तलपट क्या है इसकी परिभाषा? | What is the definition of trial balance in hindi

तलपट या शेष परीक्षण | Trial Balance


समस्त वित्तीय व्यवहारों को जर्नल में लिखकर उनकी खतौनी (Posting) खाताबही में की जाती है। खाताबही या लेजर (Ledger) में खतौनी (Accounting) की शुद्धता अंतिम खातों के निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक है, यह कार्य तलपट (Trial balance) बनाकर पूरा किया जाता है। 


तलपट द्वारा लेजर की गणित संबंधी शुद्धता का पता लगाया जाता है। तलपट न तो कोई पुस्तक है और न लेजर का खा तलपट में खातों के डेबिट तथा क्रेडिट शेषों के जोड़ के पर खातों की शुद्धता निश्चित किया जाता है।


दोहरा लेखा प्रणाली के सिद्धान्तों के अनुसार, प्रत्येक सौदे की प्रविष्टि दो स्थानों पर की जाती है। एक डेविट पक्ष और दूसरा क्रेडिट पक्ष। दोनों पक्षों में लिखी जाने वाली रकम एक ही होती है। 


अतः यदि खाताबही के समस्त खातों के दोनों पक्षों के जोड़ों को एकत्रित कर लिया जाए तो दोनों पक्षों का योग मिल जाना चाहिए। इस विधि से खतौनी की शुद्धता की जाँच की जा सकती है। यदि दोनों पक्षों का योग नहीं मिलता तो यह निश्चय है कि खतौनी में कहीं गलती है जिसे दूर किया जाना अनिवार्य है।


What-is-the-definition-of-trial-balance-in-hindi
तलपट या शेष परीक्षण

तलपट की परिभाषा


नार्थ काट के अनुसार, - “डेबिट एवं क्रेडिट के योग मिल रहे हैं। यह दिखाने के लिए सभी शेषों की जो सूची तैयार की जाती है उसे तलपट कहते हैं।" 


बाटलीबॉय के अनुसार, - “तलपट खाताबही के डेबिट तथा क्रेडिट पक्ष के शेषों को लेकर तैयार किया गया एक विवरण है, जिसका उद्देश्य खाताबही की गणित सम्बन्धी शुद्धता की जाँच करना है। 


कार्टर के अनुसार, - "शेष परीक्षण खाताबही के खातों से निकाले गये डेबिट तथा क्रेडिट दोनों शेषों की एक सूची है, जिसमें रोकड़ बही रोकड़ तथा बैंक शेष को भी सम्मिलित किया जाता है।"


पिकिल्स के अनुसार, - “वित्तीय अवधि के अंत में खातों के शेष ज्ञात किया जाता है और एक Carter सूची जर्नल के प्रारूप में जाँच करने हेतु बनायी जाती है कि डेविट का योग क्रेडिट के योग के बराबर है या नहीं। शेषों के इस प्रकार को ही शेष परीक्षण कहा जाता है।" 


एरिक एल. कोलहर के अनुसार, - “तलपट खाताबही के डेविट एवं क्रेडिट शेषों का संक्षिप्तीकरण है, जिसका उद्देश्य डेबिट एवं क्रेडिट के खतौनी की समानता तथा वित्तीय विवरण का सारांश का जानना है


उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि तलपट का शेष खाताबही के खातों से ज्ञात किये गए डेबिट तथा क्रेडिट दोनों पक्षों के योगों की एक सूची है जो खातावही के गणित संबंधित शुद्धता की जाँच करने के उद्देश्य मे एक निश्चित तिथि को तैयार की जाती है। 



तलपट की विशेषताएँ 


उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर तलपट की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -


(i) तलपट खातों को विवरण या सूची होती है, यह लेखा पुस्तक नहीं है। इस सूची में समस्त खातों के क्रेडिट व डेबिट शेषों को अलग-अलग लिखा जाता है।


(ii) तलपट खातों के शेषों का विवरण एक निश्चित तिथि से संबंधित होता है।


(iii) इस सूची में खातों के डेबिट शेषों तथा क्रेडिट शेषों की सूची पृथक-पृथक तैयार किया जाता है। 


(iv) इस सूची बनाने का प्रमुख उद्देश्य प्रारंभिक लेखों व खतौनी की गणितीय शुद्धता की जाँच करना है। 


(v) डेबिट एवं क्रेडिट शेषों के योगों का समान होना जर्नल एवं खातबही की शुद्धता का प्रमाण होता है।


(vi) तलपट बनाने की निश्चित प्रारूप होता है।


तलपट बनाने का मुख्य उद्देश्य 


तलपट बनाने के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं -


1. लेखों की गणितीय शुद्धता की जाँच करना - तलपट बनाने का प्रमुख उद्देश्य यह निश्चित करना है कि लेखा प्रविष्टियों में कोई भी गणितीय गलतियाँ नहीं है। 


2. प्रारंभिक लेखों का परीक्षण - द्वि-प्रविष्टि प्रणाली के सिद्धान्तों के अनुसार प्रत्येक व्यवहारों का जमा और नामे में लेखांकन आवश्यक है। डेबिट एवं क्रेडिट शेष के योगों का मिलना सिद्धान्त के लेखांकन प्रक्रिया में उचित उपयोग को निश्चित करता है। 


3. देनदारों एवं लेनदारों के सूची का परीक्षण - तलपट बनाने के पूर्व देनदारों तथा लेनदारों की सूची बनाई जाती है। इस सूची में त्रुटि के दशा में शेषों के योगों का मिलान नहीं होता है। अतः तलपट के मिलान द्वारा देनदारों एवं लेनदारों की सूची की सत्यता प्रमाणित हो जाती है।


4. अन्तिम खाते बनाने में उपयोगी - तलपट से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर ही व्यापारिक लाभ-हानि तथा अंतिम खातों का निर्माण संभव होता है।


5. तुलनात्मक अध्ययन में सहायक - विभिन्न तलपटों के द्वारा पिछले वर्ष के खातों के शेषों के आधार पर तुलनात्मक अध्ययन संभव होता है।


तलपट का प्रारूप

What-is-the-definition-of-trial-balance-in-hindi
तलपट का प्रारूप

उपयुक्त प्रारूप से स्पष्ट होता है कि तलपट में चार स्तंभ होते हैं।


1. खाते का नाम (Name of Account) - इस स्तम्भ में विभिन्न खातों के नाम लिखे जाते हैं, जिनके शेप खाता से लाए जाते हैं।


2. खातों की पृष्ठ संख्या (L.F.) - इस स्तंभ में खाता पुस्तक का उस पृष्ठ संख्या को अंकित किया जाता है, जिसमें संबंधित खातों को बनाया गया।


3. डेबिट रकम (Debit Amount)- इस स्तंभ में खाताबही से लाए गए डेबिट पक्ष का योग या डेबिट शेष को राशि का उल्लेख किया जाता है।


4. क्रेडिट रकम (Credit Amount) - इस स्तंभ में खाताबही से लाये गये खाते के क्रेडिट पक्ष का योग या क्रेडिट पक्ष के शेष का विवरण होता है। के शीर्षक के नीचे संबंधित तर्क एवं निर्धारित का स्पष्ट उल्लेख किया जाना आवश्यक है


तलपट तलपट बनाने की विधियाँ


तलपट की विधियों निम्नलिखित हैं -


1. योग विधि


2. शेष विधि


3. योग एवं शेष विधि


4. समान योग वाले खातों के योग छोड़कर तलपट बनाने की प्रणाली 


इन चारों प्रणालियों में प्रथम दो प्रणालियाँ ही प्रचलित हैं।


तलपट की विधि


1. योग प्रणाली - इस विधि के अन्तर्गत तलपट के निर्माण के लिए खाताबही के सभी खातों के डेविट व क्रेडिट पक्षों के योग को तलपट पर डेबिट और क्रेडिट वाले स्तंभ पर प्रदर्शित किया जाता है। खाता पृष्ठ में खाते की पृष्ठ संख्या लिखि जाती है। अंत में तलपट के डेबिट व क्रेडिट पक्षों का योग किया जाता है। दोनों पक्षों के योगों का बराबर होना खतौनी की सैद्धान्तिक तथा गणितीय शुद्धता को प्रदर्शित करता है और योग का बराबर न होना त्रुटि को प्रदर्शित करता है।


योग विधि के गुण 


(i) यह एक सरल विधि है। 

(ii) सभी खातों के योग लिखे जाते हैं, चाहे वे योग बराबर न हों। 

(iii) तलपट के योग का बराबर होना खातों की शुद्धता को स्पष्ट करता है।


योग विधि के दोष 


(i) सभी खातों का योग लगाना अनावश्यक कार्यों में वृद्धि करता है।

(ii) इसके आधार पर अन्तिम खाते तैयार नहीं किये जा सकते ।


यह विधि अधिक प्रचलित नहीं है, क्योंकि तलपट का मिलना खातों की शुद्धता को प्रकट करता है, किन्तु अंतिम खातों का आधार नहीं बन पाता। अतः व्यापारियों द्वारा सामान्यत: इस प्रणाली से तलपट का निर्माण नहीं किया जाता। 


2. शेष विधि - इस विधि से तलपट बनाने के लिए प्रत्येक खातों का डेबिट एवं क्रेडिट योगों का अन्तर निकाला जाता है। इस प्रकार डेविट शेष डेबिट खाने में और क्रेडिट शेष को क्रेडिट खाने में लिखा जाता है। जिन खातों में कोई शेष नहीं होता उन्हें तलपट में नहीं लिखा जाता। यदि दोनों खातों का योग मिल जाता है, तो खाताबही को खतौनी शुद्ध ली जाती है। 


शेष विधि के गुण


(i) शेष कम होने से समय एवं श्रम दोनों बचता है। 

(ii) समान यौग वाले खाते को न लिखने से कार्य कम हो जाता है। 

(iii) ये शेष ही अंतिम खाते बनाने के आधार होते हैं।

(iv) संख्याओं का स्वरूप छोटा होने से तलपट का योग सरलता से लग जाता है। 

(v) सभी खातों के बारे में जानकारी आसानी से लग जाती है।


शेष विधि के दोष


(i) तलपट का योग जर्नल के योग से नहीं मिल पाता।

(ii) सभी खाते तलपट में नहीं लिखे जाते अतः खातों की संख्या तलपट में लिखे खातों की संख्या से नहीं मिल पाती।

(ii) तलपट नहीं मिलने पर अशुद्धि को खोजना कठिन कार्य है। 


3. योग एवं शेष विधि - तलपट बनाने की यह नयी विधि नहीं है, वरन् हलो व दूसरी विधि का मिश्रण है। इस विधि से तलपट तैयार करने में काफी समय एवं मेहनत लगती है अतः इस विधि का प्रयोग नहीं किया जाता।


4. समान योग वाले खातों के योगों को छोड़कर तलपट बनाना - इस प्रणाली से तलपट बनाने की रीति वही है जो योग विधि की है। इस विधि में उन खातों को शामिल नहीं किया जाता जिनके दोनों पक्षों (Dr. और Cr.) के योग समान होते हैं। शेष सब खातों के दोनों ओर के योगों से पहली रीति के स्वरूप तलपट बना लिया जाता है।


प्रश्न : तलपट कब बनाया जाता है?

उत्तर : तलपट वित्तीय वर्ष के अंत में बनाया जाता है


प्रश्न : तलपट बनाने की कितनी विधि है?

उत्तर : तलपट बनाने की 4 विधि है


प्रश्न : तलपट बनाने की सबसे अच्छी विधि कौन सी है?

उत्तर : शेष विधि


प्रश्न : तलपट क्यों बनाया जाता है?

उत्तर : अंकगणित शुद्धता की जाँच करने के लिए बनाया जाता है


प्रश्न : तलपट कब बनाया जाता है?

उत्तर : तलपट वित्तीय वर्ष के अंत में बनाया जाता है

यह भी पढ़े -

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Skip Ads