अवसर लागत किसे कहते हैं तथा महत्व बताइए | What is opportunity cost in hindi

अवसर लागत का अर्थ


अवसर लागत का विचार आर्थिक सिद्धान्त की एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह उत्पादन की प्रत्येक इकाई के लिए चाहे वह गृहस्थ (परिवार) हो या एक फर्म या सरकार बहुत महत्व रखती है। हम जो भी निर्णय लेते हैं, उसमें असवर लागत पर विचार करना आवश्यक होता है।  अवसर लागत का विचार इस तथ्य पर आधारित है कि उत्पादन के साधन सीमित होते हैं और प्रत्येक साधन के वैकल्पिक प्रयोग संभव होते हैं। 


जब किसी विशिष्ट साधन को एक विशेष वस्तु का उत्पादन करने के लिए प्रयोग किया जाता है, तो वह साधन किसी अन्य वस्तु के उत्पादन में प्रयोग किये जाने का अवसर देता है। वह लागत जो उत्पादन के एक विशेष साधन का उसके वर्तमान प्रयोग में बने रहने के लिए प्रेरित करती है, अवसर लागत कहलाती है।


मुद्रा के रूप में अवसर लागत को हस्तांतरण आय भी कहते हैं। इस दृष्टि से हस्तांतरण आय से आशय ऐसी कीमत से है, जो उस साधन को उसी उद्योग में बनाये रखने के लिए आवश्यक होती है।

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अवसर लागत


संक्षिप्त उत्तर


1. अर्थशास्त्र में अवसर लागत का दूसरा नाम क्या है?

Answer : हस्तांतरण आय/हस्तांरण मूल्या


2. अवसर लागत सिद्धांत का जनक कौन है?

Answer : हैबरलर


अवसर लागत की परिभाषा


1. श्रीमती जॉन रॉबिन्सन के अनुसार, - "वह कीमत जो कि साधन की एक दी हुई इकाई को किसी उद्योग में बनाए रखने के लिए आवश्यक है, उसकी हस्तांतरण आय या हस्तांतरण कीमत कह जाती है।”


2. प्रो. बेन्हम के अनुसार, - “मुद्रा की वह मात्रा जो कोई साधन इकाई किसी दूसरे सर्वश्रेष्ठ वैकल्पिक प्रयोग में प्राप्त कर सकती है, उसे हस्तांतरण आय कहते हैं।" 


3. डॉ. फर्गुसन के शब्दों में, - “X वस्तु की एक इकाई उत्पादित करने का अवसर या वैकल्पिक लागत Y- वस्तु की वह मात्रा है, जिसका परित्याग Y वस्तु के बदले में X- वस्तु का उत्पादन करने के लिए किया जाता है।”

अतः अवसर लागत के विचार में यह बताया गया है कि साधन सीमित होते हैं, जबकि इनका प्रयोग असीमित मात्रा में हो सकता है। 


उदाहरण के लिए, किसी उत्पादन को अपने उद्योग में आकर्षित करने के लिए कम से कम इतना पारिश्रमिक अवश्य देना पड़ेगा, जितना कि वह अन्य वैकल्पिक उद्योगों से प्राप्त कर सकता है, अन्यथा वह उपादान अन्य उद्योगों में हस्तांतरित हो जायेगा। इसी कारण आधुनिक युग के अर्थशास्त्रिों ने इस लागत को "हस्तांतरित आय" या "हस्तांरण मूल्या" कहा है।


अवसर लागत की सीमा या आलोचना 


1. विशिष्ट साधनों पर लागू न होना - 


अवसर लागत का विचार विशिष्ट साधनों के संबंध में लागू नहीं होता, क्योंकि इन साधनों का प्रयोग केवल एक ही कार्य विशेष के लिए किया जा सकता है। इन साधनों की अवसर लागत शून्य होती है।


2. साधनों की सभी इकाईयाँ समान नहीं होती - 


साधनों की सभी इकाईयों में समरूपता नहीं होने के कारण अवसर लागत का प्रयोग करना कठिन होता है। 


3. पूर्ण प्रतियोगिता की मान्यता -


अवसर लागत का विचार पूर्ण प्रतियोगिता की मान्यता पर आधारित है, लेकिन व्यवहार में पूर्ण प्रतियोगिता नहीं पायी जाती है।


4. साधनों में पूर्ण गतिशीलता का अभाव - 


अवसर लागत का विचार इस मान्यता पर आधारित है कि उत्पत्ति के साधन पूर्ण रूप से गतिशील होते हैं। अधिक पारिश्रमिक के लालच में साधनों को एक व्यवसाय से दूसरे व्यवसाय में हस्तांतरित किया जा सकता है, लेकिन कुछ साधन ऐसे होते हैं जो अपने मूल व्यवसाय को नहीं छोड़ते हैं। ऐसी दशा में अवसर लागत का विचार कार्य नहीं करता है।


अवसर लागत का महत्व


1. उत्पत्ति के साधनों के आवंटन में सहायक -


अवसर लागत का विचार उत्पादन के सौमित साधनों के आवंटन में सहायक होता है। अवसर लागत की सहायता से हम यह जान सकते हैं कि उत्पादन के प्रत्येक साधन को उतना पारिश्रमिक अवश्य मिलना चाहिए, जितना कि उसे अन्य किसी वैकल्पिक प्रयोग में मिल सकता है। 


इस प्रकार स्पष्ट है कि लागत की जानकारी ने ही साधनों की गतिशीलता को बढ़ावा दिया अर्थात् साधनों के वितरण को सम्भव बनाया है। 


2. लगान के आधुनिक सिद्धान्त का आधार -


लगान का आधुनिक सिद्धान्त अवसर लागत की धारणा पर ही आधारित है। लगान के आधुनिक सिद्धान्त के अनुसार लगान अवसर लागत के ऊपर अतिरेक होता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि लागत की गणना करने के लिए साधन की अवसर लागत का पता अवश्य होना चाहिए।


3. उत्पादन लागत में होने वाले परिवर्तनों पर प्रकाश डालने में सहायक -


अवसर लागत का सिद्धान्त इस तथ्य पर प्रकाश डालने में सहायक है कि किसी उद्योग में उत्पादन लागत अपनी उत्पादन मात्रा के साथ किस सीमा तक तथा क्यों बदल जाती है।


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