साहस का अर्थ
उत्पादन कार्य में अनेक प्रकार की जोखिमें पायी जाती हैं। इन जोखिमों को जो व्यक्ति वहन करता है, उसे साहसी कहा जाता है।
वर्तमान समय में उत्पादन का कार्य भविष्य की माँग के अनुसार किया जाता है, किन्तु भविष्य में जितनी माँग की आश की जाती है, उससे यदि माँग कम हो जाती है तो उत्पादनकर्ता को लाभ के बजाय हानि होती है।
इसी प्रकार सम्भव है कि कोई उत्पादक किसी नवीन आविष्कार के माध्यम से उत्पादन व्यय को कम करने में सफल हो जाता है तो इसका भी अन्य उत्पादकों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। ये तमाम अनिश्चिततायें आज की उत्पादन प्रणाली में पायी जाती हैं।
इसीलिये कहा जाता है कि प्रत्येक व्यवसाय में कुछ न कुछ जोखिम तथा अनिश्चितता पायी जाती है। व्यवसाय की यह जोखिम तथा अनिश्चितता को जो वहन करता है, उसे साहसी या जोखिमकर्ता कहा जाता है।
कुछ अर्थशास्त्री व्यवस्था तथा को एक साधन मानते हैं, किन्तु आधुनिक उत्पादन प्रणाली में विभिन्न प्रकार की जोखिमों की प्रधानता के कारण साहसी का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है। चूँकि जोखिम उठाना एक आवश्यक तथा महत्वपूर्ण कार्य है, इसीलिये साहस को उत्पादन का एक पृथक साधन मानना उचित है।
साहस की परिभाषा
प्रो. हाल के अनुसार, - "उत्पत्ति में जोखिम उठाने वाला साधन साहसी होता है।"
डॉ. नाइट के शब्दों में, - “अनिश्चितता वहन करना न कि जोखिम उठाना साहसी का प्रधान कार्य है।”
प्रो. जे. के. मेहता के मतानुसार, - “उत्पादन में सदा जोखिम रहता है। इस जोखिम से होने वाली हानि को किसी व्यक्ति को अवश्य ही सहन करना होगा। जो व्यक्ति इस हानि को वहन करता है, वही साहसी कहलाता है।”
उपर्युक्त परिभाषाओं के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि प्रत्येक व्यवसाय में किसी न किसी प्रकार की जोखिम या अनिश्चितता होती है। व्यवसाय में जोखिम उठाने वाला व्यक्ति ही आगे बढ़ता है। जब तक साहसी जोखिम को वहन करने लिये आगे नहीं आते हैं, तब तक उद्योग तथा व्यवसाय को प्रारंभ नहीं किया जा सकता है।
वर्तमान समय में उत्पादन की जटिलताओं के कारण व्यवसाय में जोखिम की मात्रा बढ़ गयी है। यहीं नहीं देश के आर्थिक विकास में साहस तथा कुशल साहसी की उपलब्धि से देश का आर्थिक विकास तथा उन्नति तीव्र गति से होती है। विकसित देशों में जो प्रगति हुई है उसका कारण कुशल तथा प्रशिक्षित साहसियों की उपलब्धि है जबकि विकासशील देशों में योग्य साहसियों का अभाव पाया जाता है।
डॉ. शूम्पीटर के शब्दों में, - “एक विकसित देश में उस व्यक्ति को साहसी कहते हैं जो आर्थिक विश्लेषण में किसी नवीन विधि का सर्वप्रथम प्रयोग करता है।"
साहसी के कार्य
एक साहसी आज की उत्पादन व्यवस्था में निम्नलिखित कार्य करता है -
1. जोखिम सम्बन्धी कार्य - साहसी का प्रथम कार्य जो सबसे अधिक महत्व रखता है, वह उत्पादन व्यवस्था की अनिश्चितता या जोखिम को सहन करना है। वर्तमान समय में उत्पादन कार्य अत्यन्त जटिल हो गया है।
आज बाजार की माँग पर ही उत्पादन की मात्रा निर्भर करती है, किन्तु यह भी सम्भव है कि यह अनुमान गलत निकले। ऐसा उत्पादन में अनिश्चितता के कारण होता है। इस कारण उत्पादन को हानि हो सकती है। अतएव साहसी का यह कार्य होता है कि उत्पादन में होने वाली इस हानि के प्रति सदैव सतर्क रहे।
2. निर्णयात्मक कार्य - साहसी के कुछ निर्णयात्मक कार्य भी पाये जाते हैं। इसके अन्तर्गत बातों तथा तथ्यों का अध्ययन किया जाता है, जो एक साहसी को अपना व्यापार प्रारंभ करने के पूर्व लेने पड़ते हैं।
3. प्रबन्धकीय कार्य - एक साहसी को कुछ प्रबन्धकीय तथा प्रशासनिक कार्य भी करने पड़ते हैं, साहसी का यह कार्य सर्वोपरि स्थान रखता है। वह स्वयं भी एक प्रबन्धक के रूप में कार्य करता है। यही नहीं वह प्रबन्ध व्यवस्था के सम्बन्ध में निर्णय लेता है, तथा वही महत्वपूर्ण कर्मचारियों की नियुक्ति करता है। इस रूप में उसका कार्य महत्वपूर्ण माना जाता है।
4. विवरणात्मक कार्य - उत्पादन के विभिन्न साधनों के पारिश्रमिक के भुगतान के कार्य भी साहसी के द्वारा किये जाते हैं। वह भूस्वामी को लगान, श्रमिकों को मजदूरी, पूँजीपति को ब्याज पूर्व निर्धारित शर्तों पर देने की व्यवस्था करता है। व्यापार अथवा उत्पादन कार्य में लाभ-हानि का साधनों के पुरस्कार से कोई सम्बन्ध नहीं होता है। अतएव साहसी का यहाँ विवरणात्मक कार्य होता है।
एक अच्छे साहसी के गुण
एक सफल तथा अच्छे साहसी में निम्नलिखित गुण पाये जाने चाहिए -
1. यथार्थता या शुद्धता - साहसी को यथार्थवादी होना चाहिए। इसका सबसे बड़ा गुण अपने व्यवसाय के सम्बन्ध में शुद्ध एवं सही निर्णय लेना होता है। इसीलिए कहा जाता है कि एक साहसी को इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि वह क्या कर रहा है तथा उसके इस निर्णय का उसके व्यवसाय पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है।
2. दूरदर्शिता - एक अच्छे साहसी में भविष्य के सम्बन्ध में सही-सही अनुमान लगाने की क्षमता का पाया जाना नितान्त आवश्यक होता है। उसे बाजार की गतिविधियों तथा मूल्य में परिवर्तनों के सम्बन्ध में अनुमान लगाकर दूरदर्शिता के आधार पर व्यवसाय को नीति निर्धारित करने का प्रयास करना चाहिए। वास्तव में उसे भविष्यवक्ता होना चाहिए।
3. समय का उचित ज्ञान - एक सफल साहसी को सदैव समय का ध्यान रखना चाहिए। आधुनिक उत्पादन व्यवस्था विभिन्न कार्यों की एक श्रृंखला रहती है। ये विभिन्न कार्य एक-दूसरे से सम्बन्धित होते हैं। इस कारण इनमें से किसी एक कार्य को स्थगित करके दूसरे कार्य को किया जाना सम्भव नहीं होता है। अतएव यह आवश्यक हो जाता है कि प्रत्येक कार्य को यथा सम्भव ठीक समय पर सम्पन्न किया जाये।
4. सतर्कता - एक सफल तथा दूरदर्शी साहसी को विश्व में होने वाले दिन-प्रतिदिन नये-नये परिवर्तन से सम्पर्क बनाये रखना चाहिए। आज के गतिशील युग में उत्पादन प्रणाली में दिन प्रति दिन नये-नये आविष्कार तथा परिवर्तन होते रहते हैं। इन परिवर्तनों का उत्पादन की व्यवस्था पर काफी प्रभाव पड़ता है। अतएव एक साहसी को इसको सतत् जानकारी प्राप्त करते रहना चाहिये।
5. आत्मविश्वास - एक साहसी की योग्यता तथा कुशलता आत्मविश्वास पर भी निर्भर करती है। अतएव उसे अपने किये जाने वाले कार्यों की सफलता के प्रति पूर्ण विश्वास होना चाहिये। साथ ही साथ उसे मन्दी तथा अन्य संकटों के समय घबराना नहीं चाहिये। इसीलिये कहा जाता है कि ऐसे समय में आत्मविश्वास के साथ कार्य करना चाहिये।
6. ईमानदारी - एक व्यवसाय की सफलता वास्तव में ईमानदारी पर निर्भर करती है। एक ईमानदार साहसी सदैव श्रमिकों तथा उपभोक्ताओं का विश्वास प्राप्त करता है। इसीलिये कहा जाता है कि ईमानदारी का फल अच्छा होता है। अतएव एक ईमानदार साहसी को अपने उपभोक्ताओं को अच्छी तथा उचित कीमत पर वस्तुएँ प्रदान करनी चाहिए।
7. अन्य गुण - एक उत्तम साहसी में कुछ अन्य गुण निम्न प्रकार पाये जाते हैं -
(i) एक अच्छे साहसी को शिक्षित तथा कुशाग्र बुद्धि वाला होना चाहिए।
(ii) साहसी में शीघ्र निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए।
(iii) इसे मानवीय प्रकृति का अच्छा ज्ञाता होना चाहिए।
(iv) उसमें धैर्य तथा दृढ़ निश्चय होना चाहिए।
(v) उसे गंभीर स्वभाव वाला भी होना चाहिए।
- आर्थिक संवृद्धि क्या है
- आर्थिक विकास का अर्थ एवं परिभाषा तथा विशेषता का उल्लेख कीजिए
- सतत् विकास क्या है एवं इसके विशेषता बताइये
- अवसर लागत किसे कहते हैं तथा महत्व बताइए
- अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं को समझाइए
- अर्थव्यवस्था : अर्थ, परिभाषा, एवं प्रकार का वर्णन कीजिये
- पूर्ण प्रतियोगिता बाजार क्या है इसकी प्रमुख विशेषताएं बताइए
- लागत वक्र U-आकृति के क्यों होते हैं?
- उत्पादन लागत : अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार बताइये
- श्रम की गतिशीलता क्या है? | श्रम की गतिशीलता के प्रकार | श्रम की गतिशीलता के लाभ
- श्रम विभाजन का अर्थ, परिभाषा, प्रकार एवं लाभ-हानि तथा सीमाएँ बताईये
0 टिप्पणियाँ
कृपया यहां स्पैम न करें। सभी टिप्पणियों की समीक्षा व्यवस्थापक द्वारा की जाती है