उपार्जित आय |
उपार्जित आय | Accrued Income
उपार्जित आय से आशय उस आय से है जो अर्जित तो कर ली गयी है, अर्थात् जिसके लिए सेवाएँ दी जा चुकि हैं, किन्तु वित्तीय वर्ष के अंतिम तिथि तक प्राप्त नहीं की गयी है।
आय प्राप्त नहीं होने के कारण वित्तीय वर्ष के लेखा पुस्तकों में इसकी प्रविष्टि नहीं की गयी है। अत: अंतिम खातों के निर्माण के समय उपार्जित आयों का खातों में समायोजन आवश्यक है अन्यथा वास्तविक वित्तीय आय ज्ञात नहीं किया जा सकेगा।
वास्तव में उपार्जित आय का संबंध चालू वित्त वर्ष से होता है, इसलिए चालू वित्त वर्ष में इनका लेखा करना आवश्यक है। प्राप्य ब्याज, किराया, कमीशन आदि इस प्रकार के आय हो सकती है। इस प्रकार की आय को चल वर्ष के आय में सम्मिलित किया जाना चाहिए, चाहे वह प्राप्त नहीं हुई हो।
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