श्रम की गतिशीलता क्या है? | श्रम की गतिशीलता के प्रकार | श्रम की गतिशीलता के लाभ | what is labor mobility in hindi

श्रम की गतिशीलता

श्रम की गतिशीलता से तात्पर्य श्रमिक के स्थान परिवर्तन से है। श्रम की गतिशीलता से आशय श्रमिक का एक स्थान हे दूसरे स्थान एक व्यवसाय या प्रयोग से दूसरे व्यवसाय या प्रयोग में या कार्य के एक वर्ग से दूसरे वर्ग में आने जाने से है। 


इसके लिए श्रमिक में योग्यता व तत्परता का होना आवश्यक है। योग्यता से तात्पर्य श्रमिक के स्थान, व्यवसाय व वर्ग परिवर्तन की क्षमता से है और तत्परता से तात्पर्य श्रमिक के स्थान, व्यवसाय या वर्ग परिवर्तन के लिए इच्छुक होने से है। 


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श्रम की गतिशीलता


श्रम की गतिशीलता की परिभाषा


प्रो. थॉमस के अनुसार, - “श्रमिक की गतिशीलता से तात्पर्य एक व्यवसाय या प्रयोग से दूसरे में जाने की योग्यता व तत्परता से है।"



श्रम की गतिशीलता के प्रकार


श्रम की गतिशीलता तीन प्रकार की होती है -


(क) भौगोलिक गतिशीलता -


जब श्रमिक एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से आ-जा सकता है तो इसे भौगोलिक या प्रादेशिक गतिशीलता कहते हैं। इसे स्थान गतिशीलता के नाम से भी पुकारा जाता है। 


श्रम की भौगोलिक या प्रादेशिक गतिशीलता में श्रमिक प्राय: ग्राम से शहर, एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश, एक देश से दूसरे देश में कार्य करने लगता है। 


इसके प्राय: दो स्वरूप पाये जाते हैं -


(i) स्थायी भौगोलिक गतिशीलता वह है जब श्रमिक एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थायी रूप से चला जाता है। 


(ii) अस्थायी गतिशीलता वह है जब श्रमिक कुछ समय कार्य करने के पश्चात् पुनः अपने मूल स्थान पर लौट आता है। इसके आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक तथा जलवायु सम्बन्धी कारण हो सकते हैं। ऐसा व्यवहार में हमेशा पाया जाता है।


(ख) व्यावसायिक गतिशीलता - 


यदि श्रमिक एक व्यवसाय या उद्योग से किसी अन्य व्यवसाय या उद्योग में चला जाता है, तो इसे व्यावसायिक गतिशीलता कहते हैं। 


अन्य शब्दों में जब एक श्रमिक किसी कारण से अपना पुराना व्यवसाय छोड़कर किसी नए व्यवसाय में चला जाता है तो इसे व्यावसायिक गतिशीलता कहते हैं। उदाहरणार्थ, जब एक श्रमिक जूट व्यवसाय को छोड़कर सूती वस्त्र उद्योग में चला जाता है तो इस प्रकार की गतिशीलता को व्यावसायिक गतिशीलता कहते हैं। 


इस प्रकार एक व्यवसाय से दूसरे व्यवसाय में आकर्षित होने के कारण हैं-कार्य की दशाएँ, पारिश्रमिक, कार्य का स्थायित्व व सुरक्षा तथा भविष्य में उन्नति की आशा आदि।


इसके दो प्रकार हैं -


(i) समान प्रकार के व्यवसाय में, 

(ii) अन्य प्रकार के व्यवसाय में


(ग) वर्गीय गतिशीलता - 


प्रत्येक व्यवसाय या उद्योग में श्रमिकों के लिए वेतन के आधार पर भिन्न-भिन्न वर्ग पाये जाते हैं। ऐसी स्थिति में यदि श्रमिक एक वर्ग से दूसरे वर्ग में जाता है, तो इसे वर्गीय गतिशीलता कहते हैं। 


वर्गीय गतिशीलता दो प्रकार की होती है -


(i) समवर्गीय गतिशीलता

(ii) शीर्षवर्गीय गतिशीलता


श्रम की गतिशीलता के लाभ


श्रम की गतिशीलता के लाभ निम्न प्रकार हैं -


1. श्रमिक वर्ग को स्वयं लाभ - प्रायः यह देखा गया है कि श्रम की गतिशीलता का महत्वपूर्ण लाभ स्वयं श्रमिकों को सबसे पहले प्राप्त होता है। जो श्रमिक जितना अधिक गतिशील होगा वह ही अधिक इससे लाभान्वित होता है। जो श्रमिक गतिशील होते हैं यह अधिक से अधिक आर्थिक लाभ प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। 


2. श्रमिकों की माँग व पूर्ति में संतुलन - श्रम की गतिशीलता का | सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह होता है कि इनसे इनकी माँग व पूर्ति में संतुलन कायम रहता है। श्रमिकों द्वारा जब आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान जाकर व्यवसाय में कार्य किया जाता है तो प्रत्येक स्थान पर या व्यवसाय पर श्रमिकों की मांग व पूर्ति बनी रहती है। इसके फलस्वरूप मजदूरों की दरों में प्रत्येक स्थान एवं व्यवसाय में समानता पाई जाती है।


3. उत्पादन में वृद्धि - श्रम की गतिशीलता का लाभ उत्पादन में वृद्धि के रूप में हमें प्राप्त होता है। जब शिक्षित व प्रशिक्षित श्रमिक अविकसित क्षेत्रों में जाते हैं तो वहाँ पर पाए जाने वाले व्यवसाय के उत्पादन में व्यापक वृद्धि होती है।


4. रोजगार के अवसरों में वृद्धि - जब एक क्षेत्र विशेष के श्रमिक दूसरे क्षेत्रों में जाते हैं तो उस क्षेत्र के अन्य लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ जाते हैं। इससे किसी एक स्थान पर बेरोजगारी का दबाव नहीं बनता है और बेरोजगारी की समस्या का हल भी प्राप्त होता है।


5. अधिक मजदूरी - श्रम की गतिशीलता के कारण जहाँ मजदूरी की माँग अधिक है वहाँ जाकर वह कार्य करता है तो उसे अधिक मजदूरी मिलती है। दूसरे शब्दों में जहाँ श्रम की माँग अधिक होती है वहाँ पर अधिक मजदूरी भी प्राप्त होती है।


6. कार्यक्षमता में वृद्धि - श्रम की गतिशीलता श्रमिकों को कार्यक्षमता को बढ़ाती है श्रमिक अपनी योग्यता तथा रुचि के अनुसार कार्य करना चाहते हैं। जिसमें श्रम की गतिशीलता सहयोग प्रदान करती है अर्थात् श्रमिक दूसरी जगह जाकर अपनी रुचि तथा योग्यता के अनुसार कार्य करते हैं जिससे उसको कार्यकुशलता व कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। 


7. सामाजिक परिवर्तन - श्रम की गतिशीलता के कारण श्रमिक एक स्थान से दूसरे स्थान जाते हैं तो उनके आचार विचार, रीति-रिवाजों पर उन क्षेत्रों का प्रभाव पड़ता है और समाज में परिवर्तन आता है।


8. जीवन स्तर में वृद्धि - श्रमिकों की गतिशीलता के कारण उनका जीवन स्तर बढ़ जाता है। जिन स्थानों में श्रम की माँग अधिक होती उन स्थानों में मजदूरी अधिक होने से श्रमिकों के जीवन स्तर में वृद्धि होती है।


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