आज के इस आर्टिकल में जानेंगे कि डाक घर द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवा कौन - कौन सी हैं और भारत के डाक घर में क्या क्या काम होते हैं? साथ ही जानेगे की डाक घर की पूरी जानकारी हिंदी में देखने को मिलेगी और भारतीय डाक सेवाओं की मुख्य सेवाओं कौन कौन सी है और भारत में वर्तमान समय में कितने डाक घर है और साथ ही जानेगे की भारत में स्पीड पोस्ट की सुरुवात कब हुई थी, तो चलिये जानते है इस आर्टिकल में भारत के डाक घर की सेवाओं के बारे में।
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डाक घर की सेवाएँ
डाक घर द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं का वर्णन अग्रलिखित प्रकार पाया जाता है -
1. पोस्ट कार्ड -
प्राय: सबसे सरल, सुगम तथा कम से कम व्यय में समाचार भेजने का साधन पोस्टकार्ड माना जाता है। यह एक मोटे कागज पर 14x9 से. मी. के आकार का होता है। इसके पीछे की ओर 50 पैसे का स्टाम्प मुद्रित होता है तथा पता लिखने का स्थान होता है।
यदि कोई व्यक्ति अपना स्वयं का पोस्ट कार्ड तैयार कराता है, तो उसका न्यूनतम आकार 10x7 से. मी. तथा अधिकतम 15x10-5 से. मी. का होगा। इसके अलावा जवाबी कार्ड भी होता है। इसमें दो कार्ड एक साथ लगे होते हैं, जिनकी कीमत एक रुपये होती है। जल्दी उत्तर चाहने वाले व्यक्ति जवाबी पोस्ट कार्ड का उपयोग करते हैं।
इसमें एक कार्ड पर समाचार प्राप्त करने वाले का पता लिखा होता है तथा दूसरे कार्ड पर स्वयं का पता होता है। प्राप्तकर्ता दूसरे कार्ड पर उत्तर लिखकर वापस भेज देता है। समाचार पत्र पत्रिकाओं, रेडियों तथा दूरदर्शन के माध्यम से आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं का उत्तर देने के लिये प्रतियोगिता पोस्ट कार्ड डाक विभाग द्वारा निकाले गये हैं।
इस पोस्ट कार्ड की कीमत केवल दस रुपये है। यदि किसी पोस्ट कार्ड पर नियम से कम टिकट लगा होता है, तो पोस्ट आफिस पाने वाले व्यक्ति से इस कमी का दूना या एक रुपया (जो भी अधिक हो) वसूल करता है।
2. अन्तर्देशीय पत्र -
अन्तर्देशीय पत्र एक पतले कागज का पत्र लिखने का पन्ना होता है। इस पर समाचार लिखने के बाद इसे निशान लगे हुये स्थानों पर मोड़कर चिपका दिया जाता है। इस प्रकार यह लिफाफा हो जाता है। यह आजकल देश में समाचार भेजने का एक प्रचलित साधन है। इसमें किसी प्रकार के कागज रखने की आवश्यकता नहीं होती है। इसकी कीमत 2.50 रु. है। यह समाचार भेजने का गोपनीय साधन माना जाता है।
अन्तर्देशीय पत्र का लाभ यह होता है, कि इसमें पोस्टकार्ड की तुलना में अधिक समाचार लिखा जा सकता है तथा उनकी गोपनीयता भी बनी रहती है। इस पत्र को मोड़कर जब लिफाफे का आकार दिया जाता है, तो इसमें कोई कागज नहीं रखा जाता है। यदि भूल कर कोई कागज रख दिया जाता है, तो इसे लिफाफा मान कर प्राप्तकर्ता से दुगनी राशि वसूल की जाती है।
कोई भी व्यक्ति स्वयं का अन्तर्देशीय छपवा कर उपयोग कर सकता है। जिन अन्तर्देशीय पत्रों पर आवश्यकता से कम मूल्य का टिकट लगा होता है, उनका वितरण करते समय कम मूल्य के डाक टिकट से दुगनी राशि पाने वाले से ली जाती है। यह राशि कम से कम एक रुपया होनी चाहिए।
3. लिफाफा -
जब अधिक तथा गोपनीय समाचार भेजना हो, तो लिफाफे का उपयोग किया जाता है। भेजे जाने वाले समाचार को साधरण कागज पर लिखकर लिफाफे में बन्द कर दिया जाता है। इसके बाद लिफाफे के ऊपर पाने वाले का नाम और पता स्पष्ट शब्दों में लिख दिया जाता है। भेजने वाले का पता बायीं ओर नीचे में 6. पार्सल सुविधा, प्रायः लिखा जाता है।
यह लिफाफा डाक घरों में 5 रुपये में मिलता है, इसके आकार के सम्बन्ध में किसी प्रकार का प्रतिबन्ध नहीं पाया जाता है। बड़े आकार के लिफाफे का भी उपयोग किया जा सकता है। साथ ही साथ कोई व्यक्ति या व्यापारी अपने स्वयं के निजी लिफाफे छपवा कर भी उपयोग कर सकते हैं। इसमें किसी भी प्रकार का प्रतिबन्ध नहीं होता है। किन्तु तौल के अनुसार लिफाफे पर टिकट लगाना अनिवार्य होता है।
यह दरें निम्न प्रकार हैं -
(1) प्रत्येक 20 ग्राम वजन तक 5-00 रुपये।
(2) अगले 20 ग्राम या उसके भाग पर 3-00 रुपये।
यदि किसी लिफाफे पर टिकट न लगा हो या कम लगा हो, तो प्राप्तकर्ता से दुगना डाक व्यय वसूल किया जाता है, किन्तु यह राशि किसी भी दशा में एक रुपये से कम नहीं हो सकती है। इन लिफाफों में समाचार भेजने के अतिरिक्त आय वस्तुयें जैसे- चेक, बैंक ड्राप्ट रेलवे की विलटी, राखी तथा अन्य वस्तुयें भी भेजी जा सकती हैं।
4. बुक पोस्ट या बुक पैकेट -
डाक द्वारा छोटी-छोटी वस्तुयें पैकेट के रूप में बनाकर भेजी जा सकती हैं, किन्तु इनमें रखी गयी वस्तुयें डाक विभाग के निरीक्षण के लिये खुली रखना अनिवार्य होता है। छपी हुई पुस्तकें, पत्र पत्रिकाएँ, समाचार पत्र, निमन्त्रण पत्र, चित्र, खाते की नकल, बीमा पॉलिसी, पुराने पत्र तथा छपे या टाइप किये हुये पत्र आदि बुक पोस्ट के द्वारा भेजे जा सकते हैं।
पैकेट के ऊपर मोटे अक्षरों में बुक पोस्ट या बुक पैकेट लिखा होना चाहिये। किसी भी बुक पैकेट की लम्बाई 60 से. मी., चौड़ाई 30 सेमी. तथा मोटाई 20 सेमी. से अधिक नहीं होना चाहिये। साथ ही साथ किसी भी बुक पोस्ट का वजन 2 किलो ग्राम से अधिक नहीं होना चाहिये, परन्तु यदि यह पैकेट गोलाकार आकार का है, तो उसकी लम्बाई 10 सेमी. से 80 सेमी. तक हो सकती है।
डाक व्यय निम्न प्रकार होता है -
(1) प्रथम 50 ग्राम या उसके भाग पर 3 रुपये।
(2) प्रत्येक अतिरिक्त 50 ग्राम या उसके भाग पर 4 रुपये।
5. रजिस्टर्ड समाचार पत्र -
आम जनता को समाचार पढ़ने की सुविधा उपलब्ध कराने की दृष्टि से डाकघर द्वारा समाचार पत्रों को अत्यन्त सस्ती दर पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है। पंजीयन समाचार पत्रों से आशय, उन समाचार पत्रों से होता है, जो पोस्ट मास्टर जनरल द्वारा रजिस्टर्ड कराये जा चुके हैं।
इन समाचार पत्रों का प्रकाशन 31 दिन में कम से कम एक बार होना चाहिये तथा इसके कम से कम 50 स्थायी ग्राहक होने चाहिये। समाचार पत्र पंजीयन कराने के लिये आवेदन पत्र देना होता है। यह स्वीकृत होने पर एक निश्चित पंजीयन नम्बर दे दिया जाता है। यह नम्बर समाचार पत्र पर इस प्रकार छपना चाहिये कि डाक घर के कर्मचारी इसे देख सके।
6. पार्सल सुविधा -
डाक घर में एक स्थान से दूसरे स्थान पर हल्की तथा छोटी-छोटी वस्तुओं को भेजने को सुविधा होती है। भेजी जाने वाली वस्तु चारों ओर से बाँध दो जाती है तथा इसे कपड़े या टाट में लपेट कर इसकी सिलाई कर दी जाती है। पैकिंग बीमित होने की दशा में इसे जगह-जगह सील कर दिया जाता है।
फिर उस पर प्राप्तकर्ता का नाम एवं पता स्पष्ट शब्दों में लिखा जाता है तथा नीचे की ओर भेजने वाले का नाम व पता लिखा जाता है। तत्पश्चात् इस बन्डल को पोस्ट ऑफिस की पार्सल खिड़की पर बैठे कर्मचारी को सौंपा जाता है, जो वजन करके टिकट लगवाता है तथा इसके बाद एक रसोद देता है। किसी भी पार्सल की लम्बाई एक मीटर से अधिक तथा लम्बाई व चौड़ाई को माप का योग 1-80 सेमी से अधिक नहीं होना चाहिये। पार्सल का अधिकतम वजन मुख्य डाक घर हेतु 20 किलो ग्राम तथा उपडाकघर हेतु 10 किसी ग्राम होना चाहिये।
पार्सल का डाक व्यय निम्न प्रकार होता है -
(1) प्रत्येक 500 ग्राम के लिये 16 रुपये।
(2) 5 किलो से ऊपर वजन वाली पार्सल के निवास पर
(3) वितरण के लिये अतिरिक्त शुल्क 5 रुपये।
पार्सल में निम्नलिखित वस्तुयें नहीं भेजी सकती हैं -
1. भयानक अथवा विस्फोटक पदार्थ
2. तेज एवं नुकोले अस्त्र अर्थात् हथियार।
3. 20,000 रुपये से अधिक कीमत का सोना-चाँदी।
4. शहद की मक्खियों के अलावा अन्य कोई जीवित जानवर।
5. ऐसी वस्तुयें जो कानून के निरूद्ध हॉ जैसे-अफीम, गाँजा, भाँग आदि।
7. रजिस्ट्री या पंजीकरण -
रजिस्ट्री कराने का उद्देश्य पत्रों को सुरक्षा प्रदान करना होता है। डाक द्वारा जो पत्र, वस्तु, पैकेट, समाचार पत्र, पार्सल या लिफाफा आदि भेजे जाते हैं इन को सुरक्षित ढंग से भेजने के लिये इनका रजिस्ट्रेशन कराया जाता है। पंजीकरण का आशय यह होता है कि सम्बन्धित डाक का डाकघर में पंजीयन हो गया है तथा इसे सुरक्षा पूर्वक पहुँचाने का दायित्व डाकघर का है। जब कोई अपना पत्र या वस्तु की रजिस्ट्री कराना चाहता है, तो इसे भली भाँति बन्द कर देना होता है।
इसके बाद पत्र के साधारण व्यय के अतिरिक्त पंजीयन शुल्क 17 रुपये के टिकट लगाने पड़ते हैं। साथ ही इस लिफाफे के ऊपर रजिस्टर्ड शब्द लिख देना पड़ता है। इसके बाद सम्बन्धित खिड़की पर पत्र या वस्तु को देकर इसकी रसीद प्राप्त कर ली जाती है।
यदि प्रेषक स्वीकृति की रसीद या पावती प्राप्त करना चाहता है, तो इसके लिये 3 रुपये के अतिरिक्त टिकट लगाने पड़ते हैं तथा पत्र पर ए. डी. लिखना होता है। इसके लिये डाकघर एक स्वीकृति पत्र लेकर रजिस्टर्ड पत्र के साथ नत्थी करना होता है। डाकिया रजिस्टर्ड पत्र देते समय प्राप्तकर्ता के हस्ताक्षर इस स्वीकृति पत्र पर करवा लेता है। तत्पश्चात् इसे प्रेषक के पास भेज दिया जाता है।
वर्तमान समय में वजन के अनुसार रजिस्ट्री की दरें निम्नलिखित प्रकार से पायी जाती हैं -
(1) पंजीकरण शुल्क 22 रुपये।
(2) पावती रसीद शुल्क 3.00 रुपये।
(3) प्रत्येक 20 ग्राम पर अतिरिक्त शुल्क 3.00 रुपये।
इस सम्बन्ध में यह भी याद रखना आवश्यक है कि निम्नलिखित परिस्थितियों में डाक द्वारा भेजी जाने वाली वस्तुओं की रजिस्ट्री कराना अनिवार्य होता है -
1. ऐसा पत्र या पैकेट जिस पर रजिस्टर्ड शब्द लिखा हो।
2. ऐसा पार्सल, जिसका वजन 4 किलो से अधिक हो।
3. वह वस्तु, जो वी. पी. पी. भेजी जा रही हो।
4. ऐसे पैकेट या लिफाफा, जिसमें नोट, चैक, टिकट, हुन्डी, विनिमय विपत्र भेजे जाने वाले हों।
5. वह वस्तु, जिसका बीमा कराया जा चुका हो।
6. वह वस्तु जिसे एक रजिस्ट्री द्वारा भेजा चुका है, दुबारा भेजना हो ।
7. ऐसा पार्सल, जिस पर आयात-निर्यात सम्बंधी घोषणा करना आवश्यक हो।
8. बीमा कराना -
केवल पंजीयन करा लेने से डाकखाना उचित सावधानी रखने के लिये उत्तरदायी हो जाता है। परन्तु रजिस्ट्री न पहुँचने या खो जाने की स्थिति में होने वाली हानि के किये वह उत्तरदायी नहीं होता है। इसीलिये कहा जाता है कि बीमा कराने का प्रधान ध्येय वस्तु को पूर्ण सुरक्षित बनाना होता है। इस प्रकार यदि बीमित वस्तु मार्ग में कहीं खो जाती है अथवा टूट-फूट जाती है तो डाकघर इस क्षति के लिये उत्तरदायी होता है। यही बीमा कराने का उद्देश्य होता है।
इस सम्बन्ध में कहा जाता है कि निम्नलिखित वस्तुओं का बीमा कराया जाना अनिवार्य होता है
(1) जिस पत्र एवं पार्सल में सोना चाँदी होता है।
(2) जिस वी.पी. पी. वस्तु का मूल्य 500.00 रुपये से अधिक हो।
(3) जिस पार्सल या रजिस्ट्री पत्र के द्वारा भेजी जाने वाली वस्तु का मूल्य 500.00 से अधिक हो।
वस्तु को अच्छी प्रकार से बन्द करने के बाद उसे डाक घर ले जाया जाता है। इस पैकेट पर प्राप्तकर्ता का नाम व पता स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिये। साथ ही साथ वह राशि जिसके लिये बीमा कराया जा रहा है, अंकों तथा शब्दों में लिखी होनी चाहिये। तत्पश्चात् वजन के अनुसार बीमा फीस के रूप में टिकटों को चिपका दिया जाता है।
पैकेट के ऊपर बीच में रजिस्टर्ड बीमा 1200 रुपये के लिये शब्दों व अंकों में लिखा होना चाहिये। इसके बाद एक रसीदी फार्म भरा जाता है तथा डाक के साथ नत्थी करके डाकखाने के बीमा बाबू को दिया जाता है। इसके बाद प्रेषक को एक रसीद प्राप्त होती है, जो बीमा भेजने का प्रमाण होती है।
जिस वस्तु का बीमा 500.00 रुपये तक होता है, उसका विवरण डाकिया प्राप्तकर्ता के घर ले जाकर स्वयं करता है। इससे अधिक राशि का बीमा होने पर प्राप्तकर्ता को सूचित कर दिया जाता है। वह स्वयं डाकघर जाकर वस्तु को प्राप्त करता है। सन्देह की दशा में पैकेट को पोस्ट मास्टर के समक्ष खोलना चाहिये। हानि की स्थिति में क्षतिपूर्ति के लिये डाकघर को आवेदन करना चाहिये।
बीमा शुल्क की दर निम्नलिखित प्रकार से पायी जाती है -
(1) 200.00 रुपये तक की वस्तुओं के लिये बीमा शुल्क 10 रुपये।
(2) प्रत्येक अतिरिक्त 100.00 रुपये या उसके भाग के लिये 6.00 रुपये।
9. मूल्य देय डाक या वी. पी. पी.-
मूल्य देय डाक या वी. पी. पी. का आशय, माल की कीमत डाक घर के द्वारा चुकाने से होता है। इस रीति के अनुसार व्यापारी वर्ग डाकघर द्वारा वी. पी. पी. पार्सल द्वारा अपने ग्राहकों को माल या माल के अधिकार पत्र भेजते हैं।
दूसरे, डाकखाना ग्राहक से वस्तु की कीमत वसूल करके व्यापारी वर्ग को पहुँचा देता है। इस प्रकार व्यापारी को अपने माल की कीमत प्राप्त हो जाती है तथा ग्राहक को मूल्य का भुगतान करते ही माल प्राप्त हो जाता है। इस प्रकार डाकखाना वी.पी.पी. की व्यवस्था के द्वारा व्यापारी तथा ग्राहक के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है। ऐसी प्रत्येक वस्तु को वी. पी. पी. द्वारा भेजा जा सकता है, जिसे रजिस्टर्ड कराया जा सकता है।
अन्य शब्दों में किसी भी पत्र, बुक, पैकेट, रजिस्टर्ड पार्सल, रजिस्टर्ड समाचार पत्र तथा रेलवे या मोटर विलटी को वी. पी. पी. द्वारा भेजा सकता है, किन्तु इसकी राशि .2000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिये।
भारत में कितने डाकघर हैं -
रिपोर्ट्स के मुताबिक, आजादी के समय देशभर में 23,344 डाक घर थे। इनमें से 19,184 ग्रामीण क्षेत्रों में तो 4,160 शहरी क्षेत्रों में थे। 31 मार्च, 2008 तक भारत में 1,55,035 डाक घर थे। इनमें से 1,39,173 डाक घर ग्रामीण क्षेत्रों और 15,862 शहरी क्षेत्रों में थे। इस तरह भारत आज विश्व का सबसे बड़ा पोस्टल नेटवर्क बन गया है।
भारत में स्पीड पोस्ट की शुरुआत कब हुई -
भारत में पहला पोस्ट ऑफिस 1774 में कोलकाता में खुला। स्पीड पोस्ट भारत में 1986 में शुरू हुआ। मनी ऑर्डर सिस्टम 1880 में शुरू हुआ।
निष्कर्ष -
आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट पसंद आया होगा आज हमने जाना कि एक डाक घर कौन कौन सी सेवा उपलब्ध होती हैं और भारत में डाक घर कितने है साथ ही आपने जाना कि भारत में डाक सेवा कब शुरुआत हुई। भारत डाक सेवा में विश्व की सबसे बड़ी डाक सेवा वाला देश है जहाँ ग्रामीण क्षेत्र में 1,39,173 डाक घर है और शहरी क्षेत्र में 15,862 डाक घर है यह भारत की डाक विभाग की रीढ़ की हड्डी माना जाता हैं। अगर आपको मेरी पोस्ट पसंद आई तो जरूर शेयर करें और Comments करें।
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1 टिप्पणियाँ
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