व्यवसाय का अर्थ एवं परिभाषा क्या है और इसकी विशेषता, उद्देश्य | What is the meaning and definition of business and its characteristics, purpose

व्यवसाय का अर्थ एवं परिभाषा क्या है और इसकी विशेषता, उद्देश्य


आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि व्यवसाय का अर्थ,परिभाषा विशेषता/लक्षण और उद्देश्य क्या होता हैं? आज के समय में हर कोई परिचित है व्यवसाय शब्द से व्यवसाय एक तरह से आर्थिक कार्य है जो वस्तुओं का क्रय विक्रय किया जाता है । अधिकतर लोगो को ऐसा लगता है कि व्यापार और व्यवसाय एक ही है परन्तु दोनों शब्दों में अलग है, व्यवसाय में उन सभी प्रकार के कार्य किये जाते है जिसमें वस्तुओं के उत्पादन से लेकर वितरित किये जाने तक कि प्रक्रिया को सम्मिलित किया जाता हैं। तो चलिये जानते है आज व्यवसाय के अर्थ को और उनकी परिभाषा, विशेषता एवं उद्देश्य को विस्तार से

Meaning of Business Features Purpose in hindi
व्यवसाय का अर्थ, विशेषताएँ,एवं उद्देश्य

व्यवसाय का अर्थ (Meaning of Business)


व्यवसाय का आशय व्यस्त रहने की स्थिति से होता है। व्यवसाय एक आर्थिक क्रिया है जो प्रत्येक मानव अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि हेतु करता है। इसी लिए व्यवसाय को एक आर्थिक तंत्र कहा जाता है।

 

व्यवसाय की महत्वपूर्ण परिभाषाएं 


डा. मेल्विन ऐन्सन का कथन है कि "व्यवसाय आवश्यकताओं की पूर्ति की क्रिया-विधि है, जिसके द्वारा मनुष्य जीवन-यापन करता है। यही कारण है कि आज प्रत्येक व्यक्ति आर्थिक कार्य करने के लिए विवश दिखायी पड़ता है। व्यवसाय की कुछ व्याख्या विद्वानों के द्वारा निम्नलिखित प्रकार से की गयी है


प्रो. हेने के अनुसार "व्यवसाय का आशय उन मानवीय क्रियाओं से होता है जहाँ वस्तुओं के क्रय-विक्रय द्वारा संपत्ति उत्पन्न करने अथवा धन प्राप्त करने के लिए की जाती है।"


डॉ. जेम्स स्टीफेंसन के शब्दों में लाभोपार्जन की दृष्टि से किये गये मानवीय कार्य को व्यवसाय कहते हैं।


"प्रो. पीटरसन एवं प्लाऊ मैन के मतानुसार व्यवसाय का आशय ऐसी क्रिया से है जिसमें अनेक व्यक्ति किसी उपयोगी मूल्य का चाहे वे वस्तुएँ हो या सेवायें, विनिमय पारस्परिक हित या लाभ के लिए करते हैं।"


उपर्युक्त परिभाषाओं के अध्ययन करने से पता चलता है कि व्यवसाय के अन्तर्गत उन समस्त मानवीय आर्थिक क्रियाओं का समावेश पाया जाता है, जो वस्तुओं के उत्पादन, विनिमय तथा वितरण के लिये की जाती है, तथा जिनका गों या उद्देश्य अपनी सेवाओं द्वारा समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति करके लाभ अर्जित करना होता है। लाभ के साथ-साथ किया सेवा भाव भी व्यावसायिक क्रियाओं का लक्ष्य पाया जाता है। 


प्रो. थॉमस क्रोकेन के शब्दों में कहा जा सकता है कि "व्यवसाय वह सामाजिक संस्था है जो लाभ के लिए वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन तथा वितरण करती है। 



यह भी पढ़े -


व्यवसाय की विशेषता / लक्षण


1. मानवीय आर्थिक क्रिया -


व्यवसाय एक विशुद्ध मानवीय क्रिया है। इसमें जानवरों, पशुओं तथा पक्षियों की क्रियाओं का अध्ययन नहीं किया जाता है। यह कहना गलत न होगा कि इसमें केवल सामान्य मानव की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। यही इसकी विशेषता है। 


2. वैधानिकता का तत्व- 


व्यवसाय में वस्तुओं का उत्पादन तथा वितरण वैधानिक आधार पर किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति अवैधानिक रूप से व्यवसाय करता है तो इसे व विक्रय नहीं कहा जा सकता है। अतएव व्यवसाय सदैव देश के प्रयोग विधान के अनुसार ही होना चाहिये। 


3. वस्तुओं का क्रय व विक्रय –


व्यवसाय में दोनों प्रकार की क्रियाएँ अर्थात क्रय व विक्रय पायी जानी चाहिए। अन्य शब्दों में क्रेताओं तथा विक्रेताओं में वस्तुओं का आदान-प्रदान किया जाना चाहिए। साथ ही साथ यह भी आवश्यक है कि इसका क्रय-विक्रय निरंतर रूप से होना चाहिए।


4. लाभ अर्जित करना –


प्रत्येक व्यवसाय लाभ अर्जित के लिए किया जाता है। बिना लाभ के व्यवसाय की कल्पना नहीं की जा सकती है। लाभ व्यवसाय का प्रधान उद्देश्य होता है। एक विद्वान के शब्दों में "बिना लाभ के व्यवसाय, व्यवसाय नहीं जैसे बिना खार के मुरब्बा।"


5. जोखिम पूर्ण कार्य -


व्यवसाय तथा उत्पादन में जोखिम एक महत्वपूर्ण तत्व माना जाता है। इसलिए एक व्यवसायी को एक उत्तम साहसी होना चाहिये तथा उसमें जोखिम उठाने की क्षमता होनी चाहिए। बिना साहस के कोई भी व्यवसाय प्रारम्भ नहीं किया जा सकता है। यही इसका सार है।


6. सामाजिक आर्थिक क्रिया -


व्यवसाय एक सामाजिक आर्थिक क्रिया है। यह कार्य समाज में ही रहकर लोगों. द्वारा समाज के ही लाभ हेतु किया जाता है। इसलिए व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्व भी पाये जाते हैं। व्यवसाय समाज में सफल होते हैं।


7. उपयोगिता का सृजन -


व्यवसाय के माध्यम से वस्तुओं में उपयोगिता का सृजन किया जाता है। यह कार्य स्थान, आकार, समय, अधिकार, सेवा तथा ज्ञान के माध्यम से किया जाता है। इसे ही उत्पादन आर्थिक भाषा में कहा जाता है।


8. सेवा भावना -


व्यवसाय केवल स्वयं के लाभ के लिए नहीं किया जाता है। इससे क्रेता व विक्रेता के साथ साथ समस्त समाज को भी लाभ होता है। इसका आधार उत्पादन, विनिमय, वितरण तथा उपभोग पाया जाता है। यही सामाजिक लाभ है।


9. विज्ञान तथा कला - 


व्यवसाय विज्ञान के साथ-साथ कला भी है। कला के रूप में इसका योगदान अत्यन्त महत्वपूर्ण पाया जाता है। अन्य शब्दों में, व्यक्तिगत योग्यता तथा निपुर्णता के फलस्वरूप यह कला है। इसी प्रकार निश्चित सिद्धान्तों के कारण यह विज्ञान भी कहा जाता है। अतएव व्यवसाय विज्ञान तथा कला दोनों ही है ।


10. व्यापक क्षेत्र -


व्यवसाय की एक अन्य विशेषता यह है कि इसका क्षेत्र अत्यन्त व्यापक पाया जाता है। इसमें व्यापार वाणिज्य तथा उद्योग का समावेश पाया जाता है।


प्रो. हेने के शब्दों में, "एक ओर तो व्यवसाय व्यापार सम्बन्धी क्रियाओं पर निर्भर करता है तो दूसरी ओर यह बाजार को देखता है। इस प्रकार व्यवसाय का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक पाया जाता है।



व्यवसाय के उद्देश्य 

(क) आर्थिक उद्देश्य


1. लाभ प्राप्त करना


2. वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करना


3. उपभोओं की संख्याओं में वृद्धि


4. व्यवसाय का विस्तार


5. नव प्रवर्तन


(ख) सामाजिक उद्देश्य


1. रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना 


2. उत्तम वस्तुओं का उत्पादन करना


3. उचित मूल्य पर माल उपलब्ध कराना 


4. राष्ट्रीय संसाधनों का उचित उपयोग करना


5. सरकार के साथ उचित संबंध रखना


(ग) मानवीय उद्देश्य


(घ) राष्ट्रीय उद्देश्य




यह भी पढ़े -






एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ