चिट्ठा क्या होता है? | Chittha Kya Hota Hai | What is balance sheet in hindi

चिट्ठा का अर्थ | Balance Sheet


व्यापार एवं लाभ-हानि खाते के माध्यम से व्यापार के लाभ अथवा हानि की जानकारी तो मिल जाती है, किन्तु व्यापार की वास्तविक वित्तीय स्थिति स्पष्ट नहीं होती। अतः व्यापार की वास्तविक आर्थिक स्थिति के मूल्यांकन के लिए चिट्ठा या स्थिति विवरण (Balance Sheet) का निर्माण किया जाता है। 


स्थिति विवरण के माध्यम से यह स्पष्ट हो जाता है, कि संपत्तियों में कितनी वृद्धि या कमी हुई अथवा दायित्वों की वास्तविक स्थिति किस प्रकार की है, अर्थात् ऋणों की प्रकृति कैसी है अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन ऋणों की प्रकृति किस प्रकार की है आदि।



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चिट्ठा का अर्थ | Balance Sheet

चिट्ठे से आशय 


स्थिति विवरण या चिट्ठा में व्यापार की पूंजी, दायित्वों एवं विभिन्न संपत्तियों का विवरण प्रदर्शित किया जाता है। यह एक विवरण पत्र (Statement) के रूप में होता है, जिसमें एक तरफ पूँजी और देनदारियाँ (Capital and Debtors) तथा दूसरी तरफ संपत्तियाँ एवं लेनदारियाँ (Assets and creditors) प्रदर्शित किया जाता है। इसे पक्का आँकड़ा व तुलन पत्र भी कहा जाता है।


चिट्ठा की परिभाषा


कार्टर के अनुसार, - “चिट्ठा एक ऐसा विवरण पत्र है जो, व्यापारिक एवं लाभ-हानि खाता बनाने के पश्चात् किसी व्यापारिक संस्थान के बहियों से उसके डेबिट तथा क्रेडिट को बतलाते हुए बनाया जाता है। ये शेष किसी तिथि को वास्तविक या अवास्तविक संपत्तियों तथा दायित्वों के और या पूँजी खाते, कोष या लाभ के शेष हो सकते हैं।"


बाटलीबॉय के अनुसार, - “चिट्ठा को विवरण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो किसी निश्चित तिथि को एक व्यापार की सही वित्तीय स्थिति को मापने के उद्देश्य से बनाया जाता है।”


ब्रिगस के अनुसार, - “चिट्ठा एक विवरण पत्र है जो संक्षिप्त में व्यापार में लगी पूँजी को बतलाता है और उन विभिन्न साधनों को बतलाता है, जहाँ से पूँजी लगायी गयी है, अर्थात् विभिन्न संपत्तियों को जिसके द्वारा पूँजी का प्रतिनिधित्व किया जाता है।”


उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि, चिट्ठा वह विवरण पत्र है जिसमें खाता वही के समस्त वास्तविक तथा व्यक्तिगत खातों का शेष लिखा जाता है, जिससे व्यापार के वास्तविक वित्तीय स्थिति की जानकारी मिलती है।


चिट्ठे की विशेषताएँ


1. निश्चित तिथि (Specified date) - चिट्ठा वित्तीय वर्ष की अन्तिम तिथि पर या आवश्यकतानुसार किसी अन्य तिथि को बनाया जाता है तथा उस तिथि की वित्तीय स्थिति को प्रदर्शित करता है।


2. निश्चित प्रारूप (Form) - स्थिति विवरण एक विवरण पत्र के रूप में रहता है खाता की तरह नहीं। इसमें हने और संपत्तियाँ तथा बायीं ओर दायित्व लिखे जाते हैं। इसे एक निश्चित प्रारूप में बनाया जाता है तथा इसमें खातों को से और को ('To' और By') शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता।


3. विषय सामग्री (Contents) - खाताबही के समस्त व्यक्तिगत तथा सम्पत्ति खातों के शेष इसमें लिखे जाते हैं। इन रोपों में जो विकलन (Debit) शेष होते हैं उन्हें संपत्ति पक्ष की ओर तथा जो समाफलन (Credit) रोष होते है उन्हें दायित्व पक्ष में दर्शाया जाता है। 


4. निश्चित क्रम (Fixed Sequence) - चिट्ठे में संपत्तियों एवं दायित्वों को एक निर्धारित क्रम में दर्शाया जाता है।


5. वास्तविक मूल्य पर (On Actual Value) - चिट्ठे में संपत्तियों एवं दायित्वों को उनके वास्तविक मूल्य पर अर्थात् पुस्तकीय मूल्य (Book Value) पर दर्शाया जाता है। 


चिट्ठे का महत्व 


1. वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी - स्थिति विवरण के माध्यम में संपत्तियों एवं दायित्वों की वास्तविक स्थिति के बारे में जानकारी मिलती है तथा इसके माध्यम से संस्था के वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।


2. कुल देनदारों तथा उनसे प्राप्त राशि का ज्ञान होना - स्थिति किसी एक देनदार से प्राप्य राशि को प्रकट कर सम्पूर्ण देनदारों से प्राप्त राशि को प्रदर्शित करता है। इसके साथ यह उनको संक्षिप्त व्याख्या कहता है कि कितने देनदार ऐसे हैं जिन्हें उधार माल का विक्रय किया गया है तथा कितनो ऋण वाले देनदारों की है, तथा कितनी राशि उन देनदारों से संबंधित है जो प्राप्त बिलों (Bill Receivable) से संबंधित है, जिन्होंने अपने बिलों देनदारों का भुगतान नहीं किया है तथा कितनी राशि व्ययों के की है।


3. कुल लेनदारों तथा उनको देय राशि का ज्ञान होना - चिट्ठा किसी एक लेनदार की देग राशि को न प्रकट कर सम्पूर्ण लेनदारों को देय राशि की विस्तृत वर्णन करता है। स्थिति विवरण के माध्यम से यह ज्ञात हो जाता है कि किस प्रकार के लेनदारों को कितनी राशि का भुगतान करता है, अर्थात् सम्पूर्ण लेनदारों में से कितनी राशि ऋणों के रूप में देय है कितनी राशि देय बिलों के रूप में देय है, कितनी राशि क्रय के लिए देय है तथा कितनी राशि व्ययों के लिए देय है। 


4. रोकड़ की स्थिति का ज्ञान - स्थिति विवरण के अन्तर्गत हस्तस्थ रोकड़ तथा बैंक में रोकड़ को प्रदर्शित किया जाता है, जिससे रोकड़ स्थिति के संबंध में जानकारी प्राप्त होती है। 


5. पूँजी - व्यवसाय के पूँजी में वृद्धि एवं कमी का विवरण भी स्थिति विवरण या चिट्ठे में प्रदर्शित किया जाता है, जो कि शुद्ध लाभ या हानि, आहरण, पूँजी पर ब्याज आदि के कारण हो सकती है। 

6. अदत्त व्यय एवं पूर्वदत्त व्यय - चिट्ठे की निर्माण तिथि पर संस्था के विभिन्न अदत्त, पूर्वदत्त, अप्राप्य आय एवं प्राप्य अग्रिम राशि का ज्ञान होता है। चूँकि चिट्ठा संपत्तियों एवं दायित्वों का सूक्ष्म विवरण पत्र है। अतः इससे नियोक्ता की पूँजी विनियोजन का ज्ञान होता है कि किस प्रकार की विभिन्न संपत्तियों में विनियोजित है। जिस प्रकार लाभ-हानि खाते से व्यवसाय की शुद्ध लाभ या हानि का ज्ञान होता है। उसी प्रकार चिट्ठे द्वारा व्यवसाय की वित्तीय स्थिति का ज्ञान होता है।

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