निजीकरण से क्या अभिप्राय है इसके उपाय | Privatization in hindi

निजीकरण से अभिप्राय


आर्थिक सुधारों के संदर्भ में, निजीकरण का अर्थ है सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित उद्योगों में से अधिक से अधिक उद्योगों को निजी क्षेत्र के लिए खोलना। इसके अंतर्गत वर्तमान सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को पूरी तरह या उसके एक हिस्से को निजी क्षेत्र को बेच दिया जाता है।


"निजीकरण वह सामान्य प्रक्रिया है, जिसके द्वारा निजी क्षेत्र किसी सरकारी उद्यम का मालिक बन जाता है अथवा उसका प्रबंध करता है।” 


निजीकरण
निजीकरण

निजीकरण की आवश्यकता प्रमुख रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के अकुशल होने के कारण महसूस की गई। भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकांश उद्यम घाटा उठा रहे थे। इसका मुख्य कारण यह था कि सार्वजनिक क्षेत्र के प्रबंधकों को निर्णय लेने की स्वतंत्रता बहुत कम होती है। 


इस क्षेत्र के उद्यमों से संबंधित अधिकांश निर्णय मंत्रियों द्वारा लिये जाते हैं, जो निर्णय लेते समय अपने राजनीतिक हितों का अधिक ख्याल रखते हैं। इसके फलस्वरूप निर्णय लेने में देरी होती है, उत्पादन क्षमता का पूरा प्रयोग नहीं होने पाता, प्रबंधक पूरी जिम्मेदारी से कार्य नहीं करते। इसलिए उत्पादकता कम हो जाती है। ये तत्व सार्वजनिक क्षेत्र को अकुशल बना देते हैं।



निजीकरण के फलस्वरूप अर्थव्यवस्था की कुशलता में वृद्धि होगी, प्रतियोगिता बढ़ेगी, उत्पादन की गुणवत्ता तथा विविधता में वृद्धि होगी। इससे उपभोक्ताओं को विशेष रूप से लाभ होगा।


निजीकरण के उपाय 


1. सार्वजनिक क्षेत्र का संकुचन - 


भारत के आर्थिक विकास में प्रारंभ से ही सार्वजनिक क्षेत्र को प्रमुख स्थान दिया गये हैं गया था, लेकिन जैसा कि डॉ. मनमोहन सिंह ने बताया कि सार्वजनिक उद्यमों को यह सोचकर प्राथमिकता दी गई थी, कि इससे पूँजी संचय, औद्योगीकरण विकास तथा गरीबी निवारण में मदद मिलेगी, लेकिन इनमें से किसी भी उद्देश्य की पूर्ति नहीं हुई। 


अतएव, नए आर्थिक सुधारों में सार्वजनिक क्षेत्र का विस्तार न करने को नीति अपनाई गई है। सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित उद्योगों की संख्या 17 से कम करके 4 दी गई अर्थात् सार्वजनिक क्षेत्र के लिए 

(i) सैनिक साजो-सामान

(ii) परमाणु ऊर्जा 

(iii) परमाणु धातुओं का खनन, तथा 

(iv) रेल परिवहन सुरक्षित रहेंगे। शेष उद्योग निजी क्षेत्र के लिए खोल दिये गये हैं।


2. सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों में सरकार का विनिवेश - 


सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकांश उद्योगों, विशेषकर घाटा उठा रहे उद्योगों में सरकार विनिवेश कर रही है। विनिवेश से तात्पर्य यह है कि सरकार इन उद्योगों को निजी क्षेत्र को बेच रही है। 


इस प्रकार सार्वजनिक उद्यमों का स्वामित्व तथा प्रबंध सरकार के स्थान पर निजी क्षेत्र का हो जायेगा। अब तक सरकार लगभग 30 हजार करोड़ रुपये के मूल्य के उद्योग निजी क्षेत्र को बेच चुकी है।


3. सार्वजनिक उद्यमों के शेयरों की बिक्री - 


सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के कई उद्यमों तथा बैंकों के शेयर वित्तीय संस्थानों और जनता को बेच रही है, इसके फलस्वरूप इन उद्यमों पर निजी क्षेत्र का आंशिक स्वामित्व हो जायेगा। यह भी निजीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 


आर्थिक सुधारों के फलस्वरूप देश के कुल निवेश में निजी क्षेत्र के निवेश के भाग में वृद्धि हुई है। यह भी निजीकरण का सूचक है। निजी क्षेत्र के निवेश का भाग कुल निवेश में 45% से बढ़कर 55 प्रतिशत हो गया है।


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