उद्योग का महत्व या लाभ बताइये | importance of industry in hindi

उद्योग व्यवसाय का वह अंग है जिसमें वस्तुओं का उत्पादन होता है। आज के औद्योगिक युग में प्रत्येक देश में उद्योगों का अपना एक विशेष महत्व पाया जाता है। जिस देश में उद्योग अत्यन उन्नतिशील होते हैं उसका अपना व्यापार तथा वाणिज्य भी व्यापक तथा प्रगतिशील होता है। 



वाणिज्य द्वारा ही उत्पादन तथा उपभोक्ता में सम्पर्क स्थापित होता है तथा वस्तुयें उपभोक्ताओं तक आसानी से पहुँचती हैं। इसी लिये कहा जाता है कि "उद्योग के बिना वाणिज्य असम्भव है तथा वाणिज्य के बिना उद्योग सार्थक नहीं कहा जा सकता है।" 


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उद्योग

उद्योग का महत्व 


1. प्राकृतिक साधनों का विदोहन - 


देश में पाये जाने वाले प्राकृतिक साधनों का उपयोग प्राय: देश में पाये जाने वाले उद्योग की मात्रा पर निर्भर करता है। उद्योगों के द्वारा ही देश के प्राकृतिक संसाधनों तथा मानवीय सम्पदा का पूरी तरह से उपयोग किया जा सकता है। 


इसी लिये कहा जाता है कि उद्योगों की स्थापना से प्राकृतिक साधनों का विदोहन होता है तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा कि “भारत एक विकासशील देश है। यहाँ कृषि के साथ औद्योगिक के लिये पर्याप्त क्षेत्र पड़ा है। अतः उद्योगों के विकास पर देश की उन्नति तथा प्रगति निर्भर होती है।


2. तीव्र आर्थिक विकास -


आज के व्यावसायिक युग में उद्योग को देश की आर्थिक व सामाजिक विकास एवम उन्नति का आधार माना जाता है। औद्योगिक आधार पर देश का आर्थिक विकास तीव्र गति से किया जा सकता है। संयुक्त राज्य अमेरीका, इंग्लैण्ड, जर्मनी, फ्रांस, जापान तथा अन्य यूरोपीय देशों की प्रगति का कारण उद्योगों का तीव्र गति से विकास बताया जाता है। 



प्रो. डावं का कथन है, कि "आर्थिक विकास की समस्या मुख्यतः वित्त की नहीं वरन् व्यावसायिक संगठन की है। यही कारण है कि हमारी द्वितीय पंचवर्षीय योजना में औद्योगिक विकास पर विशेष ध्यान दिया गया। यह उद्योग प्रधान योजना थी।


3. रोजगार के अवसरों में वृद्धि -


उद्योगों के द्वारा उत्पादन कार्य किया जाता है जिसमें मानव शास्त्री की आवश्यकता होती है। यही नहीं उद्योग के विकास से बैंकिंग, बीमा, परिवहन, यातायात व संचार सुविधायें तथा संग्रहण आदि का विकास होता है। इस प्रकार यह कहना गलत न होगा कि इस बढ़ते हुये व्यावसायिक तन्त्र तथा उपतन्त्र में अनेक व्यक्तियों को रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं। 


इस सम्बन्ध में प्रो. एम. ईलोरी का कथन है, कि “व्यावसायिक संगठन मनुष्य की रचनात्मक शक्तियों के सदुपयोग का श्रेष्ठतम साधन है।" हमारे देश में कृषि पर जनसंख्या का भार अत्यधिक है तथा 23% जनसंख्या मात्र उद्योगों में कार्यरत है। अतएव रोजगार के नवीन अवसरों का निर्माण करने के लिये उद्योगों में तीव्रता लाना आवश्यक है।


4. राजस्व में वृद्धि -


प्रायः यह देखा गया है कि उद्योग के विकास के साथ-साथ राजस्व में भी वृद्धि होती है। यदि सरकार की आय का अध्ययन किया जाये तो निश्चित रूप से यह पाया जायेगा, कि सरकार की आप में उद्योगों की स्थापना से वृद्धि हुई है। 


अतएव यह कहा जा सकता है कि उद्योग देश के सरकारी खजानों के लिये भी आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, क्योंकि बढ़ते हुये व्यवसाय से सरकार को उत्पादन कर चुंगी, विक्रय कर, आयकर आदि के रूप में पर्याप्त आय प्राप्त होती है। 


रोजगार का सृजन करके लोगों की कर देय क्षमता में वृद्धि उद्योग के द्वारा होती है। इस प्रकार कल्याणकारी कार्यों को करने के लिये सरकार को पर्याप्त मात्रा मिलती तथा सामाजिक कल्याणकारी कार्य सम्पन्न हो जाता है।


5. श्रम एवं पूंजी बाजारों का विकास - 


औद्योगिक प्रगति से देश में श्रम तथा पूँजी बाजारों का विकास होता है अम बाजार से आशय उस बाजार से होता है जहाँ पर बम का क्रय-विक्रय होता है। उद्योगों के संचालन में विभिन्न प्रकार के श्रमिकों की आवश्यकता होती है। 



वास्तव में यह श्रम बाजार विभिन्न प्रकार के श्रमिकों को उपलब्ध कराने में सहयोग प्रदान करता है। इसीलिये कहा जाता है कि देश की अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार के कार्यों को करने के लिये आवश्यक श्रम शक्तियों के चयन हेतु इसी प्रक्रिया का पालन किया जाता है। 


इसी प्रकार उद्योग के संचालन हेतु पर्याप्त मात्रा में पूँजो को आवश्यकता होती है। इसके लिए बैकों, बीमा कम्पनियों, तथा वित्तीय संस्थाओं का देश में पाया जाना आवश्यक होता है। इन्हीं वित्तीय संस्थाओं से उद्योग ऋण प्राप्त करके अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाता है तथा सफलतापूर्वक अपने कार्यों को सम्पन्न करता है।


6. व्यापार में वृद्धि - 


उद्योगों की स्थापना से उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है जिसके क्रय-विक्रय के लिये नये-नये बाजारों की खोज की जाती हैं। अन्य शब्दों में उद्योगों की मात्रा में वृद्धि से आन्तरिक तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारों की संख्या में वृद्धि होती है। 

देश में वस्तुओं की बिक्री बढ़ती है, साथ ही साथ अन्य देशों में भी आयात-निर्यात किया जाने लगता है। यही नहीं क्रय-विक्रय में वृद्धि होने के कारण बैंक, बीमा, परिवहन यातायात, संचार, भन्डार व्यवस्था तथा विपणन क्रियाओं में भी वृद्धि होना स्वाभाविक होता है। 


इस प्रकार देश तथा विदेश में लोगों को उत्तम तथा सस्ती वस्तुयें उपलब्ध होती हैं तथा देशों के बीच सहयोग भी बढ़ता है। इसीलिये कहा जाता है कि उद्योग प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था को विकास ऊर्जा प्रदान करता है।


7. अन्य महत्व - उद्योग के कुछ महत्व इस प्रकार पाये जाते हैं


(1) उद्योग उन्नत अर्थव्यवस्था की आधारशिला माना जाता है। इससे आर्थिक विकास में तेजी आती है।


(2) यह व्यवसाय वर्तमान के लोगों को आधुनिकतम सुख-सुविधायें प्रदान करता है।


(3) इससे व्यवसाय तथा उत्पादन के क्षेत्र में विशिष्टता आती है तथा क्षेत्र की ख्याति बढ़ती है। 


(4) उद्योग ने ज्ञान तथा शिक्षा के क्षेत्र में क्रान्ति का वातावरण उत्पन्न कर दिया है। 


(5) व्यावसायिक क्रियाओं के आदान-प्रदान से अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग व संस्कृति सहयोग को प्रोत्साहन प्राप्त होता है। इसे अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग का अच्छा तथा उत्तम माध्यम माना जाता है।


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