बहुराष्ट्रीय कंपनियां का अर्थ व परिभाषा एवं विशेषता क्या है?

बहुराष्ट्रीय कंपनियां का अर्थ व परिभाषा एवं विशेषता
बहुराष्ट्रीय कंपनियां का अर्थ व परिभाषा एवं विशेषता


बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का उदय आर्थिक क्षेत्र में दूसरा विश्व युद्ध के बाद हुआ। इस समय इन्हें बहुराष्ट्रीय निगमों, अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनियाँ, ग्लोबल व्यवसाय, अंतर्राष्ट्रीय निगम आदि नामों से पुकारा जाता था। बहुराष्ट्रीय कम्पनी एक ऐसी कंपनी या उद्यम होती है जो एक से अधिक देशों में फैली रहती है तथा जिसका उत्पादन तथा सेवायें उस देश के बाहर भी होती है जिसमें वह जन्म लेती है। अन्य शब्दों में बहुराष्ट्रीय निगम से अभिप्राय उन विशाल अल्पाधिकारी कंपनियों से है। जिनकी फैक्ट्रियों और बिक्री व्यवस्था का जाल विश्व के सारे देशों में फैला हुआ होता है। साथ ही ये अपने व्यवसाय से अधिक लाभ अर्जित करने का प्रयास करते हैं। 

संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के अनुसार यह निगम निजी, सहकारी अथवा सरकारी स्वामित्व वाले भी हो सकते हैं। इनके उत्पादन की तकनीक बहुत उन्नत होती है। तथा इनकी प्रसिद्ध विश्व के काफी देशों में फैली हुई होती है। इसीलिये इन निगमों की वस्तुयें आसानी से बिक जाती है। आज संयुक्त राज्य अमेरिका में सर्वाधिक बहुराष्ट्रीय कंपनियां कार्यरत है। जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, जापान, फ्रांस, इटली, स्विट्जरलैंड तथा आस्ट्रेलिया का क्रम आता है। वर्तमान समय में विश्व व्यापार का 40% प्रतिशत इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा संचालित होता है। 


बहुराष्ट्रीय कंपनियां की परिभाषा 


डॉ. जैस्कीन मैसोनरोजी के अनुसार : “एक बहुराष्ट्रीय निगम वह है जिसका कार्य संचालन विभिन्न राष्ट्रों में होता हो, उन राष्ट्रों का शोध, विकास एवं निर्माण में योगदान हो, उनका प्रबंधन बहुराष्ट्रीय हो एवं स्वामित्व भी बहुराष्ट्रीय हो ।”


प्रो. डेविड डब्ल्यू इरविन के शब्दों में : “एक कम्पनी जो बहुत से राष्ट्रों में उत्पादन कार्य करती है, विपणन सुविधाएं प्राप्त करती है, विश्वव्यापी पूंजी का उपयोग करती है, विदेशी आय पर निर्भर होती है और जिसका विश्वव्यापी दृष्टि से-प्रबंध किया जाता है।


"आई. बी. एम. वलई ट्रेड कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष के अनुसार : एक बहुराष्ट्रीय निगम वह है जो


(i) अनेक देशों में कार्य करता है,

(ii) उन देशों में अनुसंधान, विकास व निर्माण का कार्य करता है, 

(iii) जिसका बहुराष्ट्रीय प्रबन्ध होता है 

(iv) जिसका स्कन्ध स्वामित्व बहुराष्ट्रीय होता है।”


उपर्युक्त परिभाषाओं के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि बहुराष्ट्रीय निगम से आशय ऐसे निगम से होता है जो जनक कंपनी के नियंत्रण में उसकी शाखा या सहायक कम्पनी आदि के रूप में विभिन्न राष्ट्रों में व्यवसाय संचालित करता है। इस प्रकार फर्म का आधार एक देश में होता है और वह अन्य देशों में वहाँ के नियमों व कानूनों के अनुसार कार्य करता है। शब्दों में बहुराष्ट्रीय निगम वह है जो अनेक देशों में कार्य करता है। उन देशों में अनुसंधान विकास एवं निर्माण का कार्य कर है जिसका प्रबन्ध बहुराष्ट्रीय होता है तथा पूंजी स्वामित्व बहुराष्ट्रीय होता है। अंत में संक्षेप में कहा जा सकता है कि "बहुराष्ट्रीय निगम एक उद्यम है जिसकी क्रियाएँ अपने देश से बाहर अनेक देशों तक फैली रहती है।" 


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भारत  की 10 बहुराष्ट्रीय कंपनी के नाम 


  • आईबीएम 
  • माइक्रोसॉफ्ट 
  • नोकिया कॉर्पोरेशन 
  • पेप्सी कंपनी 
  • रैनबैक्सी लेबोरेटरीज लिमिटेड 
  • रीबॉक इंटरनेशनल लिमिटेड 
  • सोनी 8 टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज 
  • वोडाफोन 
  • टाटा मोटर्स लिमिटेड


बहुराष्ट्रीय कम्पनियों / निगमों की विशेषताएं


इस प्रकार के निगमों या कंपनियों की महत्वपूर्ण विशेषता यह होती है कि इनके प्रमुख निर्णय पूरे विश्व के सन्दर्भ एक साथ किये जाते हैं। साथ ही साथ यह निगम अपने अधिकतम लाभ के उद्देश्य से उन सामाजिक तथा राजनीतिक आलोचनाओं की चिंता नहीं करते हैं जो इन्हें विभिन्न देशों में झेलनी पड़ती है। इसलिए कहा जाता है कि, "एक ऐसी कम्पनी जिसके कार्यक्षेत्र का विस्तार एक से अधिक देशों में होता है तथा जिसका उत्पादन एवं सेवा सुविधायें उस देश के बाहर भी होती है जिसमें वह जन्म लेती है इसको अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनी अथवा बहुराष्ट्रीय निगम कहा जाता है। इस प्रकार की कंपनियों की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्न प्रकार हैं


1. अन्तर्राष्ट्रीय कार्य विधि - 


बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की प्रथम विशेषता यह है कि इनकी क्रियाएं किसी एक राष्ट्र में सीमित न होकर अनेक राष्ट्रों तक फैली हुई होती है। इस प्रकार के निगम का नियंत्रण एक ही संस्था के हाथ में होता है। अन्य शब्दों में इसका मूल संगठन एक देश में होता है, जबकि शाखाएं विभिन्न देशों में फैली होती है। इस प्रकार शाखाओं के ऊपर विदेशी जनक कम्पनी का पूर्ण नियन्त्रण होता है। अतएव स्वामित्व तथा नियन्त्रण के बीच समन्वय स्थापित रहता है।


2. स्वाभाविक उद्गम -


बहुराष्ट्रीय निगम सामान्यतया स्वाभाविक रूप से विकसित होते हैं। इसके लिये किसी पूर्व नियोजन की आवश्यकता नहीं होती है। अन्य शब्दों में, इन बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का प्रायः धीरे-धीरे स्वयं विकास होता है। प्रायः यह देखा गया है कि कई बार अच्छी व्यापारिक दशाओं को देखते हुए बहुराष्ट्रीय निगम अनेक देशों में अपनी शाखाओं की स्थापना कर लेते हैं। यही कारण है कि बहुत सी फर्मे समय के साथ अंतर्राष्ट्रीय रूप धारण कर लेती है।


3. साधनों का हस्तांतरण -


इन निगमों की एक अन्य विशेषता यह भी पायी जाती है कि ये अपने साधनों को सहायक कंपनियां एवं शाखाओं में हस्तांतरित कर देते हैं। साथ ही साथ ये कंपनियां अपनी तकनीक, प्रबन्धकीय सेविवर्ग, कच्चा पक्का माल आदि को सहायक कंपनियों व शाखाओं को आसानी से हस्तांतरित कर देती हैं। इसलिए कहा जाता है कि बहुराष्ट्रीय निगम के पास आधुनिकतम तकनीकों तथा प्रबन्ध व कुशल वित्तीय व्यवस्था का एक अनोखा सम्मिश्रण होता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां संसाधनों के बहुराष्ट्रीय स्थानान्तरण को सम्भव बनाती हैं।"


4. वृहत आकार -


इन निगमों की चौथी विशेषता यह है कि ये वृहत आकार के होते हैं। इन परिसंपत्तियों का मूल्य खरबों डालरों में होता है तथा इन्हें असाधारण लाभ प्राप्त होते हैं। उदाहरणार्थ, जनरल मोटर कम्पनी को वार्षिक आय कई देशों की आय से अधिक होती है। इसी प्रकार ITT की 67 देशों में 708 शाखाएं हैं जो 6 महाद्वीपों में फैली हुई हैं। यह संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे बड़ा बहुराष्ट्रीय निगम है जिसके पास अपने राष्ट्र का लगभग एक तिहाई विदेशी विनिमय पाया जाता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि इनका आकार वृहद होता है।


5. अल्पाधिकारात्मक ढाँचा -


संविलियन अथवा नियंत्रण को प्रक्रिया को सहायता से कुछ ही समय में बहुराष्ट्रीय निगम शक्तियां बहुत हो जाती है। शक्ति के केन्द्रीयकरण तथा वृहत आकार मिलकर एक बहुराष्ट्रीय निगम को अल्पाधिकारात्मक स्वरूप प्रदान करते हैं। इससे कंपनियों को उत्पादन तथा बाजार पर एकाधिकार प्राप्त हो जाता है। अब कंपनियां अपनी इच्छानुसार कीमत को प्रभावित करके अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकती है।


उपर्युक्त परिभाषाओं तथा विशेषताओं के आधार पर कहा जा सकता है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां ऐसी कंपनियां होती है जिनकी कार्य करने की सीमाएं विभिन्न देशों में पायी जाती है। अन्य शब्दों में ऐसी कम्पनी अपनी सेवायें उस राष्ट्र से बाहर भी प्रदान करती है जिसमें यह जन्म लेती है। भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का प्रवेश ब्रिटिश शासन में हो गया था। इस काल में ब्रिटिश कंपनियों ने जूट, चाय, तथा रबड़ जैसे उद्योगों में पूंजी निवेश के साथ ही सार्वजनिक कल्याण की संस्थाओं में भी रुचि दिखायी थी। ब्रिटेन के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, यूगोस्लाविया, इटली, स्विट्जरलैंड आदि राष्ट्रों की बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी भारतीय उत्पाद के अनेक क्षेत्र में स्थापित है।


बहुराष्ट्रीय कंपनियों की स्थापना के निम्नलिखित कारण पाये जाते हैं


1. बाजार सीमाओं का विस्तार

2. विपणन के क्षेत्रों में श्रेष्ठता 

3. तकनीकी श्रेष्ठता

4. वित्तीय श्रेष्ठता

5. नवीन उत्पादों का विकास 


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