व्यापार खाता | Trading Account
व्यापार खाता वह खाता है जिसमें प्रत्यक्ष उत्पादन व्ययों तथा प्रत्यक्ष विक्रय प्राप्तियों के आधार पर सकल लाभ (Gross Profit) या सकल हानि (Gross Loss) की गणना की जाती है। प्रत्यक्ष उत्पादन व्ययों में सभी व्यय शामिल किये जाते हैं, जिसका संबंध सीधा उत्पादन कार्यों से होता है। जैसे-कच्चे माल का क्रय, आवक गाड़ी भाड़ा, मजदूरी, चुंगी, ईंधन शक्ति व प्रकाश, फैक्टरी का किराया, बिजली व निर्माणी व्यय शामिल होते हैं।
व्यापार खाता | Trading Account |
व्यापार खाता की परिभाषा
बाटलीबॉय के अनुसार, - "व्यापार खाता वह खाता है जो माल के क्रय विक्रय के परिणाम को बताता है। इसमें किसी व्यापारिक अवधि में होने वाले उन व्ययों को प्रदर्शित किया जाता है, जो माल के उत्पादन से प्रत्यक्ष संबंध रखते हैं।" किया जाता है। दोनों पक्षों का शेष सकल लाभ या सकल हानि को प्रदर्शित करता है।"
कार्टर के अनुसार, - "व्यापार खाता वह खाता है जो सकल लाभ ज्ञात करने के लिए बनाया जाता है इसके विकलन पक्ष में प्रारंभिक स्टॉक, क्रय, आवक गाड़ी भाड़ा, मजदूरी आदि तथा क्रेडिट पक्ष में विक्रय तथा अंतिम स्कंध को प्रदर्शित करता है।”
नार्थ कॉट के अनुसार, - "व्यापार खाते का उद्देश्य माल के विक्रय पर सकल लाभ दिखाना है। इसके लिए बिक्री को शुद्ध राशि से बेचे गए माल की वास्तविक लागत घटा दी जाती है।"
व्यापार खाता बनाने के उद्देश्य
व्यापार खाते बनाने के निम्नलिखित उद्देश्य हैं -
1. व्यापार के सकल लाभ या हानि ज्ञात करना।
2. उत्पादन व्ययों की जानकारी प्राप्त करना।
3. चालू वर्ष के आँकड़ों की पिछले वर्ष के आँकड़ों से तुलनात्मक अध्ययन।
4. विक्रय तथा कुल लाभ के अनुपात का अध्ययन।
व्यापार खाता के लाभ
व्यापार खाते बनाने के निम्न लाभ हैं -
1. सकल लाभ एवं सकल हानि का ज्ञान - व्यापारिक खाते के माध्यम से एक निश्चित अवधि में व्यापारिक माल के क्रय-विक्रय से सकल लाभ या सकल हानि की जानकारी मिल जाती है।
2. उत्पादन लागत की जानकारी - व्यापार खाते के माध्यम से उत्पादन लागतों के संबंध में जानकारी मिलती है, तथा कुल उत्पादन लागत मूल्य की भी जानकारी मिलती है, जिसके आधार पर विक्रय मूल्य का निर्धारण किया जा सकता है।
3. प्रत्यक्ष व्ययों की जानकारी - माल क्रय से लेकर उसे विक्र योग्य बनाने के लिए किये गये सम्पूर्ण व्ययों की जानकारी व्यापार खातों के माध्यम से मिलती हैं।
4. तुलनात्मक अध्ययन हेतु - वर्तमान वर्ष के क्रय-विक्रय प्रारंभिक एवं अंतिम रहतियार तथा किये गये प्रत्यक्ष व्ययों की तुलना गत वर्षों के व्ययों से करके व्यापार की कुशलता एवं प्रगति का पता लगाया जा सकता है।
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