रोकड़ बही की परिभाषा
रोकड़ से आशय मुद्रा अथवा नकद रुपया-पैसा से होता है जिस बही में रोक संबंधी व्यवहारों का लेखा किया जाता है रोकड़ बही कहलाता है। रोकड़ बही में नकद व्यवहारों का लेखा किया जाता है।
श्री मुनरों के अनुसार, - “रोकड़ बही का उपयोग नकद प्राप्तियों एवं भुगतान का लेखा करने के लिए किया जाता है चाहे वे सिक्कों, नोट, पोस्टल ऑर्डर या बैंक ड्रॉफ्ट के रूप में हो।"
कार्टर के अनुसार, - “रोकड़ बही प्रारंभिक लेखों की वह पुस्तक है जिसमें रोकड़ प्राप्तियों एवं भुगतानों का लेखा किया जाता है।"
उपर्युक्त व्याख्या से स्पष्ट है, कि रोकड़ वही में समस्त नकद व्यवहारों का लेखा किया जाता है। रोकड़ बही में व्यवहारों के लेखांकन के पश्चात् खाता पुस्तकों में पुनः रोकड़ खाता खोलने की आवश्यकता नहीं रह जाती है। रोकड़ बही में समस्त नकद प्राप्तियों का लेखा किया जाता है यह वही सभी छोटे-बड़े व्यापारियों द्वारा रखा जाता है।
रोकड़ बही |
रोकड़ बही की विशेषताएं
1. प्रारंभिक लेखे की बड़ी - रोकड़ लेखा प्रारंभिक लेखे की बही है, जिसमें समस्त व्यवहारों का सर्वप्रथम लेखा किया जाता है।
2. नकद व्यवहारों का लेखा - रोकड़ बही में केवल नकद व्यवहारों का लेखा किया जाता है। उधार सौदों से इसका कोई संबंध नहीं होता, किन्तु उधार सौदों की प्राप्तियों का इसमें लेखा किया जाता है।
3. खाताबही का अंग - रोकड़ बही प्रारंभिक लेखे की पुस्तक होने के साथ-साथ खाताबही का अंग भी है।
4. जमा व नामे लेखे - रोकड़ बही में खाताबही के समान हो दो पक्ष होते हैं। बायें तरफ वाला भाग डेबिट (नामे) तथा दायें तरफ का क्रेडिट (जमा) कहलाता है। जिन्हें प्राप्ति पक्ष एवं भुगतान पक्ष कहा जाता है।
5. प्रारंभिक शेष - प्राप्ति पक्ष में सर्वप्रथम यह शेष लिखा जाता है जो पिछली अवधि या पिछली तिथि से लाया गया है। इसके बाद सारी प्राप्तियों का लेखा तिथिवार किया जाता है।
6. अंतिम शेष - भुगतान पक्ष में समस्त भुगतानों का लेखा करने के बाद अंत में जो रोकड़ शेष निकाला जाता है, अंतिम शेष कहलाता है जो अगली तिथि या अवधि के लिए प्रारंभिक शेष के रूप में लिखा जाता है।
7. बट्टे का लेखा - प्राप्त बट्टे (Discount received) तथा दत्त बट्टे (Discount allowed)की प्रविष्टि के लिए दोनों तरफ बट्टे के खाने भी रखे जाते हैं, जिससे कुल प्राप्त बट्टे या कुल दिये गये बट्टे की जानकारी मिल जाती है।
8. बैंक व्यवहारों का लेखा - रोकड़ बही में बैंक व्यवहारों के लेखांकन के लिए पृथक् से बैंक के लिए पृथक् स्तंभ बनाया जाता है।
रोकड़ बही के लाभ
1. हस्तस्थ रोकड़ का ज्ञान - रोकड़ बही के माध्यम से प्रत्येक दिन नकद व्यवहारों के पश्चात् अंतिम शेष हस्तस्थ रोकड़ के बारे में जानकारी मिल जाती है। यदि वास्तविक रोकड़ शेष तथा रोकड़ बही के शेष में अन्तर हो तो इसके कारणों की जाँच की जाती है।
2. त्रुटियों एवं कपटों पर नियंत्रण - रोकड़ बही के माध्यम से वास्तविक रोकड़ शेष की जानकारी मिल जाती है, इसलिए यदि इनसे संबंधित कोई त्रुटि या कपट हो तो वह आसानी से पकड़ में आ जाती है।
3. समय की बचत - चूँकि नकद रोक से संबंधित समस्त व्यवहारों का लेखांकन एक स्थान पर किया जाता है, इसलिए अलग से रोकड़ खाता एवं जर्नल वही में इन व्यवहारों के लेखांकन की आवश्यकता नहीं पड़ती जिससे समय की बचत होती है।
4. लेखांकन में सरलता - रोकड़ बही से समस्त नकद व्यवहारों की जानकारी बट्टे की जानकारी रोकड़ संबंधी समस्त व्यवहारों एक स्थान पर मिल जाती है, जिससे खातों में लेखांकन कार्य सरल हो जाता है साथ ही पृथक से रोकड़ बही खोलने की आवश्यकता नहीं रहती। की जानकारी।
5. बैंक व्यवहारों का लेखा - तीन खानों वाले रोकड़ पुस्तकों में बैंक के साथ किये गये व्यवहारों का भी लेखा किया जाता है तथा अलग से बैंक खाते खोलने की आवश्यकता नहीं रहती।
6. बट्टे की जानकारी - रोकड़ बही में स्वीकृत कटौती एवं प्राप्त कटौती के लिए पृथक्-पृथक् खाते होते हैं, जिनसे व्यवहारों में कुल स्वीकृत एवं कुल देय कटौती की जानकारी मिल जाती है।
7. रोकड़ संबंधी समस्त व्यवहारों की जानकारी - रोकड़ बही द्वारा रोक संबंधी समस्त व्यवहारों की जानकारी एक ही स्थान पर एक साथ मिल जाती है।
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