अर्थशास्त्र की सीमाएँ व दोषों | Limitations of economics in hindi

अर्थशास्त्र की सीमा

किसी भी विषय की सीमाओं की जानकारी से इस बात का ज्ञान होता है कि इसके अन्तर्गत किन-किन बातों का अध्ययन किया जाता है तथा कौन-कौन सी ऐसी बातें हैं जो इसके क्षेत्र में नहीं आती हैं। वास्तव में, सीमाओं के अध्ययन से निश्चितता आती है। 


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अर्थशास्त्र की सीमा


अर्थशास्त्रियों द्वारा इसकी निम्नलिखित सीमाएँ दी गयी हैं -


(i) डॉ. मार्शल तथा उसके अनुयायियों के अनुसार अर्थशास्त्र में केवल व्यक्ति की आर्थिक क्रिया का अध्ययन किया जाता है। अनार्थिक क्रियाएँ इसके क्षेत्र से परे हैं।


(ii) डॉ. मार्शल के अनुसार, - अर्थशास्त्र केवल विज्ञान है जिसमें केवल उन्हीं लोगों की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, जो सामाजिक, सामान्य तथा वास्तविक होते हैं। 


(iii) प्रो. रॉबिन्स के अनुसार, - अर्थशास्त्र केवल वास्तविक विज्ञान है। इसका संबंध नीतिशास्त्र तथा कला से नहीं होता है। यही नहीं, उनके अनुसार अर्थशास्त्र मानव विज्ञान है। 


(iv) प्रो. रॉबिन्स - का विचार है कि अर्थशास्त्र में मनुष्य की सभी क्रियाओं का अध्ययन होता है, चाहे वे आर्थिक हो या अनार्थिक अर्थात् ऐसी क्रियाओं का भी अध्ययन होता है जिनका मुद्रा से कोई संबंध नहीं होता है। 


(v) प्रो. बोल्डिंग के अनुसार, - यद्यपि आवश्यकताओं की संतुष्टि एवं मानव कल्याण की समस्याएँ अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री में शामिल होती हैं, फिर भी उनके आर्थिक विश्लेषण मात्र से वैयत्तिक या राजनैतिक आचरण में विद्यमान दोषों का निदान आर्थिक नियमों के माध्यम से सम्भव नहीं होता है।


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