पेशा का अर्थ -
पेशा का अर्थ तथा पेशा की परिभाषा एवं पेश की विशेषता क्या है आज हम इस टॉपिक पर बात करने वाले है कि एक पेशेवार व्यक्ति अपने विशिष्ट ज्ञान का उपयोग करके दूसरे व्यक्ति को निर्देश एवं मार्गदर्शन या परामर्श देता है, तो चलाये जानते है पेशा होता क्या है?
पेशा |
प्रायः यह माना जाता है कि व्यवसाय तथा पेशे में कोई विशेष अन्तर नहीं पाया जाता है, क्योंकि दोनों का उद्देश्य लाभ अर्जित करना होता है। इसके लिए वस्तुओं तथा सेवाओं का विनिमय किया जाता है, किन्तु वास्तव में व्यवसाय तथा पेशे दोनों को एक नहीं माना जा सकता है। दोनों में स्पष्ट अन्तर पाया जाता है।
पेशे का अभिप्राय: उस आर्थिक क्रिया से होता है जिसमें एक व्यक्तिगत तथा विशिष्ट प्रकार के सेवा प्रदान की जाती है। इसमें एक विशिष्ट ज्ञान की आवश्यकता होती है, जिसके आधार पर आर्थिक क्रिया की जाती है। उदाहरणार्थ वकील, डॉक्टर, प्राध्यापक तथा चार्टर्ड एकाउन्टेण्ट आदि पेशे के अन्तर्गत ही आते हैं।
पेशे की परिभाषा -
शब्दकोष के अनुसार "पेशा वह व्यवसाय है जिसके अन्तर्गत एक व्यक्ति विशिष्ट ज्ञान की प्राप्ति करके दूसरे व्यक्तियों को निर्देश, मार्गदर्शन या परामर्श देता है।"
डॉ. लुईस ए. ऐलन के शब्दों में "पेशा एक विशिष्ट प्रकार का कार्य है जिसका निष्पादन क्रमबद्ध ज्ञान तथा सामान्य शब्दावली के प्रयोग से किया जाता है तथा इसके लिए कुछ प्रमापों एवं मान्यता प्राप्त संस्था द्वारा प्रतिपादित एक संहिता की आवश्यकता होती है।"
उपर्युक्त परिभाषाओं के अध्ययन करने से पता चलता है कि पेशे का आशय उस आर्थिक क्रिया से होता है जिसमें एक विशिष्ट ज्ञान की आवश्यकता होती है। साथ ही साथ इसका सम्बन्ध व्यक्तिगत सेवा होता है। इसके बारे में यह कहना गलत न होगा कि विशिष्ट ज्ञान को अध्ययन के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। एक पेशेवर व्यक्ति को ईमानदार तथा चरित्रवान भी होना आवश्यक होता है।
प्रो. जानसन का कथन है कि "पेशा एक व्यवसाय है जिसके लिए कुछ विशिष्ट ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे समरूपता की उच्च उपाधि द्वारा समाज के एक सम्बन्धित वर्ग की सेवा के लिए प्रयोग किया जाता है"
पेशे की विशेषताएं
एक पेशे में निम्नलिखित विशेषताएँ पायी जाती हैं-
1. विशिष्ट ज्ञान की आवश्यकता -
पेशा के अन्तर्गत एक पेशेवर को कार्य करने के लिए एक विशेष ज्ञान की आवश्यकता होती है। कभी-कभी इसके सम्बन्ध में प्रशिक्षण लेने की आवश्यकता पड़ती है। उदाहरणार्थ- एक वकील बनने के लिए एल. एल. बी. की विशेष शिक्षा प्राप्त करनी होती है।
इसी प्रकार डॉक्टर होने के लिए एम.बी.बी.एस. का ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक होता है। इसके अभाव में एक व्यक्ति पेशा नहीं कर सकता है। इसके लिए विशिष्ट शिक्षा या ज्ञान आवश्यक होता है।
2. ज्ञान का उपयोग होना -
पेशे में प्राप्त ज्ञान को समाज में रहने वाले अन्य लोगों के लिए उपयोग किया जाना भी आवश्यक होता है। एक व्यक्ति उस समय तक पेशेवर नहीं हो सकता है यदि वह ऐसा नहीं करता है। उदाहरणार्थ डॉक्टर, वकील तथा इन्जीनियर को अपने ज्ञान को जन साधारण के लिए देना आवश्यक होता है तभी वह वकील, डॉक्टर या चिकित्सक तथा इन्जीनियर कहा जाने लगता है। यह इसकी शर्त है।
3. वैयक्तिक कार्यकुशलता -
पेशे में व्यक्तिगत कुशलता, ज्ञान योग्यता, गुणवत्ता तथा चातुर्य की आवश्यकता पड़ती है। पेशे की कार्य कुशलता की जाँच सेवा की भावना तथा लोगों की सन्तुष्टि के आधार पर की जाती है।
इसी पर पेशे की ख्याति निर्भर करती है। यदि पेशेवर में उपर्युक्त बातों का अभाव पाया जाता है तो उसकी ख्याति धूमिल मानी जायेगी। साथ ही साथ ग्राहकों का सन्तुष्ट होना भी आवश्यक होता है।
4. सेवा की भावना -
पेशे की एक अन्य विशेषता यह है कि यह कार्य सेवा की भावना से किया जाता है। इसमें लाभ को गौण स्थान प्राप्त होता है। यही कारण है कि पेशेवर को सामाजिक सेवा के नाम से पुकारा जाता है। एक डॉक्टर तथा वकील दोनों के पेशे सेवा की भावना पर ही आधारित होते हैं। इसके अभाव में कोई भी अपने पेशे में ख्याति नहीं प्राप्त कर सकता है।
5. व्यावसायिक निकाय की सदस्यता -
पेशे की एक अन्य विशेषता यह है कि इसके अन्तर्गत पेशेवर को अपने व्यावसायिक निकाय की सदस्यता प्राप्त करना अनिवार्य होता है। ऐसा न करने पर उसे पेशेवर नहीं माना जा सकता है। उदाहरणार्थ- एक कम्पनी सचिव को इन्स्टीट्यूट ऑफ कम्पनी सेक्रेटरी ऑफ इंडिया तथा डाक्टर को मेडीकल कांउसिल आफ इंडिया का सदस्य होना अनिवार्य होता है। इसी प्रकार वकील बार काउन्सिल ऑफ इंडिया का सदस्य होता है।
6. सम्मान एवं प्रतिष्ठा -
पेशेवर को समाज में प्रतिष्ठा व सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। जनता इन्हें डॉक्टर साहब, वकील साहब तथा इन्जीनियर महोदय नामों से सम्बोधित करते हैं। इसी कारण इन लोगों को विज्ञापन करने की आवश्यकता नहीं होती है। इनकी प्रसिद्धि इनके पेशे के कारण पायी जाती है। यही कारण है कि इन्हें सामाजिक सम्मान प्राप्त होता है।
7. नैतिकता तथा ईमानदारी -
पेशेवर में नैतिकता तथा ईमानदारी के गुणों का पाया जाना भी आवश्यक होता है। यदि पेशेवर में उपर्युक्त दोनों बातों का अभाव पाया जाता है तो इसे जीवित रख पाना असम्भव हो जाता है।
इसलिए कहा जाता है कि पेशेवर को यदि जीवित रखना है तो पेशे में ईमानदारी तथा नैतिकता का गुण पाया जाना आवश्यक है। अतएव यह कहना गलत न होगा कि पेशे का सम्बन्ध आचारसंहिता से पाया जाता है।
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