खुदरा रोकड़ बही क्या है | खुदरा रोकड़ बही के लाभ | खुदरा रोकड़ बही के प्रकार | What is retail cash book?

खुदरा रोकड़ बही 


व्यापार के दैनिक संचालन के लिए अनेक छोटे-मोटे खर्च दिन में कई बार करने पड़ते हैं, जैसे - भाड़ा, कुली, गाड़ी-भाड़ा, चाय पान व्यय, डाक तार व्यय आदि। यदि इन सब व्यवहारों का लेखा रोकड़ बही में किया जाये तो रोकड़ बही का आकार बढ़ जायेगा साथ ही केशियर का कार्य भार भी बढ़ जायेगा तथा वह अपना कार्य सुचारु ढंग से नहीं कर सकेगा। 


इन कठिनाइयों से बचने के लिए बड़े-बड़े व्यापारी इस कार्य के लिए अलग से एक छोटी रोकड़ बही (Petty cash-book) रखते हैं जिसमें प्रतिदिन के समस्त छोटे-छोटे रोक व्ययों का लेखा क्रमानुसार किया जाता है तथा यह कार्य एक अन्य छोटे लघु रोकड़ियों को सौंप दिया जाता है।


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खुदरा रोकड़ बही


खुदरा रोकड़ बही की परिभाषा


पिकिल्स के अनुसार, : "बड़े व्यापारों में बहुत से ऐसे छोटे-छोटे व्यय होते हैं जिसका भुगतान नकद में किया जाता है। यदि वे सब व्यय विस्तृत रूप से रोकड़ पुस्तक में लिखे जाते हैं तो बहुत-सा बहुमूल्य समय नष्ट हो जाता है। समय की बचत के लिए अलग से एक रोकड़ पुस्तक रखी जाती है जिसमें खुदरा व्ययों का लेखा किया जाता है। इसे खुदरा रोकड़ पुस्तक बही कहा जाता है।" 


खुदरा रोकड़ बही रोकड़ पुस्तक का ही अंग है। इसके शेष को मुख्य रोकड़ बही के शेष में मिलाकर तलपट या अंतिम खाते में दर्शाया जाता है।


खुदरा रोकड़ बही के लाभ


खुदरा या लघु रोकड़ पुस्तक रखने से व्यापारी को निम्नलिखित लाभ होते हैं -


1. लेखा करने में सुविधा - व्यापार में प्रतिदिन अनेक छोटे-छोटे व्यय होते हैं। इन सबका लेखा अगर रोकड़ बही में अलग से किया जाय तो रोकड़ वही का आकार बढ़ जायेगा तथा रोकड़िया का समय एवं श्रम भी ज्यादा लगेगा। अतः फुटकर रोकड़ बही में लेखा करना आसान होगा। 


2. रोकड़ बही की प्रमाणिकता - कुछ व्यय ऐसे होते हैं जिनके लिए कोई प्रमाणक (Voucher) प्राप्त नहीं होता ऐसे व्ययों की प्रमाणिकता खुदरा रोकड़ बही द्वारा निश्चित होती है।


3. भुगतान में सरलता - खुदरा रोकड़ बही के माध्यम से विभिन्न छोटे छोटे व्ययों का भुगतान किया जाता है जिससे भुगतान व्ययों में सरलता होती है।


4. पूर्ण नियंत्रण - चूँकि व्ययों का विस्तृत लेखा किया जाता है। इसलिए भुगतान के संबंध में पूर्ण जानकारी रहती है तथा भुगतान पर पूर्ण नियंत्रण रहता है।


5. न्यायालय में रोकड़ वही का प्रमाण माना जाना - खुदरा व्ययों में बहुत से व्यय ऐसे होते हैं जिसका कोई प्रमाणक उपलब्ध नहीं होते। अतः इन व्ययों को यदि रोकड़ बही में लिखा जाये तो कुछ व्यय मदों के प्रमाणक होंगे तथा कुछ व्यय मदों के प्रमाणक नहीं होंगे ऐसी दशा में न्यायालय रोकड़ बही को विश्वसनीय नहीं मानेगा। खुदरा रोकड़ बही के कारण प्रमुख रोकड़ बही पर इस प्रकार अविश्वास नहीं हो पाता।


6. विविध व्ययों का पूर्ण लेखा - छोटे-छोटे व्ययों का पूरा लेखा रहता है। विभिन्न अवधि के व्ययों का तुलनात्मक अध्ययन संभव होता है तथा अनावश्यक व्ययों पर नियंत्रण किया जा सकता है। 


7. खातों में प्रविष्टि की असुविधा से बचाव - यदि खुदरा व्ययों को अगर रोकड़ बही में लिखा जाये तो प्रत्येक व्यय का अलग-अलग खाता खोला जावेगा जिसमें अधिक समय लगेगा। खुदरा रोकड़ बही में व्ययों को शीर्षक में बाँटा जाता है तथा इन्हीं व्ययों के शीर्षकों के खाते खोल दिये जाते हैं।


खुदरा रोकड़ बही के प्रकार


खुदरा रोकड़ बही के निम्न प्रकार है -


1. स्मारक बही

2. साधारण या लघु रोकड़ बही

3. अग्रदाय प्रणाली वाली लघु रोकड़ बही

4. विश्लेषणात्मक लघु रोकड़ बही


1. स्मारक बही - छोटे-छोटे व्ययों को याद रखने के लिए इनका लेखा एक छोटी-सी बही में रखा जाता है इसे स्मारक बही कहा जाता है। प्रत्येक छोटे-छोटे व्ययों को स्मारक बही में विस्तृत विवरण के साथ लिखा जाता है। इन व्ययों के लिए जो राशि दी जाती है, उसका लेखा रोकड़ बही के क्रेडिट पक्ष में किया जाता है, और इनके लिए सामान्य व्यय को (By General Expenses) लिखा जाता है। यह विधि अब प्रयोग में नहीं लाई जाती है।


2. लघु या साधारण खुदरा रोकड़ बही - इस विधि के अन्तर्गत छोटे-छोटे व्ययों के भुगतान के लिए लघु रोकड़िया (Petty Cashier) को एक निश्चित राशि छोटे-छोटे व्ययों को करने के लिए दी जाती है और निर्धारित अवधि के अंत में लघु रोकड़िया व्यय की गयी राशि हिसाब मय शेष धन लौटा देता है। मुख्य रोकड़िया हिसाब की जाँच करता है और पुनः निश्चित राशि खुदरा रोकड़िया को अगले अवधि के लिए दे देता है।


3. लघु रोकड़ बही की अग्रदाय प्रणाली - इस प्रणाली के अन्तर्गत एक निश्चित अवधि के लिए खुदरा रोकड़िया (Petty Cashier) अवधि के प्रारंभ में हो खुदरा व्ययों के लिए एक निश्चित रकम अग्रिम मुख्य रोकड़ियों से प्राप्त कर लेता है इसलिए इसे अग्रदाय प्रणाली कहते हैं। एक माह में जितने व्यय होते हैं ठीक उतनी ही राशि अगले माह के लिए मुख्य रोकड़ियों से प्राप्त किया जाता है। इस प्रकार खुदरा रोकड़िया के पास उतनी की राशि अग्रिम के रूप में हो जाती है जो उसने प्रारंभ में मुख्य रोकड़िये से प्राप्त किया था।


4. विश्लेषणात्मक खुदरा रोकड़ बही - ऐसे व्यापारिक संस्थाएँ जहाँ दैनिक फुटकर व्ययों की संख्या अधिक होने के कारण इन व्ययों पर नियंत्रण रखना आवश्यक रहता है। इसलिए ऐसी संस्थाओं द्वारा विश्लेषणात्मक खुदरा रोकड़ बही अपनाया जाता है। इस वही में सभी खुदरा व्ययों के लिए पृथक्-पृथक् स्तंभ होता है जिनमें व्ययों की आवृत्ति के अनुसार व्यय की राशि की प्रविष्टि किया जाता है। यह वही साधारण रोकड़ बही का ही विस्तृत रूप है, जिसमें साधारण रोकड़ बही के खानों के अतिरिक्त सभी व्ययों के लिए पृथक्-पृथक् खाने होते हैं। आवश्यकतानुसार अतिरिक्त खानों की संख्या का निर्धारण किया जाता है।


जब खुदरा रोकड़िया मुख्य रोकड़िये से फुटकर व्ययों के लिए धन राशि प्राप्त करता है तो खुदरा रोकड़ बही में इसका लेखा करते समय विवरण खाने में रोकड़ खाते से' (To Cash A/c) लिखकर प्राप्त धन राशि रकम के खाने में लिख


दी जाती है। मुख्य रोकड़िया मुख्य रोकड़ बही में क्रेडिट पक्ष के विवरण खाने में खुदरा रोकड़ को (By Petty Cash) लिखकर धन राशि रकम के खाने में लिख लेता है। व्ययों का लेखांकन रोकड़िया द्वारा विवरण खाने में व्ययों का विवरण लिखकर राशि संबंधित व्यय के कॉलम में लिख लिया जाता है। प्रत्येक खाने में लिखी गयी रकम का जोड़ "कुल भुगतान" (Total Payment) के खाने में लिख लेता है। निर्दिष्ट अवधि पूरी हो जाने पर प्रत्येक व्यय के खाने की रकम अलग-अलग जोड़ ली जाती है। इन सभी खानों की जोड़ का महायोग 'कुल भुगतान' खाने की रकम के बराबर होना चाहिए।


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