E-mail क्या है? ई-मेल से क्या लाभ है | What is e-mail? benefits of e-mail

ई-मेल का अर्थ


ई-मेल में दो शब्द पाये जाते हैं। ई का अभिप्राय, इलेक्ट्रॉनिक से होता है तथा मेल का आशय डाक से होता है। जब किसी सन्देश को इलेक्ट्रॉनिक विधि से भेजा जाता है तो इसे ई-मेल कहा जाता है। अन्य शब्दों में कम्प्यूटर की सहायता तथा इन्टरनेट के माध्यम से सूचनाओं व संदेशों का शीघ्र आदान-प्रदान ही ई-मेल कहलाता है। 


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ई-मेल


भारत में इस सेवा को 11 फरवरी 1994 को दिल्ली में प्रारम्भ किया गया। वर्तमान समय में देश के लगभग 760 नगरों में यह सेवा प्रारम्भ हो चुकी है। इसके द्वारा टेलीग्राम, फैक्स सुविधायें भी ली जा सकती हैं। 


जिस व्यक्ति या व्यापारी के पास कम्प्यूटर व इन्टरनेट की सुविधा उपलब्ध है। वह बिना किसी शुल्क के ई-मेल सुविधा का लाभ प्राप्त कर सकता है। अतएव दूर-दूर तक सूचनायें कम्प्यूटर के नेटवर्क द्वारा भेजने की क्रिया को ई-मेल कहते हैं।

ई-मेल तकनीक के विकास से डाकिये तथा डाकघरों की सेवाओं की आवश्यकता नहीं होती है, इसके अन्तर्गत पत्रों तथा सूचनाओं को कम समय तथा व्यय में अधिक विश्वसनीय ढंग से इन्टरनेट के माध्यम से उपभोक्ताओं तक पहुँचाने का कार्य ई-मेल द्वारा किया जाता है। इसके लिये उपभोक्ता के पास का पता होना चाहिये। अनेक निकाय यह सेवा निःशुल्क प्रदान करते हैं। 


ई-मेल के द्वारा अपने पत्र सन्देश व फाइलों को तुरन्त विश्व के किसी भी स्थान पर बैठे इन्टरनेट यूजर के पास उसके पते पर प्रेषित कर सकते हैं तथा इसकी प्राप्ति की तुरन्त सूचना भी मिल जाती है। व्यक्ति अपनी अनुपस्थिति में पत्रको मेल बॉक्स में एकत्रित कर सकता है तथा अपनी सुविधानुसार इसे पढ़ सकता है। 


कभी-कभी व्यक्ति अपना व्यक्तिगत ई-मेल खाता तथा पता पंजीयन करा के रख लेते हैं। ये समय-समय पर इन्टरनेट कैफे आदि से अपने मेल बॉक्स एवं एकाउन्ट की जानकारी लेते रहते हैं। इस प्रकार इन्टरनेट के विस्तार के साथ ही इसका प्रयोग बढ़ता जा रहा है। इस प्रकार डाकिये का घर-घर जाना कम हो रहा है। ई-मेल का पता निम्नलिखित प्रकार लिखा जाता है XYZ@123 India.Com.


ई-मेल सुविधा यदि प्रेषक व प्राप्त करने वाले दोनों के पास उपलब्ध हो, तो आमने-सामने बैठकर अपने-अपने कम्प्यूटर स्क्रीन पर सन्देश का आदान-प्रदान कर सकते हैं। इसमें एक टर्मिनल पर व्यक्ति द्वारा कम्प्यूटर के की-बोर्ड पर सन्देश टाइप किया जाता है, जो इलेक्ट्रॉनिक इम्पल्सो द्वारा दूसरी ओर के कम्प्यूटर पर कार्य कर रहे व्यक्ति संकेत द्वारा बना दिया जाता है कि कुछ डाक या सन्देश उसके लिये हैं। अब वह अपने कम्प्यूटर स्क्रीन को चालू कर अपना सन्देश पढ़ सकता है। यह चाहे तो इसे मेमोरी में भी स्टोर कर सकता है।

ई-मेल द्वारा सम्प्रेषण प्रक्रिया ग्राहक सेवा तकनीक पर आधारित है। जिस कम्प्यूटर के द्वारा ई-मेल सुविधा प्राप्त होती है, उसे सर्वर कहा जाता है तथा जिस कम्प्यूटर पर सन्देश प्राप्त होते हैं, उसे ग्राहक कहा जाता है। यह ग्राहक तकनीकि सेवा विभिन्न प्रकार की हो सकती है। यदि इन्टरनेट के माध्यम से ई-मेल की सुविधा लेनी हो, तो सर्वर को इन्टरनेट सेवा में भागीदार होना चाहिये। 


उसी प्रकार से सन्देश ग्रहण करने वाले ग्राहक भी या तो इन्टरनेट सर्वर का भागीदार हो अथवा उसके पास इन्टरनेट से टेलीफोन, लैण्ड लाइन या वास्ट के द्वारा जुड़ने की सुविधा हो, तभी सन्देश भेजे जा सकते हैं तथा प्राप्त किये जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त ई-मेल के लिये एक समुचित सॉफ्टवेयर भी ग्राहक कम्प्यूटर के पास होना चाहिये। 



 ई-मेल के लाभ


1. यह तकनीक अत्यधिक सरल, सुविधाजनक तथा सस्ती होती है।


2. ई-मेल द्वारा सन्देश दुनिया के किसी भी भाग तक पहुँचाया जा सकता है। 


3. इसके माध्यम से नई-नई दवाओं की जानकारी, नई किताबों की जानकारी तथा न्यायालय के निर्णयों को देखा तथा पढ़ा जा सकता है।


4. यही सुविधा ऐसी है, जिससे कितने लोगों को सन्देश भेजा सकता है। 


5. वर्तमान में समाचार पत्रों की न्यूज के लिये यह प्रणाली अत्यन्त सुविधाजनक होती है। 


6. यदि दोनों स्क्रीन के आमने-सामने बैठे हों, तो सभी प्रकार विस्तृत जानकारी का आदान-प्रदान किया जा सकता है।


7. इन सन्देशों को मेमोरी में स्टोर भी किया जा सकता है तथा आवश्यकतानुसार कभी भी पढ़ा जा सकता है।


8. इसमें अत्यधिक गोपनीयता रखी जा सकती है। 


9. इसमें सन्देश के प्रेषण हेतु टेलीफोन की भाँति दोनों छोर पर व्यक्तियों का होना आवश्यक नहीं होता है


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