तार अथवा टेलीग्राम सेवा
शीघ्र सन्देश भेजने के साधन के रूप में प्रारम्भ से ही तार का अत्यधिक महत्व पाया जाता रहा है। भारतीय सरकार पर एकाधिकार है। जहाँ टेलीफोन सेवायें विद्यमान नहीं हैं, वहाँ आज भी यह तार साधन अत्यन लोकप्रिय है।
टेलीफोन द्वारा बातचीत अर्थात् मौखिक सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है, जबकि तार लिखित रूप सूचनाओं को प्रदान करता है। तार कागज पर एक लिखित संक्षिप्त सन्देश होता है, जिसे प्रेषककर्ता के आदेशनुसार एक स्थान से दूसरे स्थान को एक निश्चित प्रणाली तारों के माध्यम से भेजा जाता है। यही कारण है कि इस व्यवस्था को प्रणाली के नाम से पुकारा जाता है।
टेलीग्राम |
तार भेजने की विधि
तार भेजने के लिये सबसे पहले तारघर से एक छपा हुआ फार्म निःशुल्क प्राप्त किया जान है। इसी तार फार्म पर भेजा जाने वाला समाचार लिखा जाता है। यह आवश्यक नहीं है कि तार इसी निर्धारित फार्म पर ही लिखा जाये। यह सादे कागज पर भी लिखा जा सकता है तथा इसे तारघर द्वारा स्वीकार भी किया जाता है।
एक तार लिखने समय निम्न बातों की पूर्ति की जाती है-
(i) पता लिखने का स्थान
(ii) तार का प्रकार
(iii) सन्देश लिखने का स्थान
(iv) भेजने वाले का नाम
(v) भेजने वाले का पता
प्रेषक द्वारा तार फार्म भर लेने के बाद इसे तार खिड़की पर बैठे कर्मचारी को प्रस्तुत किया जाता है। यह कर्मचारी निर्धारित दर से शुल्क प्राप्त कर तार की रसीद प्रेषक को दे देता है। इसके बाद सन्देश को प्राप्तकर्ता के डाकघर को भेज दिया जाता है।
सन्देश प्राप्त करने वाला डाकघर प्राप्त सन्देश को डाकिये के द्वारा प्राप्तकर्ता को तुरन्त भेजवा देता है। इस प्रकार सूचना या सन्देश का आदान-प्रदान दो स्थानों के बीच तार द्वारा होता है।
तार लिखते समय ध्यान में रखने योग्य बातें -
एक प्रेषक को तार लिखते तथा भेजते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिये-
1. स्पष्ट तथा संक्षिप्त -
तार लिखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि भाषा स्पष्ट हो साथ ही साथ इसका विषय संक्षिप्त होना चाहिये। ऐसे शब्दों का उपयोग न किये जायें, जिनके दो अर्थ होते हों।
2. तार पते का उपयोग -
यदि तार प्राप्तकर्ता का तार का पता तो उसका प्रयोग किया जाना चाहिये। ऐसा करने से तार शुल्क में बचत होती है। इससे आसानी होती है तथा मितव्ययिता होती है।
3. सन्देश लिखना -
तार का सन्देश लिखने के लिये तार फार्म में आयताकार खंड बने होते हैं। एक शब्द एक खंड में लिखा जाना चाहिये। इससे शब्दों की गणना में आसानी आती है।
4. प्रेषक का नाम तथा पता -
तार का सन्देश लिखने के बाद तार से न भेजे जाने वाले कालम या स्थान पर प्रेषक स्वयं का नाम तथा पता लिखता है। इसका कोई चार्ज नहीं लगता है।
5. संख्या को शब्दों में लिखना -
तार लिखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि इसके अन्तर्गत जो भी संख्यायें या अंक आयें उन्हें शब्दों में लिखा जाना चाहिये।
6. आदर सूचक शब्दों का प्रयोग नहीं -
इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिये कि तार में आदर 2 सूचक शब्दों का उपयोग यथा सम्भव न किया जाय। ऐसा किया जाना अच्छा होता है।
7. विराम चिन्हों का उपयोग नहीं -
तार प्रेषक को जहाँ तक सम्भव हो, तार में विराम चिन्हों जैसे- पूर्णविराम, अर्द्ध विराम आदि का उपयोग नहीं करना चाहिये। इससे तार शुल्क में बचत होती है।
8. तार के प्रकार -
तार भेजते समय यह लिखा जाना चाहिये कि तार किस प्रकार का है। तार साधारण, एक्सप्रेस अथवा बधाई से सम्बन्धित है, इसका लिखा जाना आवश्यक होता है।
9. तार की प्रतिलिपि रखना -
तार प्रेषक को तार की एक प्रतिलिपि सुरक्षित रख लेनी चाहिये, ताकि विवाद होने पर स्पष्ट किया जा सके। साथ ही एक प्रति प्राप्तकर्ता को पुष्टि हेतु भेज देना चाहिये।
तार की प्रचलित दरें -
तार की दरों की सुपुर्दगी के आधार पर निम्नलिखित दो भागों में बाँटा जाता है-
(अ) साधारण अथवा सामान्य तार इसका शुल्क निम्नलिखित प्रकार से देय होता है
(i) दस अथवा कम शब्दों का न्यूनतम शुल्क 3.50 रुपये।
(ii) दस शब्दों के बाद प्रत्येक अतिरिक्त शब्द का 0-50 पैसे प्रति शब्द।
(ब) शीघ्रगामी या एक्सप्रेस तार- इसका शुल्क निम्नलिखित प्रकार होता है
(i) 10 शब्दों या कम शब्दों का न्यूनतम शुल्क 7.00 रुपये।
(ii) 10 शब्दों के बाद प्रत्येक शब्द अतिरिक्त शब्द का 1.00 रुपये प्रति शब्द।।
साधारण तथा एक्सप्रेस दोनों प्रकार के तारों में पते के प्रथम 10 शब्दों का तार शुल्क 6 शब्दों के बराबर किया जाता है। इसके बाद के शब्दों पर सामान्य शुल्क लगता है।
तार के प्रकार
विभिन्न दृष्टियों से तार के निम्नलिखित प्रकार पाये जाते हैं -
1. साधारण तार -
साधारण तार का उपयोग व्यक्तिगत तथा व्यापारिक कार्यों के लिये किया जाता है। यह तार कार्यालय द्वारा सामान्य अवधि में स्वीकार तथा वितरित किये जाते हैं। सामान्यतः इसका कार्यकाल अवधि प्रातः 7 बजे से सायंकाल 5 बजे तक होता है। यह सामान्य दर पर लिये जाते हैं।
2. एक्सप्रेस या शीघ्र गति तार -
जब किसी सन्देश को अधिक शीघ्रता के साथ भेजना है, तो इस प्रकार के आवश्यक या शीघ्र गति तार का प्रयोग किया जाता है। इसको सुपुर्दगी भी तत्काल प्राप्त होने के बाद कर दी जाती है। इनको साधारण तारों के पहले भेजा जाता है तथा दर दुगुनी होती है।
3. प्राथमिक तार -
प्राथमिकता वाले तार भेजने में डाकघर विशेष सुविधा प्रदान करता है। इन तारों में मानव जीवन की दुर्घटनाओं मृत्यु तथा गम्भीर दशाओं वालों को प्राथमिकता दी जाती है। ऐसे तारों को प्राथमिक तार कहा जाता है। जिसमें अंग्रेजी में PTY अर्थात् Priority शब्द लिखा होता है।
4. सरकारी तार -
शासकीय कार्यालयों द्वारा सरकारी कार्यों के लिये जो तार भेजे जाते हैं, उन्हें सरकारी तार कहा जाता है। इन तारों पर सरकारी टिकटें लगायी जाती हैं तथा तार पर State या एक राज्य शब्द लिखा जाता है। इन्हें प्राथमिकता के आधार पर भेजा तथा वितरण किया जाता है।
5. तात्कालिक या तुरन्त तार -
यह तार सरकारी कार्यों के लिये अधिकृत सरकारी विभागों द्वारा भेजे जाते हैं। ये तार सभी तारों को रोक कर सबसे पहले प्राथमिकता आधार पर भेजे जाते हैं। ये तार ऑफिस वाले सभी भेजते हैं, जबकि फार्म के नीचे प्रेषक अधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं।
6. देशी तार -
इसके अन्तर्गत उन सभी तारों को रखा जाता हैं जो देश की सीमा के अन्तर्गत प्रेषित किये जाते है। ऐसे तार साधारण एक्सप्रेस तथा बधाई से सम्बन्धित वाले हो सकते हैं। यह अन्तर्देशीय तार होते हैं।
7. विदेशी तार -
जो देश तार देश की सीमा के बाहर अर्थात् अन्य देशों को भेजा जाता है, उन्हें ही विदेशी तार कहा जाता है। इन्हें केवल ग्राम भी कहते हैं। ऐसे तार भी साधारण तथा एक्सप्रेस होते हैं। इनकी शुल्क दरें भिन्न-भिन्न होती हैं। इस प्रकार के तार को अन्तर्राष्ट्रीय तार भी कहते हैं।
8. जवाबी तार -
जब तार का प्रेषक चाहता है कि तार का उत्तर प्राप्तकर्ता तार पाने पर तार के ही माध्यम से उत्तर है तो इसे जवाबी तार कहते हैं। प्रेषक के तार के साथ एक तार फार्म और लगा दिया जाता है तथा उसे न्यूनतम शुल्क अग्रिम के रूप देना पड़ता है। तार फार्म का उपयोग दो माह के भीतर किया जा सकता है। ऐसे तार के ऊपर जवाबी तार लिखा होता है।
9. अनेक पतों के तार -
जब एक ही स्थान पर एक ही सन्देश दो अथवा अधिक व्यक्तियों को देना होता है, तो इस प्रकार के तारों का प्रयोग किया जाता है। इन तारों पर प्रथम तार के लिये पूरा शुल्क लगता है। तत्पश्चात् अन्य तारों पर पते का पूरा शुल्क तथा संन्देश के लिये प्रत्येक तार पर 50 पैसे की दर से शुल्क लगता है। यदि तार में 50 शब्द से अधिक होते हैं, तो सन्देश की नकल कराने की फीस एक रुपये 50 पैसे की दर से देनी होती है। यही अनेक पतों के तार का उपयोग होता है।
10. महत्वपूर्ण तार -
इस प्रकार के तार उन्हीं महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों द्वारा किये जाते हैं, जिन्हें इस प्रकार के तार का प्रयोग करने का अधिकार होता है। इन तारों पर महत्वपूर्ण शब्द लिखा जाता है। इस प्रकार के तार सभी तारों से पहले भेजे जाते हैं, किन्तु तत्कालिक तार के बाद यह तार भेजा जाता है।
11. बधाई तार -
अनेक अवसरों पर एक व्यक्ति को तार के द्वारा बधाई के सन्देश भेजते हैं। इस प्रकार के तारों के बधाई के तार कहते हैं। तारघर में बधाई संदेश की एक सूची होती है। प्रेषक इस सूची में से एक संख्या लिख लेता है, जो संबंधित बधाई सन्देश के लिये होती है।
तार आफिस वाले उस संख्या को सन्देश के स्थान पर भेज देता है, जहाँ सन्देश भेजना है। उस तार घर वाले उस संस्था के आधार पर सन्देश को लिख कर प्राप्तकर्ता को पहुंचा देता है। बधाई के तार का शुल्क शब्दों के लिये 3 रुपये लिया जाता है। बधाई के तार के कुछ सन्देश इस प्रकार पाये जाते हैं।
12. डीलक्स तार -
यदि कोई व्यक्ति के तारों के सन्देश का चुनाव दी हुई तालिका से न करके अपने शब्दों में व्यक्त करता है, तो ऐसे बधाई के तार को डीलक्स तार कहते हैं। इन तारों के ऊपर 'LX' शब्द लिख दिया जाता है। इन तारों को भेजते समय कलात्मक फार्म तथा लिफाफों का भी उपयोग किया जा सकता है। इन तारों का शुल्क साधारण तथा आवश्यक तार के स्वभाव पर निर्भर होता है।
13. टेलीफोन तार -
जब टेलीफोन की सुविधा का प्रयोग तार भेजने तथा सन्देश प्राप्त करने में किया जाता है, तो इसे फोनोग्राम माध्यम कहा जाता है। इस रीति के अन्तर्गत तार भेजने के लिये तारघर को टेलीफोन द्वारा सूचना दी जाती है। इस सुविधा हेतु डाकघर में एक निश्चित रकम जमा करना पड़ता है, जिसमें से फोनोग्राम के व्यय लिये जाते हैं। इसका हिसाब तारघर वाले रखते हैं।
14. प्रेस तार -
समाचार पत्रों के कार्यालयों को सूचना भेजने के लिये जब तार भेजा जाता है, तो उसे प्रेस तार कहा जाता है। इन तारों का प्रयोग केवल समाचार पत्रों के प्रतिनिधि ही कर सकते हैं। प्रायः ऐसे तारों पर शुल्क दरें कम होती हैं। इसमें पते के लिये कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
15. साधारण भाषा के तार -
तार विभिन्न भाषाओं में लिखे जाते हैं, क्योंकि भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न भाषायें पायी जाती हैं। जब उस देश में तार का प्रयोग देश की प्रचलित भाषा में होता है, तो इसे साधारण भाषा के नाम से पुकारा जाता है।
अन्य शब्दों में साधारण भाषा से आशय, बोलचाल की भाषा से होता है। जिनमें जन सामान्य बातचीत करता है। उदाहरणार्थ हमारे देश में तार हिन्दी तथा अंग्रेजी में ही लिखे जाते हैं। इसीलिये इसे जनसाधारण की भाषा कहा जाता है।
16. सांकेतिक भाषा के तार -
साधारण तार गोपनीय नहीं होते हैं। साथ ही यह तार संक्षिप्त भी नहीं होते हैं। इस कारण इन तारों पर काफी व्यय करना पड़ता है। इन दोनों की कमियों को दूर करने के लिये सांकेतिक भाषा का प्रयोग किया जाता है। इसके अन्तर्गत प्रत्येक व्यापारी कोड का प्रयोग करता है, जिसकी जानकारी क्षेत्र के प्रत्येक व्यापारी को होती है।
यदि कोई निजी कोड का उपयोग करता है तो उसको एक प्रति सभी व्यापारियों को भेज दी जाती है। कोड भाषा के एक शब्द का आशय, एक वाक्य से होता है। इसलिये कोड भाषा में 10 से अधिक शब्द नहीं होने चाहिये।
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