दोस्तों आज इस आर्टिकल में विज्ञापन के कार्य को जानेंगे, विज्ञापन आज के वर्तमान स्थिति में प्रतिस्पर्धा और बाजार के अनुरूप बदलना पड़ता है इसलिए आज के समय में विज्ञापन बहुत जरूरी हो गया है विज्ञापन लोगों को नए उत्पाद के बारे में और उत्पाद की उपयोगी जानकारी सही समय में उन तक पहुंचे इसलिए विज्ञापन करना जरूरी है,तो चलिये जानते है विज्ञापन के कार्य को विस्तार से
विज्ञापन का कार्य क्या है?
1. बिक्री में वृद्धि करना -
विज्ञापन का एक प्रधान उद्देश्य उपभोक्ताओं की संख्या में वृद्धि करना होता है। इससे उत्पादन में वृद्धि होती है। साथ ही साथ उत्पादन में वृद्धि होने से इसकी लागत में कमी होती है तथा वस्तुयें कम कीमत में मिलने लगती है। इसलिये कहा जाता है कि विज्ञापन से वस्तुओं की बिक्री बढ़ती है।
2. मध्यस्थों की सहायता करना -
विज्ञापन का एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य मध्यस्थों की सहायता करना भी होता है। प्रत्येक उत्पादक वस्तुओं को बाजार में लाने से पूर्व ही अपनी वस्तुओं का विज्ञापन करके माँग उत्पन्न कर देता है। इस प्रकार मध्यस्थों को बाजार का पूर्ण ज्ञान होता है तथा उन्हें वस्तु की पूर्ति करने में आसानी हो जाती है।
3. बिक्री का बीमा -
विज्ञापन एक प्रकार का बीमा है। निरंतर विज्ञापन होते रहने के कारण उपभोक्ताओं को पता चल जाता है कि अमुक वस्तु अच्छी है। इससे इस वस्तु के प्रति उपभोक्ता की मांग उत्पन्न होती है। इस प्रकार वस्तु की लोकप्रियता तथा माँग दोनों में वृद्धि होती है। यही बिक्री बीमा है।
4. उपयोग में वृद्धि -
चूँकि विज्ञापन से माँग तथा बिक्री में वृद्धि होती है इसलिये इस सम्बन्ध में यह कहा जाता है कि विज्ञापन उपभोग में वृद्धि करने का एक उत्तम साधन माना जाता है। यही कारण है कि विज्ञापन की जाने वाली वस्तुओं की मांग सतत् कायम रहती है। इससे उत्पादन कार्य बराबर चलता रहता है।
5. ग्राहकों की रुचि बनाए रखना -
विज्ञापन उपभोक्ताओं की रुचि को बनाए रखने में भी सहायक होता है। इसके माध्यम से वस्तुओं के गुणों को विभिन्न प्रकार तथा ढंगों से उपभोक्ताओं को अवगत कराया जाता है। इस प्रकार उपभोक्ताओं के ज्ञान में वृद्धि के साथ-साथ उनकी रुचि भी कायम रहती है।
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6. विक्रय बाधाओं को दूर करना -
विज्ञापन विक्रय की बाधाओं को भी दूर करने में सहायक होता है। यहीं नहीं विज्ञापन लोगों को गलत तथा अनूठी अफवाहों से सावधान भी करता है। इसलिए कहा जाता है कि किसी वस्तु के बारे में फैलाई गये गलत बातों का विज्ञापन से लोगों को स्पष्ट रूप से पता चल जाता है।
7. मध्यस्थों की प्राप्ति का साधन -
जब किसी वस्तु का विज्ञापन लगातार किया जाता है तो बहुत से थोक व्यापारी इस वस्तु की एजेंसी प्राप्त करना चाहते हैं। वे स्वयं उत्पादक से सम्पर्क स्थापित करते हैं। इस प्रकार विज्ञापन मध्यस्थों को मिलाने में सहायक होता है।
8. नवीन बाजारों का विकास -
विज्ञापन उत्पादकों को उनकी वस्तुओं के विक्रय के नये-नये क्षेत्रों या बाजारों की खोज करने में सहायक होता है। इससे उत्पादक को नये-नये बाजारों का ज्ञान होता है। इससे बिक्री के बाजार का विस्तार होता है तथा माँग का क्षेत्र व्यापक होता है।
9. परिवर्तनों के सम्बन्ध में सूचना -
कभी-कभी उत्पादकों को अपनी उत्पादन नीतियों में उपभोक्ताओं की रुचि, जलवायु या मौसम के अनुसार परिवर्तन करना पड़ता है। इस कार्य में विज्ञापन उत्पादकों की सहायता करता है। यह सूचना समाज के लोगों को भी मिलती है।
10. वस्तु की श्रेष्ठता में विश्वास -
विज्ञापन वस्तु की श्रेष्ठता के प्रति भी जनता के मस्तिष्क में विश्वास उत्पन्न करने में सहायक होता है। प्रायः यह कहा जाता है कि जो वस्तु जितने बड़े पैमाने पर दूर-दूर स्थानों तक विज्ञापित की जाती है उस पर उतना ही अधिक विश्वास होता है।
11. उपभोक्ताओं को संतुष्ट रखना -
ग्राहकों के भ्रम तथा गलत भावनाओं को दूर करने में विज्ञापन सहायक सिद्ध होता है। साथ ही साथ वह ग्राहकों की रुचि भी बढ़ाता है। इसलिए कहा जाता है कि विज्ञापन का सदैव यह प्रयास होता है कि उसकी वस्तु की प्रशंसा इस प्रकार होती रहे ताकि उपभोक्ता में उसके प्रति सन्तुष्टि बनी रहे।
12. सम्बन्धित व्यवसायों का विकास -
विज्ञापन से सम्बन्धित अन्य प्रकार के उद्योग-धंधों के विकास में भी सहायता प्राप्त होती है। इस कार्य से लोगों को रोजगार प्राप्त होते हैं तथा अन्य प्रकार की विविध क्रियाओं का विकास होता है।
13. जीवन स्तर में वृद्धि -
विज्ञापन नई-नई वस्तुओं की जानकारी लोगों को प्रदान करता है तथा लोगों को उपभोग करने के लिये प्रेरित भी करता है। इससे लोगों के जीवन स्तर में सुधार आता है। वे पहले से श्रेष्ठ वस्तुओं का सेवन करने लगते
14. सामाजिक ज्ञान में वृद्धि -
विज्ञापन समाज में रहने वाले लोगों के ज्ञान में वृद्धि करने में सहायक होता है। बार बार किसी वस्तु के विज्ञापन किये जाने के फलस्वरूप लोगों को पता चलता है कि यह वस्तु किन-किन बातों में श्रेष्ठ है।
15. आशावादी वातावरण -
विज्ञापन समाज में एक आशावादी वातावरण उत्पन्न करने में सहायक होता है। लोगों को नई-नई उपभोग की जाने वाली वस्तुओं को प्राप्त करने का सुअवसर प्राप्त होता है। इससे आर्थिक प्रयास बढ़ता है तथा आशावादी वातावरण उत्पन्न होता है।
16. रोजगार के अवसर बढ़ाना -
विज्ञापन से समाज में रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है। विभिन्न प्रकार के कलाकारों तथा मुद्रकों एवं उत्पादन करने वाले श्रमिकों को रोजगार प्राप्त होता है। इसके फलस्वरूप आर्थिक उन्नति को बढ़ावा मिलता है।
17. कार्य करने की प्रेरणा -
विज्ञापन मांग में वृद्धि के साथ-साथ इसे बराबर कायम रखने में सहायता करता है। इससे उत्पादन में वृद्धि तथा लागत में कमी आती है। फलस्वरूप उपभोक्ताओं को अधिक वस्तुएं खरीदने की प्रेरणा मिलती हैं।
18. उपभोक्ताओं की स्मरण शक्ति में वृद्धि -
बार-बार विज्ञापन करने से लोगों को वस्तुओं का नाम पहले की तुलना में अधिक याद आने लगता है। लोगों को इस बात पर किसी विशेष परिश्रम करने की आवश्यकता नहीं होती है।
19. उत्पादन एवं उपभोग में वृद्धि -
विज्ञापन उत्पादन तथा उपभोग में वृद्धि करने में सहायक होता है। इसके माध्यम से विक्रय व मांग में वृद्धि होती है। इससे वस्तु की उत्पादकता को बढ़ाना पड़ता है। इससे मजदूरी में भी वृद्धि होती है। इस प्रकार विज्ञापन उत्पत्ति तथा उपभोग को बढ़ाने में सहायक होता है।
उपर्युक्त कार्य के आधार पर कहा जा सकता है कि आज के समय में विज्ञापन अनिवार्य हो गया है। वास्तव में विज्ञापन मानव जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। इससे न केवल उत्पादक, बल्कि उपभोक्ता, मध्यस्थ, विज्ञापन एजेंसियां, समाज, सरकार एवं अर्थव्यवस्था आदि सभी पक्ष लाभ प्राप्त करते हैं। अतएव यह कहना सत्य है कि, "जहाँ कहीं हम हैं, विज्ञापन हमारे पास है।"
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