अनुक्रमणिका का अर्थ तथा उसके प्रकार एवं उपयोग बताइए

किसी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिये उसका ठीक ढंग से संचालन किया जाना अनिवार्य होता है। इस कारण प्रत्येक व्यापारी व व्यवसायिक एक सूची तैयार करता है जिससे इसे समय-समय पर आवश्यक जानकारी प्राप्त होती रहती है। आने वाले पत्रों की जानकारी प्राप्त करने के लिये तथा जाने वाले पत्रों की जानकारी प्राप्त करने के लिये व्यापारी को सूची बनाना पड़ता है। 


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अनुक्रमणिका



इसीलिए कहा जाता है कि अनुक्रमणिका या सूची आवश्यक जानकारी प्राप्त करने का उचित साधन है। अन्य शब्दों में सूची या अनुक्रमणिका वह उपाय है जिसके द्वारा अल्प काल या थोड़े परिश्रम से पता लग जाता है कि वस्तुओं के समूह में अमुक वस्तु कहाँ है। 


अनुक्रमणिका का अर्थ


जार्ज आर टैरी के अनुसार, “सूची एक खोज उपकरण है। यह इस बात का सुराग देती है कि सामग्री को किस प्रकार क्रमबद्ध किया गया है। 


इस प्रकार अनुक्रमणिका पत्र की स्थिति की सूचना देती है तथा अनेक पत्रों में से उसे ढूँढने का कार्य सरल बनाती है। यही कारण है कि कहा जाता है कि आधुनिक व्यापारिक कार्यालय में अनुक्रमणिका का वही स्थान है जो मानव शरीर में नेत्र का होता है।


अनुक्रमणिका के प्रकार (index type)



1. साधारण या पत्र प्रतिलिपि पुस्तक अनुक्रमणिका (SIMPLE OR LETTER BOOK INDEXING)


यह एक सरल ढंग है। प्रायः मध्यम वर्ग के व्यापार गृहों से जहाँ पत्रों और ग्राहकों की संख्या कम होती है। यह पद्धति अपनायी जाती है। साधारण अनुक्रमणिका का प्रयोग प्रायः पत्र प्रतिलिपि पुस्तक में किया जाता है। इसीलिए इसे पुस्तक अनुक्रमणिका भी कहा जाता है। 


अनुक्रमणिका को बनाने के लिये पुस्तक के प्रारम्भ में कुछ कागज लगे होते हैं तथा प्रत्येक कागज के दाये भाग में वर्ग माला (A, B, C X, Y. Z) का एक अक्षर इस प्रकार लिखा होता है कि पुस्तक खोलने से सभी अक्षर स्पष्ट दिखायी देते हैं। एक पृष्ठ पर एक अक्षर से प्रारम्भ होने वाले सभी पत्र व्यवहारों के नाम लिखे होते हैं। उदाहरणार्थ आसिफ, अशोक, अरुण आदि के नाम A या अ से प्रारम्भ होते है। 



अतएव ये सभी नाम उस ओर लिखे जायेंगे जिसके दाये भाग में A या अ लिखा होगा। इस अनुक्रमणिका के सभी नाम वर्णमाला क्रम में लिखे जाते हैं। इसीलिये इसे वर्णमाला या वर्णात्मक अनुक्रमणिका भी कहते हैं।


सूची पत्र तैयार करते समय प्रत्येक पत्र व्यवहारक के नाम के आगे उसे भेजे गये पत्र की पृष्ठ संख्या दी जाती है। उदाहरणार्थ, आसिफ, अशोक तथा अरुण को भेजे गये पत्रों को निम्नलिखित पृष्ठों पर लिखा गया है। अनुक्रमणिका बनाते समय A या अ पर इनके तथा पृष्ठ संख्या निम्नलिखित प्रकार से लिखे जाते हैं।


2. स्वरात्मक अनुक्रमणिका (VOWEL INDEXING)


व्यापार में पत्र व्यवहारों की संख्या अधिक होने पर एक पृष्ठ में एक अक्षर से प्रारम्भ होने वाले सभी नामों का लिखा जाना कठिन हो जाता है। साथ ही लम्बी सूची में नामों का तलाश करना कठिन होता है। इस असुविधाओं तथा कठिनाइयों से बचने के लिये स्वरात्मक अनुक्रमणिका पद्धति अपनायी जाती है। 


इसके अन्तर्गत वर्णमाला के प्रत्येक अक्षर को स्वर या मात्रा के अनुसार भागों में विभाजित कर दिया जाता है। अंग्रेजी वर्णमाला a c, i, o, u, y तथा हिन्दी वर्णमाला में अ, इ. उ. ए. ओ और ऋ के अनुसार 6 उपविभाग में लिखी जा सकती है अथवा अलग-अलग उपविभाग भी बनाये जा सकते हैं। ग्राहक के नाम के प्रथम स्वर को ध्यान में रखकर यह सूची बनायी जाती है। 


3. कार्ड अनुक्रमणिका (CARD INDEXING) 


कार्ड अनुक्रमणिका का आविष्कार ए.बे. रोजियर नामक फ्रान्सीसी विद्वान ने किया। इसीलिये इस सूची को डॉ. रोजियर की सूची भी कहते हैं। 


इसका प्रयोग अत्यन्त प्राचीन काल से पुस्तकालयों में किया जाता रहा है, किन्तु व्यापारिक क्षेत्र में भी अब इसका प्रयोग किया जाने लगा है। इसके द्वारा पुस्तकालयों में पुस्तक का पता लगाना, बैंकों में हस्ताक्षर काडों में से कार्ड निकालना तथा खड़ी फाइल के अन्तर्गत हजारों फोल्डरों में से ग्राहक विशेष का फोल्डर निकालना सम्भव हो सका है। प्रायः पत्रों, दस्तावेजों, पुस्तकों, कर्मचारियों अथवा अन्य किसी प्रकार की सूची के लिये यह विधि काम में लायी जाती है। आज यह नवीनतम तथा सबसे अधिक उपयोगी प्रणाली मानी जाती है। 



इसके प्रयोग के लिये निम्न सामग्री आवश्यक है -


1. दराज वाली अलमारी -


कार्ड अनुक्रमणिका में सर्वप्रथम एक लम्बे दराजों वाली अलमारी की आवश्यकता होती है। अलमारी का आकार व्यापार की आवश्यकता पर निर्भर होता है। प्राय: चार दराजों की अलमारी का प्रयोग अधिक सुविधाजनक समझा जाता है। कार्ड सूची की अलमारी के दराज खड़ी फाइल के दराजों की अपेक्षा कम गहरे होते हैं। दराज ऐसे होने चाहिए जो आवश्यकतानुसार आसानी से निकाले जा सकते हैं।


2. नाम कार्ड -


प्रत्येक ग्राहक के लिए उसके नाम का एक पृथक कार्ड होता है। इस कार्ड पर पत्र व्यवहार का नाम एवं पता अक्षरों में हाथ में लिख दिया जाता है अथवा टाइप कर दिया जाता है। दराज के आकार के अनुसार कार्ड का साइज होता है। प्राय: 5" x 2" या 3" 4'' अथवा 2' x 4" आकार के कार्ड का प्रयोग किया जाता है। ये कार्ड दराज में वर्णात्मक ढंग से लगाये जाते हैं। काडर्डों की सुरक्षा के लिये इन्हें एक लोहे की छड़ में डाल दिया जाता है जब कार्डों में छेद करना उचित नहीं समझा जाता तब कार्डों के पीछे एक लोहे का स्टैण्ड लगा दिया जाता है जिससे कार्ड सीधी खड़ी अवस्था में रहते हैं।


3. संकेत कार्ड -


नाम कार्डों को शीघ्रता एवं सरलता से ढूँढने के लिए ये कार्ड काम में लाये जाते हैं। ये प्राय: रंगीन और मजबूत पुट्ठे के बने होते हैं। प्रत्येक कार्ड पर वर्णमाला का एक अक्षर लिखा रहता है। इनका आकार नाम कार्डों के आकार से कुछ बड़ा होता है। इनके ऊपर का भाग इस प्रकार उठा होता है कि पीछे उन नाम के कार्डों को रखा जाता है। जिनका नाम इन कार्डों पर लिखे हुए अक्षरों से प्रारंभ होता है। इसकी सुरक्षा की दृष्टि से इनके नीचे के कोने में एक छेद कर इन्हें लोहे के तार में फँसाकर ताला लगाया जाता है। ये कार्ड वर्णात्मक क्रम में लगे रहते हैं। आवश्यकता पड़ने पर स्वरात्मक आधार पर भी ये कार्ड रखे जा सकते हैं। ऐसी दशा में प्रत्येक अक्षर के लिए 6 कार्ड प्रयुक्त किये जाते हैं।


4. अनुपस्थिति कार्ड -


जब कार्ड अपने स्थान से हटाया जाता है तो उसके स्थान पर यह कार्ड लगा दिया जाता है जिससे यह पता लग जाता है कि किस स्थान से कार्ड बाहर निकाला गया है। कार्ड अपने स्थान पर रख दिये जाने पर अनुपस्थिति कार्ड हटा दिया जाता है। अनुपस्थिति कार्ड को देखकर यह पता चल जाता है कि फोल्डर दराज में नहीं है। फोल्डर से सम्बन्धित आवश्यक सूचना अनुपस्थिति कार्ड पर लिख दी जाती है।



कार्ड अनुक्रमणिका के अन्य उपयोग (OTHER USES OF CARD INDEXING)


कार्ड अनुक्रमणिका कई अन्य कार्यों के लिए भी प्रयोग की जाती है। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-


(i) पता पुस्तिका के रूप में

(ii) खाता बही की सूची के रूप में 

(iii) साख पुस्तिका के रूप में

(iv) सम्पत्ति पुस्तिका के रूप में

(v) व्यापार की वस्तुएँ व शर्तों की सूची के रूप में

(vi) किराया, क्रय और किस्तों पर बिक्री का हिसाब रखने के लिए 

(vii) उधार देने को अवधि और विनिमय-पत्रों की सूचना के रूप में 

(viii) मूल्य सूची आदि के रिकार्ड के रूप में 

(ix) कर्मचारियों की पुस्तिका के रूप में

(x) अनुगामी पत्र प्रणाली में सहायक के रूप में 

(xi) पुस्तकालयों की सूची के रूप में

(xii) बैंकों में ग्राहकों की हस्ताक्षर पुस्तिका के रूप में। 


गुण -


कार्ड अनुक्रमणिका प्रणाली में निम्नलिखित गुण पाये जाते हैं-


1. प्रत्येक नये ग्राहक का कार्ड व राज-स्थल या पट्टी में पुराने कार्डों का क्रम बिगाड़े बिना उचित स्थान पर रखा जा सकता है। 


2. कार्ड सूची लोचदार होती है। नवीन दराज तथा नये कार्डों की सहायता से इसे बढ़ाया जा सकता है।


3. कार्ड सूची में केवल चालू कार्ड ही रखे जाते दराज में रख दिये जाते हैं। जिन ग्राहकों से पत्र व्यवहार बन्द हो जाता है उनके कार्ड अलग दराज में रख दिये जाते हैं


4. यह अन्य कार्यों के लिये भी उपयोग की जा सकती है। यह सुविधा अन्य सूचियों में नहीं है। 


5. इसमें सकितिक कार्डों के द्वारा कोई भी कार्ड सरलता व शीघ्रता से प्राप्त किया जा सकता है। 


6. बड़े कार्यालयों के लिये कार्ड सूची, पुस्तक सूची की अपेक्षा सस्ती होती है।


7. कार्ड अनुक्रमणिका स्वच्छ रहती है। इसमें काँटछाँट की आवश्यकता नहीं पड़ती है। 


दोष -


इस प्रणाली में निम्नलिखित दोष पाये जाते हैं -


1. कार्ड सूची में अधिक स्थान की आवश्यकता पड़ती है। 


2. इसमें एक समय में एक हो कार्ड देखा जा सकता है।


3. यदि कोई कार्ड इधर-उधर हो जाय तो पता लगाने में कठिनाई होती है।



4. खुली हुई कार्ड अनुक्रमणिका (VISIBLE CARD INDEX)


इस अनुक्रमणिका में एक साथ अनेक कार्डों को उनकी सम्पूर्ण विषय सामग्री सहित एक झलक में देखा जा सकता है। इस विधि का प्रयोग प्राय: अंग्रेजी एवं अमेरिकन कार्यालयों में किया जाता है। एक बड़ी प्लेट पर सब कार्ड इस प्रकार लगाये जाते हैं कि उन सबके नाम एवं पते एक साथ ही देखे जा सके। इस विधि में एक कार्ड को उसके अपने स्थान पर ही रखा जाता है, क्योंकि रंगीन कार्ड, नाम कार्डों को उनके गलत स्थान पर रखने से बचाते हैं। 


कार्ड अनुक्रमणिका का सबसे बड़ा दोष यह है कि इसमें एक बार में केवल एक ही कार्ड देखा जा सकता है। इस विधि में एक कार्ड को उसके अपने स्थान पर ही रखा जाता है, क्योंकि रंगीन कार्ड, नाम कार्डों को उनके गलत स्थान पर रखने से बचाते हैं। कार्ड अनुक्रमणिका का सबसे बड़ा दोष यह होता है कि इसमें एक बार में केवल एक ही कार्ड देखा जा सकता है तथा कार्ड को गलत स्थान पर रखने की भी सम्भावना रहती है। 


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