बीमा का महत्व या लाभ बताइये

आज के युग में प्रत्येक वर्ग के लिये बीमा अनिवार्य हो गया है। यह विश्व के सभी देशों में तीव्र गति से उन्नति कर रह है। बीमा से सभी वर्गों के व्यक्तियों को अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। मनुष्य के जीवन में अनेक चिंताएँ तथा जोर पायी जाती हैं। इन चिन्ताओं तथा जोखिमों से मुक्ति पाने का एक मात्र मार्ग बीमा है।



डॉ. रैफेल ने बीमा को महत्व के बारे में कहा है कि “भावी संकटों से सुरक्षा पाने, व्यापार की सम्भावित जोखिमों से बचने अथवा किसी सम्भाव्य व्यय का पूर्ण नियोजन करने के लिये बीमा आवश्यक है। बीमा बीमादार तथा वस्तु को न रहने होने वाली हानि से सुरक्षा प्रदान करता है। इस प्रकार के अनुबन्धों द्वारा व्यक्तिगत हानियों एवं जोखिमों को समस्त समाज में वितरित कर दिया जाता है।" 


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बीमा



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बीमा का महत्व 


1. आर्थिक सुरक्षा -


बीमा सामान्य जनता तथा व्यापारियों को समस्त अनिश्चितताओं से मुक्ति दिलाता है तथा इनके जीवन एवं व्यवसाय व व्यापार को सुरक्षा प्रदान करता है। यह सुरक्षा का तत्व जीवन बीमा, अग्नि बीमा तथा समुद्री बीमा तीनों में पाया जाता है। कोई भी व्यक्ति बीमा करा कर विशिष्ट जोखिमों से हानि होने पर उसकी पूर्ति करा सकता है। अतएव बीमा जन्म से लेकर मृत्यु तक सहायक सिद्ध होता है। यही सुरक्षा है।


2. व्यावसायिक कुशलता में वृद्धि - 


बीमा व्यावसायिक दक्षता एवं कुशलता बढ़ाता है। जब व्यवसायी बड़ी-बड़ी जोखिमों का बीमा करा लेता है तो जोखिम की आशंकाओं से मुक्त हो जाता है। इस कारण उसे किसी प्रकार की चिन्ता नहीं रहती है तथा लगन के साथ कार्य करता है। इस प्रकार व्यावसायिक कुशलता में वृद्धि होना स्वाभाविक होता है। इसीलिये बीमा को एक महान तथा प्रगतिशील उद्योग कहा जाता है।


3. व्यापार के विकास में सहायक - 


बीमा ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को भी प्रोत्साहित किया है। मार्ग तथा माल सम्बन्धी जोखिमों के प्रति बीमा की सुविधा उपलब्ध होने से व्यापारी अनेक देशों में आसानी से व्यवसाय कर सकता है। बीमा से व्यापार में दृढ़ता आती है। सम्राट जार्ज पंचम ने ब्रिटिश संसद में भाषण देते हुये कहा कि “विदेशी व्यापार की उन्नति के लिये बीमा आवश्यक है।" अतः यह व्यापार का आधार है।


4. सामान्य बचत योजना से उत्तम - 


जीवन बीमा में प्रीमियम के रूप में कुछ राशि समय के अन्तराल पर देना आवश्यक होता है। इसलिये इसमें अनिवार्य रूप से बचत हो जाती है। यदि कोई दुर्घटना न भी घटित हो, तो भी एक निश्चित अवधि के बाद बोनस सहित रकम बीमादार को प्राप्त हो जाती है। ब्याज भी प्राप्त होता है। इस प्रकार बीमा को किसी सामान्य बचत योजना से उत्तम माना जाता है।


5. जोखिम का वितरण - 


बीमा जोखिम को वितरित करने का भी कार्य करता है। इसमें कुछ व्यक्तियों की हानियों को एक बड़े समूह में बाँट दिया जाता है। इस सम्बन्ध में यह कहना गलत न होगा कि भाग्यवान व्यक्ति विपत्तिग्रस्त व्यक्तियों की सहायता करते हैं। इसीलिये कहा जाता है कि बीमा के अन्तर्गत बीमा कम्पनी एक व्यक्ति की जोखिम का भार विभिन्न व्यक्तियों को हस्तान्तरित कर देती है।



6. सुरक्षा तथा विनियोग का साधन -


बीमा द्वारा व्यक्तियों के भावी जोखिम के प्रति सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त यह अल्प बचत के विनियोग का भी अच्छा साधन है। एक साझेदारी संस्था में साझेदारी का सामूहिक बीमा करा लेने से किसी साझेदार की मृत्यु होने पर उसके अंश पूँजी लौटाने की कोई चिन्ता नहीं है। यही कारण है कि यह आज विश्व के सभी देशों में पाया जाता है।


7. जीवन स्तर में वृद्धि -


बीमा के कारण व्यवसायी तथा सामान्य व्यक्ति जाखिमों तथा अनिश्चितताओं से चिन्ता रहित हो जाता है। इस के फलस्वरूप प्रत्येक बीमादार लगन तथा प्रसन्नता से कार्य करता है। बीमा मानव को अधिक धन अर्जित करने को प्रेरणा देता है। इस प्रकार मनुष्य का जीवन स्तर ऊँचा होता है तथा उसकी कार्यकुशलता में भी वृद्धि होना स्वाभाविक होता है। 


8. करों में छूट - 


भारतीय आय कर अधिनियम के अन्तर्गत आय कर अधिकारी जीवन बीमा की धारा 88 के अन्तर्गत छूट देते हैं। इस प्रकार आसानी से करों का भुगतान किया जा सकता है।


9. अन्य लाभ या महत्व - 


बीमा के कुछ अन्य लाभ निम्नलिखित प्रकार से पाये जाते हैं -


(1) वृद्धावस्था की व्यवस्था ।


(2) बच्चों की शिक्षा एवं विवाह हेतु आर्थिक प्रबन्ध 


(3) ऋण लेने की सुविधा।


(4) औद्योगिक विकास में सहायक।


(5) सामाजिक सुरक्षा का साधन।


(6) रोजगार वृद्धि में सहायक।


(7) साख वृद्धि में सहायक। 


(8) बचत एवं मितव्ययिता का साधन।


(9) सभ्यता का प्रतीक। 


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