रोकड़ पद्धति अपनाने के कारण | Reasons for adopting cash system in hindi

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रोकड़ पद्धति 

रोकड़ पद्धति अपनाने के कारण


गैर-व्यापारिक संस्थाओं और व्यावसायिक व्यक्तियों द्वारा रोकड़ प्रणाली अपनाने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं -


1. नकद व्यवहार - इन संस्थाओं और व्यक्तियों के लेन-देन के व्यवहार सामान्यतः नकद ही होते हैं। अत: नकद व्यवहारों के लिए रोकड़ पद्धति सर्वथा उपयुक्त है।


2. सरल प्रणाली - रोकड़ पद्धति हिसाब लिखने की सरल प्रणाली है। इसमें रोकड़ पुस्तक लिखने तथा खाता बनाने के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती है, इसे सरलता से लिखा जा सकता है। 


3. सस्ती प्रणाली - इस प्रणाली में दो या तीन बहियों की ही आवश्यकता होती है। यह एक सस्ती प्रणाली है।


4. साख व्यवहार नहीं - इन संस्थाओं एवं व्यक्तियों के उधार व्यवहार नहीं के बराबर होते हैं। यदि होते भी हैं, तो इन्हें अलग से याददाश्त बहियों में लिख दिया जाता है।


5. पूर्ण प्रणाली - इन संस्थाओं या व्यक्तियों को रुचि प्राप्ति एवं भुगतान खाता या आय-व्यय खाते तक ही सीमित है, जिसकी पूर्ति यह प्रणाली कर देता है। 


6. बचत व घाटे की जानकारी - लेखांकन की इस प्रणाली के माध्यम से आप-व्यय के लेखांकन, सूचनाओं एवं समायोजनों के प्रबंधन से बचत एवं घाटा की जानकारी मिल जाती हैं, जिनके माध्यम से स्थिति विवरण तैयार करके आर्थिक स्थिति का पता लगाया जा सकता है।


7. हिसाब की जाँच - व्यापारिक प्रणाली में लेखों की शुद्धता की जाँच तलपट के माध्यम से किया जाता है। इसी प्रकार इस प्रणाली से भी व्यवहारों की शुद्धता की जाँच, प्राप्ति व भुगतान खाता के माध्यम से किया जा सकता है।


8. सहायक बहियों का उपयोग - प्राप्ति एवं भुगतान की विस्तृत जानकारी रखने के लिए सहायक बहियों का उपयोग किया जा सकता है, जो व्यवहारों की शुद्धता के लिए महत्वपूर्ण है।


9. चिट्ठा बनाना - इस प्रणाली से आर्थिक स्थिति के अध्ययन के लिए आर्थिक चिट्ठा बनाया जा सकता है।


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