एक अच्छी फाइलिंग प्रणाली के गुण

छोटे तथा बड़े पैमाने के व्यापारों द्वारा आकार, क्षेत्र एवं स्वरूप के अनुसार अलग अलग फाइलिंग विधियाँ उपयोग में लागी जाती हैं।


एक व्यापार गृह के लिये आदर्श फाइलिंग प्रणाली का चुनाव करते समय व्यापार की प्रकृति, स्वरूप एवं आवश्यकता, पत्रों की संख्या, आर्थिक स्थिति, व्यापार की प्रगति एवं विस्तार की सम्भावना आदि बातों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना चाहिये। इसीलिये कहा जाता है कि एक आदर्श नस्तीकरण विधि में निम्नलिखित गुण होने चाहिए।


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फाइलिंग प्रणाली के गुण


1. सरलता -


फाइलिंग की जो प्रणाली उपयोग में लायी जाये वह अत्यन्त सरल होनी चाहिये ताकि एक सामान्य वृद्धि वाला व्यक्ति भी उसका प्रयोग कर सके। यदि उसमें किन्हीं ऐसे यन्त्रों का उपयोग करना पड़ता है जो केवल विशेषज्ञ ही कर सकता है, तो ऐसी व्यवस्था व्यापारी के लिये भार सिद्ध हो सकती है। 


इसीलिये कहा जाता है कि नस्तीकरण व्यवस्था इतनी सरल होनी चाहिये कि कोई भी व्यक्ति बिना किसी कठिनाई के पत्रों को निकाल सके तथा पुनः उन्हें यथास्थान पर आसानी से रख सके। यह सरलता फाइलिंग का एक विशेष गुण है।


2. पत्रों की सुरक्षा - 


फाइलिंग का मूल उद्देश्य पत्रों की सुरक्षा करना होता है। एक अच्छी फाइलिंग अतएव ऐसी प्रणाली का उपयोग किया जाना चाहिये जिसमें पत्रों को पूर्ण रूप से सुरक्षित रखने की व्यवस्था पायी जाती हो। 


यदि ऐसा नहीं किया गया तो पत्रों पर धूल तथा मिट्टी जम जायेगी अथवा दीमक, कीड़े मकोड़े तथा चूहे नष्ट कर सकते हैं। इसी प्रकार फाइलिंग में ताले की व्यवस्था होनी चाहिये ताकि कोई भी अनाधिकृत व्यक्ति पत्रों को प्राप्त न कर सके। यही सुरक्षा का आशय होता है। अतएव एक उत्तम नस्तीकरण वही होती है, जो पत्रों को सुरक्षित रखने के कार्य कर सकती है।"


3. न्यूनतम स्थान - 


एक श्रेष्ठ फाइलिंग प्रणाली वही कही जाती है जो कम से कम स्थान घेरती या लेती है। इसका कारण यह होता है कि बड़े-बड़े नगरों में प्राय: स्थान का अभाव होता है। इन नगरों में व्यापारी व्यापार वृद्धि के साथ-साथ उसी अनुपात में फाइलिंग के लिये स्थान वृद्धि नहीं कर पाता है। इसीलिये कहा जाता है कि नस्तीकरण ऐसी होनी चाहिये जो कम से कम स्थान घेरे तथा कम से कम स्थान में अधिकाधिक पत्रों को सुरक्षित प्रकार से रखा जा सके।


4. शीघ्रता तथा निश्चितता -


फाइलिंग प्रणाली में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिये कि फाइल करने वाले व्यक्ति को पता होना चाहिये कि किस व्यक्ति से प्राप्त पत्र किस फाइल में किस स्थान पर होगा। इससे आवश्यकता पड़ने पर पत्रों को शीघ्र से शीघ्र निकाला जा सकता है तथा उन्हें पुनः यथा स्थान पर रखा जा सकता है। 


एक बड़े व्यापारिक कार्यालय में जहाँ पत्र बहुत बड़ी संख्या में आते है ऐसी ही फाइलिंग प्रणाली का प्रयोग किया जाना चाहिये ताकि नस्तीकरण में अधिक समय न लगे। इसका कारण यह है कि व्यापारी के लिये समय ही धन होता है। अतएव नस्तीकरण की विधि इस प्रकार की होनी चाहिये जिससे कोई भी व्यक्ति थोड़े ही समय में पत्रों को आसानी से निकाल सके।



5. मितव्यतिता -


नस्तीकरण की आदर्श विधि में अन्य लक्षणों के साथ-साथ इसमें मितव्यतिता का भी गुण पाया जाना चाहिये। वास्तव में फाइलिंग नस्तीकरण व्यवस्था इस प्रकार की होनी चाहिये कि यह व्यापार की आर्थिक उन्नति के अनुकूल हो। कहने का तात्पर्य यह है कि छोटे व्यापार गृह के लिये सस्ती तथा वृहत व्यापार के लिये मूल्यवान फाइलिंग प्रणाली उपयुक्त होती है। 


अन्य शब्दों में, नस्तीकरण में व्यापार के अनुसार व्यय होना चाहिये, क्योंकि अधिक व्यय होने से व्यापार में हानि की सम्भावना बढ़ जाती है जो व्यापार के हित में नहीं होता है।


6. लोच -


प्रायः यह देखा गया है कि व्यापार सदैव एक समान नहीं रहता है। इसमें पर्याप्त उतार चढ़ाव होते रहते हैं। अतएव यह कहना उचित होगा कि व्यापार में कमी तथा वृद्धि होने के साथ-साथ फाइलिंग व्यवस्था में घटती तथा बढ़ती होते रहना चाहिये। 


यदि नस्तीकरण में लोच नहीं पायी जाती है तो व्यापारी को इसे बार-बार बदलना पड़ेगा। इससे समय तथा धन दोनों की बर्बादी होने की सम्भावना पायी जाती है। यदि फाइलिंग प्रणाली व्यापार के विस्तार के साथ-साथ बढ़ाई नहीं जा सकती है तो व्यापार को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।


7. अनुकूलता - 


व्यापार की आवश्यकताओं के अनुसार प्रणाली का चुनाव किया जाना चाहिये। कहने का तात्पर्य यह है कि कम पत्रों के छोटी तथा अधिक संख्या के पत्रों के लिये कोई बड़ी प्रणाली का चुनाव किया जाना चाहिये। अन्य शब्दों में छोटे व्यापार में छोटी फाइलिंग व्यवस्था तथा बड़े व्यापार में बड़ी फाइलिंग व्यवस्था का उपयोग किया जाना उपयुक्त माना जाता है। 


अतएव यह कहना गलत न होगा कि नस्तीकरण की आदर्श प्रणाली वह होती है, जो व्यापार की आवश्यकता के अनुकूल हो। यही फाइलिंग के सन्दर्भ में अनुकूलता या उपयुक्तता का अभिप्राय होता है।


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