त्रि-स्तम्भीय रोकड़ बही | Three Column Cash Book
जिस रोकड़ बही में डेबिट व क्रेडिट के प्रत्येक पक्ष में रोकड़ बट्टा एवं बैंक व्यवहारों से संबंधित व्यवहारों के लेखांकन के लिए पृथक्-पृथक् तीन खाने होते हैं, उसे त्रि-स्तम्भीय रोकड़ बही कहते हैं।
त्रि-स्तम्भीय रोकड़ बही |
वर्तमान व्यापारिक व्यवहारों में नकद के स्थान पर चैक या बैंक व्यवहारों का प्रयोग अधिक होता है, क्योंकि व्यापार का वृहत् स्वरूप में नकद माध्यम से व्यापारिक व्यवहारों का संपादन अत्यंत जटिल है।
बैंक चैक, ड्रॉफ्ट या अन्य बैंकिंग विपत्रों के माध्यम से भुगतान सुविधाजनक प्रारूप में किया जा सकता है। बैंक से किया गया भुगतान व्यापारिक व्यवहारों में अधिक सुरक्षित, सुविधाजनक एवं प्रमाणित होते हैं।
बैंकिंग व्यवहारों के द्वारा बिना नकद व्यवहारों के ही व्यापारियों का पारस्परिक भुगतान बैंक खातों के माध्यम से संभव हो जाता है।
त्रि-स्तंभीय रोकड़ बही में नकद वट्टे तथा बैंकिंग भुगतान व्यवहारों के लिए पृथक्-पृथक् खाते रखे जाते हैं, जिससे व्यापारिक व्यवहारों में नकद के साथ-साथ चैकों द्वारा किये गये भुगतानों की भी विस्तृत जानकारी मिल जाती है।
जब तीन खाने वाली रोकड़ बही के द्वारा व्यापारिक भुगतानों की प्रविष्टि किया जाता है, तो पृथक् से रोकड़ खाता तथा बैंक खाता नहीं खोला जाता है, क्योंकि रोकड़ का खाना तथा बैंक का खाना क्रमशः रोकड़ खाते तथा बैंक खाते का ही कार्य करते हैं। इन खातों के अंतिम शेषों का उपयोग तलपट एवं चिट्ठा तैयार करने के लिए प्रयुक्त किये जाते हैं।
त्रि-स्तम्भीय रोकड़ बही का प्रारूप
त्रि-स्तम्भीय रोकड़ बही |
त्रि-स्तंभीय रोकड़ बही में लेखा करने के नियम
त्रि-स्तंभीय रोकड़ बही में तीन प्रकार के लेन-देन का लेखा किया जाता है -
(i) रोक लेन-देन का
(ii) बट्टे के लेन-देन का
(iii) बैंक लेन-देन का
तीन खाने वाली रोकड़ वही सौदों की प्रविष्टि के समय निम्न तथ्यों को सुनिश्चित कर लेना चाहिए :-
(i) व्यापारिक व्यवहारों का भुगतान (चैक पोस्टल ऑर्डर) प्राप्त हुआ है। यदि हाँ तो कहाँ, कब और किससे?
(ii) यदि भुगतान रोकड़ (चैक, पोस्टल ऑर्डर) से किया गया है, तो कब, किसे और कहाँ।
प्रश्नों को सुनिश्चित कर लेने के बाद लेखा निम्न प्रकार से किया जायेगा :-
1. रोकड़ चैक आदि प्राप्त होने पर - यदि व्यापारी द्वारा व्यापार प्रारंभ करने के लिए नकद राशि लाई गयी है, या किसी भी ग्राहक या व्यापारी से नकद भुगतान प्राप्त किया गया हो, तो उक्त व्यवहारों की प्रविष्टि रोकड़ वही के डेबिट पक्ष में विवरण खाने में तथा राशि रोकड़ कॉलम में किया जाएगा।
यदि ग्राहकों से भुगतान चैक या बैंक ड्रॉफ्ट द्वारा प्राप्त किया गया हो तथा उसी तिथि में उसे चैक या बैंक ड्रॉफ्ट को बैंक में जमा कराने भेज दिया गया हो, तो रोकड़ बही के डेबिट पक्ष के विवरण खाने में सौदे का विवरण लिखकर राशि बैंक खाने में लिखा जाएगा और यदि ग्राहकों से प्राप्त चैक या ड्रॉफ्ट उसी तिथि को बैंक में जमा कराने नहीं भेजा जाता है, तो प्राप्ति तिथि में रोकड़ बही के डेविट पक्ष के विवरण खाने में सौदे का उल्लेख कर राशि रोकड़ खाने में लिखी जायेगी और जब चैक या बैंक ड्रॉफ्ट भुगतान के लिए बैंक भेजा जाएगा तो रोकड़ बही के क्रेडिट पक्ष में व्यापारिक सौदों के भुगतान के विवरण लिखकर राशि क्रेडिट पक्ष के रोकड़ खाने में लिखकर रोकड बही के डेबिट पक्ष के बैंक खाने में राशि का उल्लेख किया जाएगा।
यदि चैक रेखांकित हो, तो इस चैक को रोकड़ बही के डेबिट पक्ष में विवरण लिखकर सीधी प्रविष्टि बैंक खाने में किया जाएगा। यदि बैंक से व्याज मिलता हो, तो या ग्राहक से प्राप्त होने वाला ब्याज उसके द्वारा सीधे बैंक में जमा कर दिया जाता हो अथवा बैंक ने ब्याज या लाभांश वसूल करके खाते में जमा करने की सूचना दे दी हो, तो ऐसी राशि रोकड़ बही के डेबिट पक्ष में लिखा जायेगा।
2. रोकड़ चैक आदि भुगतान करने पर - यदि व्यापारिक व्यवहारों में भुगतान नकद किया गया हो, तो रोकड़ बही के क्रेडिट पक्ष में राशि रोकड़ खाने में लिखी जायेगी और यदि भुगतान चैक या बैंक ड्रॉफ्ट के माध्यम से किया गया है, तो रोकड़ बही के क्रेडिट पक्ष में बैंक खाने में राशि लिखी जाएगी और चैक प्राप्तकर्ता को चैक प्राप्त करने के पश्चात् बैंक के माध्यम से भुगतान न कर नकद में भुगतान कर दिया जाए, तो राशि रोकड़ बही के क्रेडिट पक्ष में राशि के कॉलम में लिखी जाएगी।
3. बट्टा प्राप्त होने पर - यदि भुगतान करने पर बट्टा प्राप्त होता है, तो बट्टे की राशि रोकड़ बही के क्रेडिट पक्ष में लिखा जाएगा।
4. बट्टा देने पर - यदि भुगतान प्राप्त करने पर बट्टा दिया जाएगा, तो इसका लेखांकन रोकड़ बही के डेबिट पक्ष में लिखा जाएगा।
5. विपरीत प्रविष्टि होने पर - जब रोकड़ प्राप्ति तथा रोकड़ भुगतान दोनों एक साथ हो तो कार्यालय रोकड़ तथा बैंक रोकड़ दोनों प्रभावित होते हैं। उदाहरणार्थ, जब बैंक में रुपया जमा करते हैं, तो कार्यालय में रोकड़ कम हो जाता है और बैंक में रोकड़ बढ़ जाता है।
अतः इसे रोकड़ बही के डेबिट पक्ष में बैंक खाने में और क्रेडिट में पक्ष रोकड़ खाने में एक साथ लिखा जाएगा। इसी प्रकार जब कार्यालय उपयोग हेतु बैंक से रोकड़ चैक द्वारा निकाला जाता है, तो बैंक में रोकड़ कम हो जाता है तथा कार्यालय रोकड़ बढ़ जाता है।
अतः इसे रोकड़ बही के क्रेडिट पक्ष में बैंक और डेबिट पक्ष में रोकड़ खाने में एक साथ लिखा जाएगा। जब लेन-देनों की प्रविष्टियाँ रोकड़ बही के डेबिट और क्रेडिट पक्ष में एक दूसरे के विपरीत होती है, तो इसे विपरीत प्रविष्टि (Contra entry) कहते हैं।
ऐसी प्रविष्टि की पहचान के लिए रोकड़ बही लिखते समय प्रविष्टि के सामने "C"(हिन्दी में वि.) अक्षर लिख दिया जाता है। इन प्रविष्टियों को उभय प्रविष्टि या प्रति प्रविष्टि भी कहते हैं। खाताबही में चूँकि रोकड़ एवं बैंक खाता नहीं खोला जाता है।
अतः विपरीत प्रविष्टियों की खतौनी की आवश्यकता नहीं होती। विपरीत प्रविष्टियों का लेखा करने में द्वि-प्रविष्टि प्रणाली के सिद्धांत के अनुसार, दोहरा लेखा रोकड़ बहीं में स्वतः पूरा हो जाता है, क्योंकि एक ही राशि एक पक्ष में जमा और दूसरे पक्ष में नाम में आती है। इसलिए इन प्रविष्टियों के लेखांकन की आवश्यकता नहीं होती।
विपरीत प्रविष्टियाँ निम्न दशाओं में किया जाता है -
1. जब बैंक में रुपया जमा किया जाता है।
2. जब व्यापार में प्राप्त चैक, बैंक ड्रॉफ्ट आदि कुछ दिन बाद जमा कराये जाते हैं।
3. जब कार्यालय के लिए बैंक से रोकड़ निकाले जाते हैं।
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