माँग के नियम का अर्थ
माँग का नियम, कीमत तथा माँग के बीच विपरीत सम्बन्ध को बताता है। माँग के नियम के अनुसार, यदि अन्य बातें समान रहें तो वस्तु की कीमत में कमी होने पर उस वस्तु की माँग बढ़ जाती है और इसके विपरीत वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर उस वस्तु की माँग कम हो जाती है। इस प्रकार, कीमत में जिस दिशा में परिवर्तन होता है, उसके ठीक विपरीत दिशा में मांग में परिवर्तन होता है।
माँग का नियम एक 'गुणात्मक कथन' है, न कि 'परिमाणात्मक कथन'। इसका अभिप्राय यह है कि माँग का नियम किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने से उस वस्तु की माँगी गई मात्रा में होने वाले 'परिवर्तन की दिशा' को बताता है। माँग का नियम माँग में परिवर्तन की मात्रा को नहीं बताता है अर्थात माँग का नियम यह बताता है कि यदि वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तो उसकी माँगी गई मात्रा कम हो जाती है, लेकिन माँग का नियम यह नहीं बताता कि वस्तु की कीमत में वृद्धि होने से माँग में कितनी कमी होगी।
माँग के नियम |
माँग के नियम की परिभाषा
प्रो. मार्शल के अनुसार, - "यदि अन्य बातें समान रहें तो किसी वस्तु के मूल्य में कमी होने पर उसकी माँग बढ़ जाती है और मूल्य अधिक होने पर उसकी माँग घट जाती है।''
प्रो. थामस के अनुसार, - "एक निश्चित समय पर प्रचलित मूल्य पर एक वस्तु या सेवा को माँग उससे अधिक होगी, जितनी कि उससे ऊँचे मूल्य पर होती है। इसी प्रकार अपेक्षाकृत कम मूल्य पर वह जितनी होती है, ऊँचे मूल्य पर उससे कम रहेगी।”
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माँग के नियम की व्याख्या
माँग का नियम सामान्यतः उपयोगिता ह्रास नियम पर आधारित है। इस नियम के अनुसार, जैसे-जैसे किसी वस्तु की मात्रा बढ़ती जाती है, तालिका उसकी उपयोगिता में क्रमशः कमी होने लगती है। चूंकि एक उपभोक्ता किसी वस्तु का मूल्य उसकी सीमान्त उपयोगिता के बराबर देता है।
इसलिए वस्तु की मात्रा में वृद्धि के साथ उपयोगिता में उत्तरोत्तर कमी होने के कारण वह अपनी इकाइयों के लिए पहले से कम मूल्य देगा अर्थात् जब बाजार में बिक्री के लिए वस्तु की अधिक मात्रा प्रस्तुत की जाती है, तब वह पहले से कम मूल्य पर ही खरीदी जायेगी। दूसरे शब्दों में, वस्तु का मूल्य कम हो जाने पर ही उसकी पहले से अधिक इकाइयाँ खरीदी जा सकेंगी।
इसी प्रकार, सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम से यह भी पता चलता है कि यदि वस्तु की मात्रा उत्तरोत्तर बढ़ने के बजाए घटती जाए तो उससे प्राप्त 10 उपयोगिता क्रमशः बढ़ती जाएगी। अब चूँकि उपभोक्ता किसी वस्तु का मूल्य उसको सीमान्त उपयोगिता के बराबर देता है।
इसलिए वस्तु की मात्रा में कमी के साथ उपयोगिता के उत्तरोत्तर बढ़ने के कारण वह अगली इकाइयों के लिए पहले से अधिक मूल्य देगा अर्थात् जब बाजार में बिकने के लिए कम मात्रा में वस्तु रखी जाती है, तब वह पहले से अधिक मूल्य पर ही खरीदी जाएगी। दूसरे शब्दों में, वस्तु का मूल्य बढ़ जाने पर उसकी पहले से कम इकाइयाँ खरीदी जाती हैं।
उपर्युक्त दोनों तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि कीमत के कम होने पर माँग बढ़ती है और कीमत के बढ़ने पर माँग कम हो जाती है। माँग एवं कीमतों के घटने-बढ़ने का यह विपरीत दिशाई सम्बन्ध ही 'माँग का नियम' कहलाता है।
माँग के नियम की मान्यताएँ
माँग के नियम की प्रमुख मान्यताएँ निम्नांकित हैं -
1. उपभोक्ता की आय एक समान रहनी चाहिए।
2. उपभोक्ताओं के स्वभाव व रुचि में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
3. अन्य सम्बन्धित वस्तुओं की कीमतों में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
4. वस्तु की किसी नयी स्थानापन्न वस्तु का पता नहीं लगना चाहिए।
5. भविष्य में वस्तुओं की कीमतों में और अधिक परिवर्तन होने की आशा नहीं होनी चाहिए।
6. वस्तुएँ प्रतिष्ठामूलक नहीं होनी चाहिए।
7. वस्तु की सभी इकाइयाँ आकार एवं गुणवत्ता की दृष्टि से एक समान होनी चाहिए।
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