पुस्तपालन का अर्थ तथा परिभाषा | Meaning of bookkeeping in hind

पुस्तपालन का अर्थ 


आधुनिक युग में मानवीय आर्थिक क्रियाओं का रूप अत्यन्त विस्तृत एवं बहुमुखी हो गया है। व्यापार व उद्योग धन्धों का बढ़ता प्रारूप तथा व्यवसाय का विस्तृत आधुनिक स्वरूप अनेक आर्थिक क्रियाओं को संपादित करता है।


सामान्यतः व्यापारिक एवं व्यावसायिक क्रियाओं का मूल उद्देश्य लाभार्जन ही है, किन्तु व्यापारी या उद्योगपति के लिए यह भी आवश्यक है कि वह व्यापारिक गतिविधियों के साथ साथ व्यापार की सफलता व असफलता या लाभ-हानि व आर्थिक स्थिति का भी मूल्यांकन करता रहे। इसके लिए ही वह पुस्तपालन तथा लेखांकन (Book-keeping and Accountancy) की प्रविधि का व्यापक उपयोग करता है। 


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पुस्तपालन

लेखांकन पुस्तकों को व्यवस्थित बनाकर ही व्यापारिक संस्थाओं को अपनी आर्थिक स्थिति व लाभ-हानि की जानकारी प्राप्त होती है। यद्यपि पुस्तपालन व लेखाकर्म प्रत्येक व्यापारियों के लिए अनिवार्य नहीं होते, लेकिन वे इसके बिना अपना कार्य सफलतापूर्वक संचालित नहीं कर सकते। 



लेखा पुस्तकों के माध्यम से व्यापारी को व्यवसाय में क्रय-विक्रय की जानकारी देनदारियों व लेनदारियों का विवरण, व्यापारिक संपत्तियों का प्रयोग, मूल्य हास तथा वर्तमान मूल्य तथा व्यापारिक क्रियाओं द्वारा होने वाली लाभ-हानि की जानकारी प्राप्त होती है जो व्यापार संचालन के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।


पुस्तपालन के जनक 


पुस्तपालन की प्रथम पुस्तक के लेखक तथा पुस्तपालन के जनक लुकास पेसिओली है


पुस्तपालन का अर्थ व परिभाषाए


पुस्तपालन का अर्थ (Meaning of Book-keeping) पुस्तपालन अंग्रेजी के शब्द बुक-कीपिंग (Book-keeping) का समानार्थक है जिसका शाब्दिक अर्थ है 'पुस्तकों को रखना।' पुस्तकों को रखने से आशय व्यापारिक व्यवहारों या लेन-देनों को कुछ निश्चित लेखा पुस्तकों में समुचित ढंग से लिखने से है। 



पुस्तपालन का संबंध व्यापारिक लेनदेनों के मौद्रिक पहलू (Monetary aspect) के लेखांकन से है तथा इन लेन-देनों या व्यवहारों के पुस्तकों में लिखने के कुछ निश्चित नियम तथा उद्देश्य होते हैं, जिनका पालन लेखा करते समय किया जाता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि पुस्तपालन वह विज्ञान तथा कला है, जिसमें व्यापारिक व्यवहारों के मौद्रिक पहलू का लेखा कुछ निश्चित नियमों के अनुसार किया जाता है।


पुस्तपालन की परिभाषाए 


जे. आर. बाटलीबाय - “व्यापारिक व्यवहारों को उचित पुस्तकों में लिखने की कला व विज्ञान पुस्तपालन है।"


स्पाइसर व पेगलर - "पुस्तपालन व्यापारिक लेनदेनों को मुद्रा रूप में खातों में लिखने की कला है।" 


जिमी कार्टर - "पुस्तपालन वह विज्ञान व कला है जिसके अनुसार, मुद्रा व माल के सभी लेनदेनों का लेखा हिसाब की पुस्तकों में किया जाता है।" 


रौलेण्ड -  "पुस्तपालन से आशय सौदों को कुछ निश्चित सिद्धांतों के आधार पर लिखना है।"


उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि, पुस्तपालन वह विज्ञान एवं कला है जिसके माध्यम से व्यापारिक व्यवहारों, व्यापारिक तथा आर्थिक लेनदेनों के मौद्रिक पहलुओं का लेखा निर्धारित पुस्तकों में सुनिश्चित प्रणाली के आधार पर नियमानुसार किया जाता है, जिसके आधार पर व्यापार के आर्थिक स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है।


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