बनने में है।" 


स्पष्ट है कि अर्थशास्त्र का ज्ञान केवल प्रकाशदायक ही नहीं, बल्कि फलदायक भी है। अर्थशास्त्र के अध्ययन से समय तथा देश को होने वाले लाभ इस प्रकार हैं


1. उत्पादक वर्ग को लाभ - प्रत्येक उत्पादक का एक मात्र उद्देश्य अधिकतम लाभ प्राप्त करना होता है। इसके लिए वह कम लागत में अधिकतम उत्पादन करने का प्रयास करता है। यह तभी संभव है जब उसे साधनों के आदर्शतम संयोग का ज्ञान हो तथा श्रम विभाजन एवं बड़े पैमाने की बचतों की भी जानकारी हो। इसके साथ ही साथ बाजार की स्थिति की जानकारी होनी चाहिए कोई उत्पादक साधनों को कितना पुरस्कार दे कि उसे अधिकतम लाभ प्राप्त हो, इस बात का ज्ञान उसे होना चाहिए। संक्षेप में उत्पादक को अधिकतम लाभ अर्जित करने के लिए अर्थशास्त्र के नियमों का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए।


2. व्यापारी वर्ग को लाभ - एक व्यापारी को भी अर्थशास्त्र के अध्ययन बाजार की स्थिति का ज्ञान होता है। उसे अपने द्वारा बेची जाने वाली वस्तु की माँग का पता चलता है। वह प्रायः सस्ती कीमत पर नये बाजारों से वस्तुएँ क्रय करके महंगे स्थानों वाले बाजारों में बेचकर लाभ प्राप्त करता है। यही नहीं एक व्यापारी वस्तुओं की भावी माँग का अनुमान लगाता है तथा माँग व पूर्ति में सम्बन्ध स्थापित करता है। इस प्रकार व्यापारी वर्ग माँग व पूर्ति में सामंजस्य स्थापित करके स्थिरता लाता है। 


3. श्रमिकों को लाभ - श्रमिक वर्ग अर्थशास्त्र के अध्ययन के द्वारा अपनी आर्थिक दशा को सुदृढ़ करने में सफलता प्राप्त कर सकता है। इसके माध्यम से उनको कार्यक्षमता तथा सौदा करने की शक्ति में वृद्धि होती है। वह संगठित होकर अपने सामूहिक सौदे करने की शक्ति में वृद्धि करने में सफलता प्राप्त करता है। इस प्रकार उसको उचित मजदूरी प्राप्त होती है तथा उसके जीवन स्तर में सुधार होता है। इस प्रकार यह कहना गलत न होगा कि अर्थशास्त्र के अध्ययन द्वारा श्रमिक मजदूरी प्राप्त करने में सफल होता है तथा शोषण से बच जाता है।


4. उपभोक्ता वर्ग को लाभ - अर्थशास्त्र का सबसे अधिक महत्व उपभोक्ता वर्ग तथा गृहस्वामियों को होता है। यह उपभोक्ताओं को व्यय करने का उचित ढंग बताता है। यह माँग-नियम, पारिवारिक बजट, सीमान्त उपयोगिता नियम के अध्ययन के द्वारा अपने गृह स्वामियों को बताता है कि वे किस प्रकार व्यय करें कि उन्हें अधिकतम संतुष्टि प्राप्त हो। 


इसके माध्यम से उपभोक्ताओं को वस्तुओं को माँग व पूर्ति मूल्यों तथा बाजार की स्थिति का ज्ञान होता है। यह वर्ग सम सीमान्त उपयोगिता, उपभोक्ता की बचत, माँग की लोच का अध्ययन करके अपने संतोष को अधिकतम कर सकता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि अर्थशास्त्र का अध्ययन समाज तथा देश के उपभोक्ता वर्ग को लाभ प्रदान करके उनका जीवन स्तर ऊंचा करना है।


5. राजनीतिज्ञों को लाभ - सरकार तथा राजनीतिज्ञों को भी अर्थशास्त्र का अध्ययन लाभ प्रदान करना है। इसका अध्ययन देश की विभिन्न आर्थिक समस्याओं को समझने तथा उन्हें हल करने में सहायक होता है। देश के राजस्व मंत्री के लिए इसका अध्ययन महत्वपूर्ण होता है। इसके द्वारा कर के विभिन्न सिद्धान्तों का ज्ञान होता है। देश के आर्थिक विकास के लिए वह कर देय क्षमता का अध्ययन करके करों को लगाता है। कर लगाते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि इन करों से देश में असंतोष उत्पन्न न हो। वह प्रत्यक्ष तथा परोक्ष करों का समावेश करके अधिकतम सामाजिक कल्याण को प्रोत्साहित करता है। सरकार पंचवर्षीय योजनाओं के निर्माण, संचालन को सफल बनाने में भी अर्थशास्त्र के अध्ययन का उपयोग करती है। इस प्रकार देश के आर्थिक विकास में अर्थशास्त्र का अध्ययन एक महत्वपूर्ण योगदान होता है।


6. प्रशासकों को लाभ - एक कुशल एवं अच्छे प्रशासक के लिये अर्थशास्त्र का अध्ययन आवश्यक होता है। उसे समाज में आर्थिक नौतियों के संचालन में पर्याप्त मदद मिलती है। इसीलिये कहा जाता है कि एक प्रशासक के लिये अर्थशास्त्र के विभिन्न सिद्धान्तों का पूर्ण ज्ञान होना चाहिये। वस्तुओं के उपभोग विनिमय तथा वितरण सम्बन्धी बातों का ज्ञान प्रशासक को पूर्ण रूप से होना चाहिये ताकि सामाजिक असन्तोष उत्पन्न न हो तथा शान्ति एवं सुव्यवस्था स्थापित रहे। इस प्रकार एक प्रशासक के लिये अर्थशास्त्र का ज्ञान मार्गदर्शक का कार्य करता है। यही उसकी प्रगति व उन्नति का आधार होता है।


7. समाज सुधारकों को लाभ - समाज का यह वर्ग समाज को दिशा प्रदान करता है तथा आगे प्रगति का मार्ग बनाता है। इसके लिये इस वर्ग को देश व समाज की विभिन्न आर्थिक समस्याओं ज्ञान होना चाहिये इनका उद्देश्य समाज में पायी जाने वाली बुराइयों को दूर करना होता है। एक समाज सुधारक यह बताता है कि यदि देश के अधिकांश व्यक्ति अपनी आय का अधिक भाग विलासिताओं पर व्यय करने लगता है तो देश में अनिवार्य वस्तुओं के अभाव होने की सम्भावना उत्पन्न हो जाती है। इसका कारण यह है कि आज प्रत्येक वस्तु का उत्पादन बाजार में बेचने हेतु उपभोक्ताओं की रुचि, आदत, फैशन तथा माँग के अनुसार किया जाता है।


8. अन्य लाभ - अर्थशास्त्र के अध्ययन के कुछ अन्य लाभ निम्न प्रकार पाये जाते हैं - 


(i) अर्थशास्त्र के अध्ययन से कृषक वर्ग को भी लाभ होता है, क्योंकि उसे पता रहता है कि कम से कम लागत पर अधिकतम उत्पादन करने का प्रयास करना चाहिये।


(ii) इससे बेरोजगारी, मन्दी, निर्धनता तथा व्यापार चक्र की समस्याओं को हल करने में सहायता मिलती है। इस प्रकार इससे आर्थिक विकास में तेजी आती है। 


(iii) विकासशील देशों के लिये अर्थशास्त्र का अध्ययन विशेष कर उपयोगी होता है। इसके माध्यम से प्रति व्यक्ति आय तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। 


(iv) अर्थशास्त्र का अध्ययन इसलिये भी उपयोगी है कि व्यक्ति, देश समाज की समस्याओं का समाधान इसके माध्यम से किया जा सकता है। यह एक सामूहिक लाभ होता है।


(v) अर्थशास्त्र का अध्ययन अन्धविश्वास को दूर करने में भी सहायक होता है। इसके द्वारा लोगों के भाग्यवादी दृष्टिकोण में परिवर्तन लाया जा सकता है तथा लोगों को अधिक से अधिक परिश्रमी, निष्ठावादी तथा ईमानदार बनाया जा सकता है।


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