बैंक समाधान विवरण क्या है? विशेषताएं और महत्व क्या है? | what is bank reconciliation statement in hindi

बैंक समाधान विवरण का आशय 


रोकड़ बही के बैंक शेष तथा पासबुक के शेष के अन्तर में मिलान के लिए जो विवरण पत्र बनाया जाता हैं बैंक समाधान विवरण पत्र कहलाता है। इस विवरण पत्र के आधार पर दोनों खातों की शुद्धता प्रमाणित हो जाती है।


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बैंक समाधान विवरण

बैंक समाधान विवरण की परिभाषा


बैंक समाधान विवरण पत्र की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं -


श्री विलियम पिकिल्स के अनुसार, : "सामान्यतया एक ऐसा विवरण तैयार किया जाता है, जो न प्रस्तुत किये गये और न वसूले गये। चेकों के प्रभाव का स्पष्ट करता है, बैंक समाधान विवरण कहा जाता है।"


प्रो. आर. जी. विलियम्स के अनुसार, : “बैंक द्वारा ग्राहक के लिए प्रकट की गयी बाकी और ग्राहक की रोकड़ पुस्तक में बैंक के बाकी के मिलान के लिए विवरण-पत्र बनाया जाता है, उसे बैंक समाधान विवरण पत्र कहते हैं।" 


श्री कार्टर के शब्दों में, : "बैंक समाधान विवरण वह विवरण है, जो एक निश्चित तिथि पर बैंक को पास बुक द्वारा दर्शाए गए शेष का रोकड़ बही के बैंक खाता द्वारा दर्शाए गए बैंक शेष से मिलान के लिए बनाया जाता है।" 


श्री पाटिल के शब्दों में, : "बैंक समाधान विवरण वह विवरण है जो मुख्यतः पास बुक के शेष को रोकड़ बही के शेष से मिलाने के लिए तैयार किया जाता है।"


उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि बैंक समाधान विवरण पत्र दोहरा लेखा प्रणाली का अंग नहीं है, यह एक लेन-देन के व्यवहारों का विवरण है जो स्पष्ट करता है कि व्यवहारों को किन प्रवृत्तियों के कारण बैंक पास बुक और ग्राहक खाते के शेष में अन्तर आया है।


बैंक समाधान विवरण का प्रारूप



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बैंक समाधान विवरण का प्रारूप

बैंक समाधान विवरण की विशेषताएँ


1. पृथक से तैयार करना - यह एक ऐसा विवरण है जिसे पृथक रूप से तैयार किया जाता है, हिसाब किताब की पुस्तकों में इसका स्थान नहीं होता।


2. शेषों का मिलान करना - यह विवरण पत्र बैंक शेषों तथा रोकड़ पुस्तक के शेषों के मिलान के लिए बनाया जाता है।


3. निश्चित तिथि को बनाना - यह विवरण निश्चित एक तिथि को बनाया जाता है तथा यह तिथि पास बुक तथा रोकड़ बुक के बैंक शेषों में अन्तर के कारणों को स्पष्ट करता है।


4. ग्राहक द्वारा बनाया जाना - बैंक समाधान विवरण पत्र बैंक द्वारा नहीं, बैंक के ग्राहक द्वारा बनाया जाता है।


5. छट-कपट का पता लगना - दोनों शेषों के मिलान करने पर मिलान न होने के कारणों का पता चल जाता है, जिसके आधार पर छल-कपटों का पता लगाया जा सकता है।



बैंक समाधान विवरण के लाभ / महत्व


वैधानिक दृष्टिकोण से बैंक समाधान विवरण पत्र बनाना आवश्यक नहीं है, किन्तु निम्न उपयोगिताओं के कारण बैंक समाधान विवरण पत्र बनाना व्यापारी के लिए लाभदायक है -


1. त्रुटियों का पता लगाना - बैंक समाधान विवरण पत्र के माध्यम से व्यवहारों के लेखांकन में हुई त्रुटियों का पता चलता है जिसे समय रहते ठीक किया जा सकता है। 


2. छल-कपट का प्रगटीकरण - बैंक समाधान विवरण पत्र के माध्यम से व्यवहारों के छल कपटों को सामने लाया जा सकता है तथा उसे सुधारा जा सकता है।


3. रोकड़ बही में लेखा करने का आधार - बैंक द्वारा विभिन्न प्रविष्टियाँ व्यवहारों के आधार पर कर दिया जाता है जिसकी सूचना प्राप्त नहीं हो पातो पास बुक में सूचना प्राप्त होने पर इसके आधार पर प्रविष्टियाँ रोकड़ वही में कर लिया जाता है।


4. बैंक द्वारा गलत प्रविष्टि - बैंक समाधान विवरण पत्र के माध्यम से पता चलता है कि प्रविष्टियों में किस प्रकार की गलतियाँ हुई है तथा उन्हें सुधारा जा सकता है। 


5. अंकेक्षण हेतु - बैंक समाधान विवरण पत्र अंकेक्षण के लिए भी बनाया जाता है, क्योंकि इस विवरण पत्र के माध्यम से व्यवहारों की स्थितियों के बारे में जानकारी मिलती है तथा बैंक समाधान विवरण पत्र के आधार पर ही अंकेक्षण बैंक शेष प्रमाणित करता हैं


6. वास्तविक शेष का ज्ञान - बैंक समाधान विवरण पत्र के माध्यम से बैंक के वास्तविक शेषों की जानकारी मिलती है जिसके आधार पर व्यापारिक व्यवहारों के भुगतानों का प्रबंधन किया जा सकता है।


प्रश्न : बैंक समाधान विवरण पत्र कौन तैयार करता है?

उत्तर : ग्राहक द्वारा


प्रश्न : बैंक समाधान विवरण कब बनाया जाता है?

उत्तर : जब Cash Book एवं Pass Book के शेष में हुए अंतर को मिलाने के  बनाया जाता है


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