मार्शल की कल्याण संबंधी परिभाषा, विशेषताएँ एवं आलोचनाओं | Marshall : welfare related definition in hindi

मार्शल कल्याण संबंधी परिभाषा


डॉ. अल्फ्रेड मार्शल, एडम स्मिथ के ही प्रतिष्ठित सम्प्रदाय के एक अर्थशास्त्री थे। एडम स्मिथ और उनके विचारों की निन्दा से दुःखी होकर डॉ. मार्शल ने अर्थशास्त्र को एक नये रूप में परिभाषित किया, ताकि एक ओर रस्किन एवं कार्लाइल जैसे आलोचकों का मुँह बन्द किया जा सके, तो दूसरी और अर्थशास्त्र को सम्मानजनक स्थान दिलाया जा सके। 


डॉ. मार्शल ने अपनी सुप्रसिद्ध पुस्तक 'Principles of Economics' में स्पष्ट रूप से कहा है कि “धन मनुष्य के लिए है, न कि मनुष्य धन के लिए।" अतः अर्थशास्त्र के अध्ययन का मुख्य विषय मानव अथवा मानवीय कल्याण है और धन इस पूर्ति का एक साधन है। 


मार्शल के विचारों का समर्थन उसके समकालीन अर्थशास्त्रियों, जैसे-प्रो. पौगू कैनन, क्लार्क आदि अर्थशास्त्रियों द्वारा भी किया गया है। रोशर ने तो यहाँ तक लिखा है कि हमारे इस विज्ञान का प्रारंभिक विन्दु व एकमात्र लक्ष्य मनुष्य ही है।"



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डॉ. अल्फ्रेड मार्शल


अर्थशास्त्र को कल्याण संबंधी परिभाषा 


डॉ. मार्शल के अनुसार, - “अर्थशास्त्र जीवन के साधारण व्यवसाय के संबंध में मनुष्य की क्रियाओं का अध्ययन है। इसमें इस बात की जाँच की जाती है कि मनुष्य किस प्रकार धन कमाता है और उसे किस प्रकार व्यय करता है। इस प्रकार, यह एक ओर धन का अध्ययन है तो दूसरी ओर, जो कि अधिक महत्वपूर्ण विषय है, मनुष्य के अध्ययन का एक भाग है”


"अर्थशास्त्र जीवन के साधारण व्यवसाय में मानव की गतिविधियों का अध्ययन है। यह व्यक्तिगत तथा सामाजिक क्रियाओं के उस भाग की जाँच करता है, जिसके कल्याण के लिए आवश्यक भौतिक साधनों की प्राप्ति और उनके उपयोग से निकटतम संबंध है”


चैपमेन के अनुसार, - “अर्थशास्त्र वह विज्ञान है, जिसमें मनुष्य की धन कमाने तथा व्यय करने से संबंधित क्रियाओं का अध्ययन होता है”



डॉ. मार्शल की परिभाषा की व्याख्या 


1. डॉ. मार्शल की परिभाषा का अध्ययन करने पर यह ज्ञात होता है कि अर्थशास्त्र धन या सम्पत्ति का शास्त्र नहीं। है, बल्कि अर्थशास्त्र तो केवल मानव कल्याण का ही शास्त्र है। इसके साथ ही साथ अर्थशास्त्र मानव जीवन के सभी पहलुओं का अध्ययन नहीं करता, बल्कि यह मानव जीवन के केवल आर्थिक पहलुओं का हो अध्ययन करता है कि मानव किस प्रकार अपनी आय अर्जित करता है और किस प्रकार खर्च करता है। 


2. डॉ. मार्शल की परिभाषा में जो जीवन के साधारण व्यवसाय’ की चर्चा की गई है, उसका अर्थ है- साधारण जीवन की व्यापार संबंधी क्रियाएँ और व्यापार संबंधी क्रियाएँ ऐसी होती हैं, जिनका संबंध धन के उत्पादन, उपभोग, विनियम वितरण एवं राजस्व के साथ होता है।


3. डॉ. मार्शल की परिभाषा के अंतिम वाक्य स्पष्ट है कि अर्थशास्त्र मानव तथा धन दोनों का ही अध्ययन करता है, लेकिन मानव को प्राथमिकता दी गई है। 


4. डॉ. मार्शल की परिभाषा से स्पष्ट है कि अर्थशास्त्र का संबंध सुख के साधनों की प्राप्ति और उपभोग से है। अर्थात् अर्थशास्त्र का उद्देश्य मानव कल्यण में वृद्धि करना है। ऐसा कहकर डॉ. मार्शल ने एक नये अर्थशास्त्र कल्याणकारी अर्थशास्त्र' की नींव रखी थी। आगे चलकर प्रो. पीगू ने कल्याणवादी अर्थशास्त्र का विकास किया।


5. डॉ. मार्शल की परिभाषा से स्पष्ट है कि अर्थशास्त्र के अंतर्गत हम मानव जीवन के व्यक्तिगत तथा सामाजिक दोनों प्रयत्नों का अध्ययन करते हैं, किन्तु आवश्यकता इस बात की है कि ऐसे प्रयत्नों का संबंध 'सुख' के साधनों की प्राप्ति तथा उपभोग' से होना चाहिए।


डॉ. मार्शल की अर्थशास्त्र की परिभाषा की विशेषताएँ 


1. अधिक स्पष्ट एवं सरल परिभाषा - डॉ. मार्शल के अर्थशास्त्र की परिभाषा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि परिभाषा बहुत सरल एवं स्पष्ट है, अतः इसे सरलता से समझा जा सकता है।


2. धन की अपेक्षा मानव को अधिक महत्व - डॉ. मार्शल की अर्थशास्त्र के परिभाषा के अनुसार - अर्थशास्त्र में व्यक्ति के अध्ययन के साथ-साथ धन का भी अध्ययन किया जाता है, लेकिन धन की अपेक्षा मानव का अधिक महत्व है। 


3. जीवन के साधारण व्यवसाय का अध्ययन - डॉ. मार्शल के अनुसार, - जीवन में साधारण व्यवसाय का आशय उन क्रियाओं अथवा प्रयत्नों से है, जिनके द्वारा एक साधारण व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है। इसके अन्तर्गत वे समस्त क्रियाएँ आ जाती हैं, जिनका संबंध धन कमाने एवं उसका प्रयोग करने से होता है।


4. भौतिक कल्याण का अध्ययन - डॉ. मार्शल के अर्थशास्त्र की परिभाषा से कल्याणवादी अर्थशास्त्र के का जन्म हुआ। यही कारण है कि डॉ. मार्शल की परिभाषा को कल्याणवादी परिभाषा कहा जाता है। इस प्रकार अर्थशास्त्र का संबंध उन समस्त भौतिक साधनों की प्राप्ति और उपभोग से है, जो मानव जाति के भौतिक कल्याण में वृद्धि करने वाले होते हैं।


5. वास्तविक, सामाजिक एवं सामान्य मानव का अध्ययन - डॉ. मार्शल के अर्थशास्त्र की परिभाषा से स्पष्ट है कि अर्थशास्त्र में केवल उन व्यक्तियों को आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, जो वास्तविक, सामाजिक एवं सामान्य होते हैं, न कि काल्पनिक एवं असामान्य रॉबिन्सन क्रूसों के अनुसार, - “एकांतवासियों या असामाजिक मनुष्यों, जैसे-चोर, डाकू, साधु, संन्यासी आदि की क्रियाओं का अध्ययन अर्थशास्त्र में नहीं किया जाता"


6. केवल आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन - डॉ. मार्शल के अनुसार, - अर्थशास्त्र में केवल आर्थिक क्रियाओं का ही अध्ययन किया जाता है। 


डॉ. मार्शल ने मानवीय क्रियाओं को दो भागों में बाँटा है–

(i) आर्थिक क्रियाएँ 

(ii) अनार्थिक क्रियाएँ। 


आर्थिक क्रियाओं का उपयोग भौतिक सुख एवं कल्याण की प्राप्ति के लिए किया जाता है, अतः इनका अध्ययन अर्थशास्त्र में किया जाता है। जबकि अनार्थिक क्रियाओं का धन से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता। उदाहरणार्थ, माँ का अपने बच्चे को घर में देखभाल करना।


7. वैज्ञानिक अध्ययन - डॉ. मार्शल ने अर्थशास्त्र में कई नियमों को सम्मिलित किया है, जिससे न केवल वर्तमान समस्याओं के समाधान में ही सहयोग मिलता है, बल्कि अनेक आर्थिक पहलुओं को समझने का एक नया क्षेत्र भो प्राप्त होता है, जिससे मानव कल्याण की वृद्धि संभव है। इस प्रकार डॉ. मार्शल ने अर्थशास्त्र को एक वैज्ञानिक रूप प्रदान किया। 


8. धन कल्याण का मापक - डॉ. मार्शल के अर्थशास्त्र की परिभाषा से स्पष्ट है कि - भौतिक कल्याण, मानव कल्याण का मापक है। भौतिक सुख एवं समृद्धि से मानव कल्यण का स्तर जाना जा सकता है और मुद्रा के द्वारा भौतिक कल्याण को मापा जा सकता है। इस प्रकार, भौतिक कल्याण, मानव कल्याण का तथा मुद्रा भौतिक कल्याण का मापक है।


9. विज्ञान एवं कला के रूप में - डॉ. मार्शल के अर्थशास्त्र की परिभाषा से स्पष्ट है कि - अर्थशास्त्र विज्ञान और कला दोनों ही है। डॉ. मार्शल अर्थशास्त्र को विज्ञान इसलिए मानते थे, क्योंकि इसमें आर्थिक सिद्धांतों का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है। तथा कला इसलिए कि इसमें कल्याण का अध्ययन किया जाता है।


डॉ. मार्शल के अर्थशास्त्र की परिभाषा की आलोचना 


डॉ. मार्शल द्वारा दी गई अर्थशास्त्र की परिभाषा की काफी लम्बे समय तक प्रशंसा होती रही, लेकिन सन् 1932 में लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक प्रो. लिओनल रॉबिन्स द्वारा अपनी पुस्तक "Nature and Significance of Economics Science” में प्रो. मार्शल के अर्थशास्त्र की परिभाषा की कटु आलोचना की 


1. अर्थशास्त्र का संकुचित क्षेत्र - आलोचकों के अनुसार, - कल्याणवादी अर्थशास्त्रियों ने अनार्थिक, अभौतिक एवं असाधारण क्रियाओं के अध्ययन को अर्थशास्त्र में शामिल न करके अर्थशास्त्र के क्षेत्र को संकुचित एवं संकीर्ण बना दिया है। इसी प्रकार, आर्थिक क्रियाओं को मुद्रा में मापने के कारण वस्तु-विनियम की क्रियाओं को अर्थशास्त्र में शामिल न करके इसके क्षेत्र को संकुचित कर दिया गया है।


2. अर्थशास्त्र उद्देश्यों के प्रति तटस्थ है - डॉ. मार्शल के अनुसार - अर्थशास्त्र एक विज्ञान है। इसमें मनुष्य की क्रियाओं का संबंध भौतिक कल्याण से होने के कारण मानव को अच्छे और बुरे कार्यों का ज्ञान होता है। वह इस संबंध में निर्णय कर कार्य करता है, जबकि प्रो. रॉबिन्स का तर्क है, - कि अर्थशास्त्र अपने नियमों और उद्देश्यों के प्रति तटस्थ है। इस प्रकार अर्थशास्त्र एक वास्तविक विज्ञान है तथा अच्छाई व बुराई का ज्ञान देना नीतिशास्त्र का काम है, अर्थशास्त्र का नहीं।


3. भौतिक एवं अभौतिक साधनों का अन्तर अस्पष्ट है - डॉ. मार्शल ने अर्थशास्त्र के अध्ययन को भौतिक साधनों तक सीमित रखा, जबकि प्रो. रॉबिन्स का तर्क है कि - भौतिक एवं अभौतिक साधनों में अन्तर करना कठिन एवं न्यायोचित नहीं है, जैसे-अध्यापक, वकील, आदि की सेवाएँ भौतिक नहीं हैं, फिर भी मानवीय कल्याण के लिए उपयोगी होने के कारण इनका अर्थशास्त्र में अध्ययन किया जाता है।


4. साधारण एवं असा व्यवसाय का विभेद - प्रो. रॉबिन्स के अनुसार, - डॉ. मार्शल के द्वारा साधारण एवं असाधारण व्यवसाय में किया गया अन्तर उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि डॉ. मार्शल ने अन्तर तो कर दिये, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि साधारण व्यवसाय एवं असाधारण व्यवसाय में कौन-कौन सी क्रियाएँ आती हैं।


5. मानवीय क्रियाओं का आर्थिक एवं अनार्थिक क्रियाओं में विभाजन अनुचित - डॉ. मार्शल ने अर्थशास्त्र की परिभाषा में केवल आर्थिक क्रियाओं को ही सम्मिलित करने की बात कही है, जबकि प्रो. रॉबिन्स का तर्क है कि - मानव क्रियाओं का इस प्रकार विभाजन ही अनुपयुक्त एवं अनुचित है। केवल धन से संबंधित होने से ही क्रियाएँ आर्थिक अथवा इससे संबंधित न होने पर अनार्थिक नहीं हो जाती। परिस्थितियों में परिवर्तन से भी क्रियाएँ आर्थिक से अनार्थिक अथवा अनार्थिक से आर्थिक हो सकती हैं।


6. परिभाषा का वर्गकारिणी होना - प्रो. रॉबिन्स के अनुसार, - डॉ. मार्शल के अर्थशास्त्र की परिभाषा का सबसे बड़ा दोष इसका वर्गकारिणी होना है। मार्शल ने मानवीय क्रियाओं को भौतिक-अभौतिक, आर्थिक अनार्थिक, जीवन के साधारण असाधारण व्यवसाय में बाँटकर अनावश्यक भ्रम पैदा किया है। इस वर्गीकरण ने अर्थशास्त्र के क्षेत्र को संकुचित बना दिया है। प्रो. रॉबिन्स का तर्क है कि - इस प्रकार का वर्ग-विभाजन अवैज्ञानिक है, क्योंकि मानवीय क्रियाओं को इस प्रकार अलग-अलग वर्गों में बाँटा जाना संभव नहीं है। प्रत्येक मानवीय क्रिया का एक आर्थिक पक्ष होता है, इसलिए यह वर्ग-विभाजन अनावश्यक, निरर्थक तथा हास्यास्पद है।


7. सामाजिक विज्ञान की भावना त्रुटिपूर्ण - प्रो. रॉबिन्स का तर्क है कि - डॉ. मार्शल ने अर्थशास्त्र को केवल सामाजिक विज्ञान मानकर अर्थशास्त्र के क्षेत्र को संकुचित या सीमित कर दिया है। प्रो. रॉबिन्स का तर्क है कि - अर्थशास्त्र में केवल सामाजिक मनुष्य की क्रियाओं का ही अध्ययन नहीं किया जाता, बल्कि अर्थशास्त्र के नियम समाज के बाहर रहने वाले मनुष्यों पर भी लागू होते हैं। इसलिए उनका भी अध्ययन अर्थशास्त्र के क्षेत्र में सम्मिलित होता है।


8. अर्थशास्त्र का कल्याण से संबंध स्थापित करना दोषपूर्ण है - प्रो. रॉबिन्स का तर्क है कि - अर्थशास्त्र का अध्ययन एक शुद्ध वास्तविक विज्ञान के रूप में किया जाना चाहिए और इसका मानव कल्याण से कोई संबंध नहीं हो सकता। प्रो. रॉबिन्स ने कल्याण शब्द का पोस्टमार्टम करते हुए यहाँ तक कह डाला है कि अर्थशास्त्र का संबंध चाहे किसी से भी हो, लेकिन इतना निश्चित है कि इसका संबंध भौतिक कल्याण के कारणों से नहीं है।"


प्रो. रॉबिन्स ने कल्याण संबंधी धारणा को निम्न आधार पर दोषपूर्ण बतलाया है -


(i) कल्याण की सही - सही माप संभव नहीं है क्योंकि कल्याण एक भावात्मक अर्थात् विषयगत विचार है। हाँ, मोटे तौर पर 'मुद्रा' भौतिक कल्याण का माप कर सकती है, लेकिन मुद्रा रूपी पैमाना सभी व्यक्तियों के लिए समान उपयोगिता नहीं रखता। इसलिए यह एक असंतोषजनक माप है। 


(ii) आर्थिक क्रिया का मानव कल्याण से सदैव संबंध नहीं होता - क्योंकि बहुत-सी आर्थिक क्रियाएँ ऐसी भी होती हैं, जिनसे मानव कल्याण में वृद्धि के स्थान पर कमी आती है। उदाहरणार्थ, तम्बाकू के उपभोग से मानव कल्याण घटता है, लेकिन इसके बावजूद तम्बाकू उद्योग का अर्थशास्त्र में अध्ययन किया जाता है।


(iii) कल्याण मनुष्य की अभौतिक क्रियाओं पर भी निर्भर है - जैसे, मनुष्य का सुख अथवा कल्याण, उसकी विचार शक्ति, स्वास्थ्य, सुरुचि, नैतिकता, कला या साहित्य के प्रति लगाव आदि बातों पर निर्भर करता है, भले हो उसके पास भौतिक साधन पर्याप्त मात्रा में हों अथवा न हों। 


(iv) कल्याण का संबंध नीतिशास्त्र से है, अर्थशास्त्र से नहीं - इसलिए एक अर्थशास्त्री का काम अच्छे-बुरे के बारे में निर्णय देना नहीं, बल्कि उद्देश्यों के प्रति तटस्थ बने रहना है। 


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